61000 किमी यात्रा कर पुलवामा शहीदों के परिवारों से मिला ये शख्स, किया यह हैरतअंगेज काम
आज कश्मीर के लेथपोरा स्थित सीआरपीएफ कैंप में शहीद हुए जवानों की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई है और इस सभा के विशेष अतिथि उमेश गोपीनाथ जाधव है। बेंगलुरु निवासी उमेश गोपीनाथ जाधव पेशे से म्यूजिशियन और फार्माकॉलजिस्ट हैं।40 शहीद जवानों के घर जाना उनके लिए एक तीर्थ यात्रा की तरह साबित हुआ।
नई दिल्ली। 14 फरवरी 2019 का वो काला दिन जो हर किसी के जहन में बसा हुआ है। पुलवामा हमले को एक साल बीत चुका हैं लेकिन उस काले दिन को कभी नहीं भुलाया जा सकता हैं, इस हमले में हमारे 40 जवान शहीद हो गए थे। आज कश्मीर के लेथपोरा स्थित सीआरपीएफ कैंप में शहीद हुए जवानों की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई है और इस सभा के विशेष अतिथि उमेश गोपीनाथ जाधव है।
J&K: Umesh Gopinath Jadhav,from Maharashtra, is the special guest at the wreath-laying ceremony at CRPF campus in Kashmir's Lethpora to mark a yr of #PulwamaAttack today. He took a 61000 km long journey across India to meet families of the 40 jawans who lost their lives in attack pic.twitter.com/zSxQzSLJKS
— ANI (@ANI) February 14, 2020
कौन हैं उमेश गोपीनाथ जाधव ?
शहीद हुए जवानों को आज हर कोई अपने अंदाज में श्रद्धांजलि दे रहा है। उमेश गोपीनाथ जाधव ने शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने का काफी अनोखा तरीका अपनाया जिसें सुनकर शायद आप को भी यकीन न हो पाए। उन्होंने शहीदों को याद करने और उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए भारत भर में 61000 किलोमीटर लंबी यात्रा की है। इस यात्रा के दौरान वह हमले में शहीद हुए 40 जवानों के परिवारों के घर गए और उनके परिवारों से मिले और हर एक शहीद जवानों के गांव, घरों और शमशान घाटों के पास से मिट्टी भी इकट्ठा की। विशेष अतिथि के रूप में शामिल गोपीनाथ उन सभी शहीद 40 जवानों के घर की मिट्टी लेकर सभा में पहुंचे और उन्हें उनके इस काम के लिए सम्मानित भी किया गया। बता दें कि बेंगलुरु निवासी उमेश गोपीनाथ जाधव पेशे से म्यूजिशियन और फार्माकॉलजिस्ट हैं।
कैसी थी उनकी यह अनोखी जर्नी?
40 शहीद जवानों के घर जाना उनके लिए एक तीर्थ यात्रा की तरह साबित हुआ। शहीदों के घर की मिट्ठी इक्टठा करने के चक्कर में उन्होंने पूरे भारत को ही नाप लिया। 61000 किलोमीटर का यह सफर उनके लिए नामुमकिन सा था लेकिन शहीदों को याद करते हुए उन्होंने अपनी इस अनोखी जर्नी को मुमकिन बना दिया। अपने साथ अस्थि कलश लेकर चलना और हर एक शहीदों के घर की मिट्टी इक्ट्ठा करना उनका इकलौता लक्ष्य था और वह अपने इस लक्ष्य में सफल भी हुए। उमेश ने लेथपोरा स्थित सीआरपीएफ कैंप में जब शहीदों को श्रद्धांजलि दी तो उन्होंने कहा कि हर एक शहीदों के परिजनों से मिलना और उनके घर के बाहर से मिट्टी इकट्ठा कर इस अस्थि कलश में डाला है, सबकुछ इसी में है।
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सफर में आई काफी मुशिकलें
उमेश की यह अनोखी यात्रा काफी खास थी,उनके लिए जवानों के घर और परिवारों को ढूंढ़ना आसान नहीं था क्योंकि कुछ घर काफी अंदर के इलाकों में बसे हुए थे और उनको ढूंढ़ना काफी मुश्किल था। चुनौतियों का सामना करते हुए उमेश अपने सफर में अकेले नहीं थे बल्कि उनके साथ उनकी कार और कार में लिखे देशभक्ति के स्लोगन भी थे। वह कहीं भी जाते तो किसी होटल में रूकने की बजाय वह अपनी कार में सोना और खाना करते थे क्योंकि वह होटल का खर्चा नहीं उठा सकते थे।
सफर हुआ दुआओं से पूरा
उमेश का यह सफर शहीदों के घर गए परिवारों से मिलने और उनकी दुआओं से पूरा हुआ है। उन्होंने बताया कि हर एक जवान के मां-बाप ने बेटे, पत्नियों ने अपने पतियों को, बच्चों ने अपने पिता को, दोस्तों ने अपने दोस्त को खोया है। एक खबर के मुताबिक उन्होंने बताया कि "परिजनों से मिलकर उनके साथ खाना खानें का अहसास अलग था, पड़ाव मुश्किल था लेकिन परिवारों से मिलकर उनके घर की एक मुट्ठी मिट्टी इकट्ठा कर कलश में रखना शहीदों को याद करने जैसा था"। उमेश ने अब यह कलश श्रीनगर के सीआरपीएफ के उन शहीदों की यादें संजोने के लिए वहां सौंप दिया है। बता दें कि अपने काम को पहचान देने के लिए उन्हें इस सभा में विशेष मेहमान के तौर पर बुलाया गया है।
कैसे सूझा कुछा ऐसा करने का?
म्यूजिशियन उमेश गोपीनाथ जाधव 14 फरवरी 2019 को अजमेर से बेंगलुरु लौट रहे थे, तब वह जयपुर के एयरपोर्ट में ही थे वहीं उन्होंने टीवी पर पुलवामा हमले की न्यूज देखी थी। हमले की भयावह तस्वीरें देखने के बाद ही उन्होंने जवानों के परिवारों के लिए कुछ करने का फैसला किया। जाधव के इस अनोखे अंदाज को उनके पत्नी और बच्चों ने भी काफी सराहा। पत्नी और बच्चों को उनके इस काम पर काफी गर्व है। जाधव भी चाहते हैं कि उनके बच्चे सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित हों, यही उनके लिए एक सम्मान की बात होगी।
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