मराठा आरक्षण की मांग पर छत्रपति संभाजीनगर और हिंगोली में दो लोगों ने आत्महत्या की

Maratha reservation
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जरांगे ने अगस्त के आखिर में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया था। राज्य सरकार ने उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद 17वें दिन उन्होंने अनशन समाप्त कर दिया था।

मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर बृहस्पतिवार को छत्रपति संभाजीनगर में एक व्यक्ति ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी। मराठवाड़ा क्षेत्र में एक ही दिन आरक्षण की मांग को लेकर आत्महत्या का यह दूसरा मामला है।

एक अधिकारी ने बताया कि गणेश काकासाहेब कुबेर (28) ने यहां अपाटगांव में अपने घर में फंदे से लटककर जान दे दी। कुबेर ने ब्लैकबोर्ड पर एक संदेश लिखा कि जब तक मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए।

पुलिस अधीक्षक मनीष कलवानिया (एसपी) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम कुबेर के परिवार को सहायता के साथ-साथ उनमें से एक को नौकरी देने के लिए जिला अधिकारियों के माध्यम से राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजेंगे।’’ एसपी ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

इससे पहले, हिंगोली जिले के अखाड़ा बालापुर गांव में कृष्णा कल्याणकर (25) ने अपने खेत में एक पेड़ से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। अधिकारी ने बताया कि कल्याणकर सुबह लगभग सात बजे अपने खेत पर गएऔर पुलिस को सुबह साढ़े नौ बजे उनकी आत्महत्या के बारे में सूचना मिली थी।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, हमें कल्याणकर की जेब से एक ‘सुसाइड नोट’ मिला। इसमें लिखा था ‘मैं मराठा आरक्षण के लिए आत्महत्या कर रहा हूं’।’’ इस बीच, मराठा क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ता सुनील कोटकर ने अपाटगांव में पत्रकारों से बातचीत में मराठा आरक्षण के मुखर विरोधी वकील गुणरत्न सदावर्ते की गिरफ्तारी की मांग की।

पिछले कुछ महीनों में, आरक्षण की मांग के समर्थन में राज्य के विभिन्न हिस्सों में मराठा समुदाय के सदस्यों द्वारा आत्महत्या किए जाने की कई खबरें सामने आई हैं। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने ओबीसी श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में अपने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर बुधवार सुबह एक बार फिर भूख हड़ताल शुरू की।

जरांगे (40) ने समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के सामने 40 दिन की समय सीमा तय की थी जो 24 अक्टूबर को समाप्त हो गई। इसके बाद उन्होंने जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में अपना अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया है।

जरांगे ने अगस्त के आखिर में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया था। राज्य सरकार ने उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया था, जिसके बाद 17वें दिन उन्होंने अनशन समाप्त कर दिया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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