उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था होगी 2019 लोकसभा चुनाव का अहम मुद्दा

Uttar Pradesh law system will be important issue of 2019 Lok Sabha elections
[email protected] । Jul 29 2018 5:10PM

लोकसभा चुनावों को अब जबकि कुछ ही महीने रह गये हैं, उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति सत्ताधारी भाजपा और विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा होगा।

लखनऊ। लोकसभा चुनावों को अब जबकि कुछ ही महीने रह गये हैं, उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति सत्ताधारी भाजपा और विपक्ष के लिए महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में भाषा से कहा था कि बड़ी कंपनियां राज्य में निवेश की इच्छा प्रकट कर रही हैं। इससे संकेत मिलता है कि स्थिति सुधरी है। पुलिस अधिकारियों ने योगी के इस दावे के समर्थन में आंकड़ों का हवाला भी दिया।

मानवाधिकार संगठन और विपक्षी दल हालांकि इस बात से सहमत नहीं हैं। गैर सरकारी संगठनों ने भी पुलिस मुठभेडों की बढ़ती संख्या और पुलिस बर्बरता पर चिन्ता का इजहार किया है। विपक्ष का दावा है कि भाजपा सरकार के समय अपराध बढे़ हैं और कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है। भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा 17 वर्षीय युवती से कथित बलात्कार को विपक्ष अपने आरोप का पुख्ता प्रमाण मानता है।

बलात्कार पीड़िता के पिता की बाद में मौत हो गयी थी। बताया जाता है कि उन्हें पुलिस हिरासत के दौरान बुरी तरह पीटा गया था। बाद में मामला सीबीआई के पास गया तो विधायक के भाई और चार अन्य को गिरफ्तार किया गया। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या एक अन्य घटना है जो विपक्ष को बोलने का मौका देती है। विपक्ष कहता है कि इससे पता चलता है कि लोग जेलों में भी सुरक्षित नहीं हैं। सपा मुखिया एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि राज्यपाल राम नाईक हालांकि लगातार कह रहे हैं कि कानून व्यवस्था की स्थिति में और सुधार की गुंजाइश है लेकिन भाजपा सरकार उनकी बात सुन ही नहीं रही है।

नाईक ने कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए योगी सरकार की प्रशंसा की थी लेकिन साथ ही कहा था कि इसमें और सुधार की गुंजाइश है। कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने पुलिस को आडे़ हाथ लेते हुए कहा कि पुलिस गरीबों पर अत्याचार करती है और राज्य सरकार के बाउंसर के रूप में कार्य करती है। पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज की महासचिव वंदना मिश्रा ने दावा किया कि अपराध की स्थिति और बिगड़ी है। दलितों और मुसलमानों पर अत्याचार बढे़ हैं। महिलाओं के प्रति अपराधों में भी बढोतरी हुई है ।

स्वयंसेवी संगठन रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि राज्य की पुलिस का बर्ताव गुंडों से कम नहीं है ।पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह का हालांकि दावा है कि हत्या, बलात्कार और डकैती जैसे अपराधों में पिछले छह महीने के दौरान काफी ज्यादा गिरावट आयी है ।सिंह ने हाल ही में संवाददातओं से कहा था कि प्रदेश पुलिस ने 5677 अपराधियों को गिरफ्तार किया है । इनमें 2068 के सिर पर इनाम था ।पुलिस के आंकडे़ बताते हैं कि मार्च 2017 से 15 जुलाई 2018 के बीच 62 अपराधी मुठभेड़ में मारे गये ।मुठभेडों को लेकर मानवाधिकार संगठन चिन्तित हैं । पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन हयूमन राइट्स के संस्थापक लेनिन रघुवंशी ने कहा कि मुठभेड़ कानून के राज और आपराधिक न्याय प्रणाली को ध्वस्त करती है । इससे अपराधियों का राजनीतिकरण भी होता है क्योंकि पुलिस कार्रवाई के डर से वे सत्ताधारी दल में शामिल होते हैं ।ऐसी ही एक मुठभेड़ के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भेजा था । नोएडा की इस मुठभेड़ में कथित गैंगस्टर सुमित गुर्जर मारा गया था।

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