तीन तलाक विधेयक को राज्य सभा में समर्थन मिलेगा: रविशंकर प्रसाद
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं राज्यसभा की परिपक्वता की सराहना करता हूं। हमारा मानना है कि हम राज्यसभा में इसके पक्ष में समर्थन हासिल कर लेंगे।’’
नयी दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को आशा जताई कि तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) विधेयक को राज्यसभा में समर्थन मिलेगा। दरअसल, इस विधेयक के कानून का रूप लेने के लिए संसद के उच्च सदन में इसका पारित होना जरूरी है। यह विधेयक मुस्लिम समुदाय में फौरन लिए जाने वाले तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाता है। विवादास्पद तीन तलाक विधेयक को लोकसभा ने बृहस्पतिवार को एक चर्चा के बाद साल भर से भी कम समय में दूसरी बार मंजूरी दी।
Opposition to meet on 31 December in Parliament for a meeting on #TripleTalaqBill
— ANI (@ANI) December 28, 2018
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं राज्यसभा की परिपक्वता की सराहना करता हूं। हमारा मानना है कि हम राज्यसभा में इसके पक्ष में समर्थन हासिल कर लेंगे।’’ उन्होंने कहा कि यह विधेयक राजनीतिक विरोध के लिए नहीं होना चाहिए क्योंकि यह तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय की बात करता है। बहरहाल, राज्य सभा में इस विधेयक का पारित होना सरकार के लिए एक मुश्किल भरा कार्य होने की संभावना है क्योंकि उच्च सदन में उसके पास बहुमत नहीं है। कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों और अन्नाद्रमुक जैसी कुछ क्षेत्रीय पार्टियों ने इस विधेयक के खिलाफ अपना एतराज जताया है।
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गौरतलब है कि अन्नाद्रमुक ने अक्सर ही संसद में सरकार का समर्थन किया है। प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों की दलीलों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि हर किसी ने कहा कि तीन तलाक गलत है लेकिन उन्होंने (विपक्ष ने) यह कहा कि इसे अपराध की श्रेणी में नहीं लाया जाए, जो एक हैरत भरा तर्क है। प्रसाद ने इस बात का जिक्र किया कि महिलाएं अपने पति के खिलाफ तलाक की अर्जी देती हैं, वे कभी-कभी निर्ममता बरतने का आरोप भी लगाती हैं जो एक आपराधिक मामला है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया, ‘‘यह भी कहा गया कि यह अन्य धर्मों में नहीं होता। लेकिन हकीकत यह है कि तीन तलाक की प्रथा किसी अन्य धर्म में नहीं है।’’ उल्लेखनीय है कि लोकसभा ने बृहस्पतिवार को तीन तलाक विधेयक पारित कर दिया। इसके समर्थन में 245, जबकि विरोध में 11 वोट पड़े। ज्यादातर विपक्षी पार्टियां सदन से वाकआऊट कर गईं।
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