देश में मैला ढोने वालों के उत्थान के लिए सरकार प्रतिबद्ध: अठावले

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[email protected] । Oct 13 2018 12:57PM

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने शुक्रवार को यहां कहा कि झारखंड में सिर पर मैला ढोने की प्रथा समाप्त हो गयी है लेकिन देश के अनेक हिस्सों में अभी भी यह जारी है।

रांची। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने शुक्रवार को यहां कहा कि झारखंड में सिर पर मैला ढोने की प्रथा समाप्त हो गयी है लेकिन देश के अनेक हिस्सों में अभी भी यह जारी है। उन्होंने कहा कि हालांकि देश के अनेक हिस्सों में मैला ढोने वालों के उत्थान के लिए केन्द्र सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। झारखंड की यात्रा पर आये अठावले ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। अठावले ने कहा कि झारखण्ड राज्य से हाथ से मैला ढ़ोने की प्रथा समाप्त हो गई है लेकिन यह विडम्बना है कि अभी भी पूरे देश में लगभग 20,500 लोग हाथसे मैला ढोने का काम कर रहे हैं। इनके उत्थान के लिए सरकार द्वारा प्रत्येक परिवार को 50 हजार रुपये की सहायता देने की योजना बनाई जा रही है।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अंतरजातीय विवाह करने पर राज्य सरकार 25 हजार रुपये सहयोग राशि देती है जबकि केंद्र सरकार इसके लिए 2 लाख 50 हजार रुपये की राशि देती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने राज्य सरकार से इस मद में एक लाख रुपये सहायता राशि देने की बात कही है।अठावले ने कहा कि आज पूरे देश में आरक्षण के लिए कई जातियां मांग कर रही हैं। हमारी सरकार इन जातियों को सामान्य वर्ग के लिए बची पचास प्रतिशतसीटों में से आरक्षण दिये जाने के पक्ष में है। उन्होंने कहा,‘‘ हमारा लक्ष्य है कि झारखंड के हर जिले में एक वृद्धाश्रम का निर्माण हो। दस जिलों में इसका निर्माण हो चुका है और बाकी के अन्य 14 जिलों में इस पर काम चल रहा है।'' उन्होंने राज्य में कार्यरत कर्मियों एवं रिक्तियों कि जानकारी देते हुए कहा कि राज्य में दिव्यांगों के लिए काफी पदों पर रिक्तियां हैं और इन रिक्तियों को भरने के लिए राज्य सरकार द्वारा कार्य किया जा रहा है।

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