हजारों लोगों का कडा संघर्ष और बलिदान आज स्वरूप ले रहा है: त्रिवेंद्र सिंह रावत
रावत ने कहा कि 1989 में राम मंदिर आंदोलन के समय वह मेरठ में थे और उन्होंने भेष बदलकर इस आन्दोलन में भाग लिया था। उन्होंने बताया कि उनके साथ हजारों अन्य लोगों ने भी आंदोलन में हिस्सा लिया था।
मुख्यमंत्री ने अपने संस्मरण ताजा करते हुए कहा कि 1989 में जब श्रीराम मन्दिर के लिए आन्दोलन चल रहा था, तब लोगों से सवा रूपये एकत्रित किये जाते थे कि श्रीराम मन्दिर के निर्माण में एक पत्थर आपके नाम का भी लग जायेगा। उन्होंने कहा कि उस समय लोग उत्तरकाशी के दूरस्थ गांव लिवाड़ी-खिताड़ी तक 18 किमी पैदल चलकर श्रीराम मंदिर के लिए शिला लाये थे। रावत ने कहा कि 1989 में राम मंदिर आंदोलन के समय वह मेरठ में थे और उन्होंने भेष बदलकर इस आन्दोलन में भाग लिया था। उन्होंने बताया कि उनके साथ हजारों अन्य लोगों ने भी आंदोलन में हिस्सा लिया था।अयोध्या में आज श्री राम मंदिर के भूमिपूजन और शिलान्यास के साथ नए युग का सूत्रपात हुआ है। कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज यह स्वर्णिम अवसर आया है। राम मंदिर के लिए हजारों लोगों ने बलिदान दिया। आज उन हजारों लोगों का त्याग, संघर्ष, तपस्या और बलिदान फलीभूत हुआ है।#JaiShriRam pic.twitter.com/BIqnY5CMRe
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) August 5, 2020
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वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रचारक मोरोपंत पिंगले, अशोक सिंघल, महन्त अवैद्यनाथ और कोठारी बंधुओं को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इन लोगों ने इस आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राममंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन से उनकी आत्माओं को शांति मिलेगी। रावत ने कहा कि उनकी उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचीत हुई है और वह खुद भी जल्द ही अयोध्या जाकर भगवान श्रीराम के दर्शन करेंगे और अयोध्या में बनने वाले श्रीराम मन्दिर के स्वरूप को भी देखकर आयेंगे।
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