उन्नाव दुष्कर्म मामला: उम्रकैद को चुनौती देने के लिए कुलदीप सेंगर पहुंचा हाई कोर्ट
अदालत ने 54 वर्षीय सेंगर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दो) के तहत दोषी ठहराया था। जनसेवक के अपने आधिकारिक पद का दुरूपयोग करते हुए महिलाओं से दुष्कर्म करने के अपराध के लिए इस धारा के तहत कार्रवाई होती है। अदालत ने सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
नयी दिल्ली। भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने 2017 में उन्नाव में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म मामले में अपनी दोषसिद्धि और उम्रकैद को चुनौती देने के लिए बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। उसकी याचिका में खामी है और सारी विसंगति को दूर करने के बाद सुनवाई के लिए इसे सूचीबद्ध किया जाएगा। सेंगर ने निचली अदालत के 16 दिसंबर 2019 के फैसले को चुनौती दी, जिसमें उसे दोषी ठहराया गया था। उसने 20 दिसंबर को आखिरी सांस तक उम्रकैद की सजा को भी खारिज करने की मांग की है।
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अदालत ने 54 वर्षीय सेंगर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दो) के तहत दोषी ठहराया था। जनसेवक के अपने आधिकारिक पद का दुरूपयोग करते हुए महिलाओं से दुष्कर्म करने के अपराध के लिए इस धारा के तहत कार्रवाई होती है। अदालत ने सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। पॉक्सो कानून में पिछले साल अगस्त में किए गया संशोधन लागू नहीं हुआ था क्योंकि घटना कानून में संशोधन के पहले 2017 में हुई थी। सेंगर को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत दोषी ठहराया गया था। सेंगर ने 2017 में युवती को अगवा किया और उससे दुष्कर्म किया। यह घटना जब हुई थी युवती उस समय नाबालिग थी।
इस मामले में सुनवाई पिछले साल पांच अगस्त को शुरू हुई थी। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर इसे उत्तर प्रदेश में उन्नाव से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को दुष्कर्म पीड़िता द्वारा लिखे गए पत्र का संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने उन्नाव दुष्कर्म मामले के साथ दर्ज सभी पांच मामलों को एक अगस्त को उत्तर प्रदेश में लखनऊ अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। न्यायालय ने रोजाना आधार पर सुनवाई करने और 45 दिन के भीतर मुकदमे को अंजाम तक पहुंचाने का निर्देश भी दिया था।
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