जेएनयू में शांति है, कोई आंदोलन नहीं हुआ: विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय से कहा
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने आज कहा कि विश्वविद्यालय में शांति है क्योंकि कक्षाएं सुगमता से चल रही हैं और फिलहाल कोई भी व्यक्ति आंदोलन नहीं कर रहा है।
नयी दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने आज कहा कि विश्वविद्यालय में शांति है क्योंकि कक्षाएं सुगमता से चल रही हैं और फिलहाल कोई भी व्यक्ति आंदोलन नहीं कर रहा है। सभी छात्रों के लिए उपस्थिति कम से कम 75 फीसदी अनिवार्य किए जाने के फैसले के मद्देनजर विश्वविद्यालय परिसर के माहौल के बारे में पूछे जाने पर अदालत को यह बताया गया। दरअसल, न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने पूछा कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों और शिक्षकों के प्रदर्शन की क्या स्थिति है। इस पर, जेएनयू की ओर से पेश हुई केंद्र सरकार की वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा, ‘‘कई महीनों के बाद अब शांति है। कोई भी व्यक्ति प्रदर्शन नहीं कर रहा। कक्षाएं सुगमता से चल रही हैं।’’ अदालत जेएनयू के अलग - अलग संकायों के पांच प्राध्यापकों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्होंने छात्रों के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य किए जाने के 12 दिसंबर 2017 के विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद के फैसले को चुनौती दी थी।
अपनी याचिका में पांचों प्राध्यपकों ने आरोप लगाया कि यह फैसला गलत और अवैध विवरण के आधार पर लिया गया, जो परिषद की 144 वहीं बैठक की कार्यवाही और एजेंडा से विरोधाभासी है। उन्होंने उनकी जगह एक कार्यवाहक डीन और कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किए जाने को भी चुनौती दी तथा इसे मनमाना और अवैध बताया। अदालत ने सुनवाई के दौरान जेएनयू की वकील से पूछा कि क्या वे लोग उन्हें बहाल करने के लिए तैयार हैं। जेएनयू की वकील ने कहा कि अनिवार्य उपस्थिति को लागू करने से इनकार करने पर शिक्षकों को हटाया गया। वकील ने कहा कि उन लोगों को अगले आदेश तक अस्थायी रूप् से हटाया गया है और एक जांच समिति गठित की गई है। जेएनयू ने अदालत में सौंपी गई अपनी लिखित दलील में कहा है कि सभी छात्रों के लिए अनिवार्य उपस्थिति नियम को परिषद के एक दिसंबर 2017 की बैठक के बाद लागू किया गया। बहरहाल, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दी।
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