उत्तराखंड : सावन की बौछारों के बीच ‘फूलों की घाटी’ की छटा निखरी, पर्यटक उठा रहे नजारों का लुत्फ

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सावन की हरियाली के बीच दूर तक फैले प्रकृति के सभी चटख रंगों के फूल घाटी की सुन्दरता को चार चांद लगा रहे हैं और पर्यटक इन नजारों का लुत्फ उठा रहे हैं। ख्याति प्राप्त छायाकार और फूलों की घाटी पर कई ‘कॉफी टेबल बुक’ के लेखक व फिल्मकार चन्द्रशेखर चौहान कहते हैं कि यहां मौजूद पीले रंग का ‘पैटिकुलस’ जिसे हल्दिया के नाम से भी जाना जाता है, अपनी छटा खूब बिखेर रहा है।

गोपेश्वर,  1 अगस्त।  सावन की बौछारों के बीच उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध ‘फूलों की घाटी’ में हर ओर रंग-बिरंगे फूलों की निराली छटा बिखरी हुई है, जिसका दीदार करने के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंच रहे हैं। सावन की हरियाली के बीच दूर तक फैले प्रकृति के सभी चटख रंगों के फूल घाटी की सुन्दरता को चार चांद लगा रहे हैं और पर्यटक इन नजारों का लुत्फ उठा रहे हैं।

ख्याति प्राप्त छायाकार और फूलों की घाटी पर कई ‘कॉफी टेबल बुक’ के लेखक व फिल्मकार चन्द्रशेखर चौहान कहते हैं कि यहां मौजूद पीले रंग का ‘पैटिकुलस’ जिसे हल्दिया के नाम से भी जाना जाता है, अपनी छटा खूब बिखेर रहा है। उन्होंने बताया कि इन दिनों यहां हल्दिया की दोनों प्रजातियां खिली हुई हैं। इसके अलावा, अपनी सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध ब्लू-पापी और गुलाबी रंग के ‘डांग फ्लावर’ भी खिल रहे हैं। डांग फ्लावर बालसम की प्रजाति है।

पर्यटक भी फूलों की घाटी के नजारों से उत्साहित दिखे। शनिवार शाम को फूलों की घाटी की सैर करके लौटे चंडीगढ़ निवासी पर्यटक दीक्षित ने कहा कि उन्होंने पहले कभी देश और दुनिया में ऐसी सुन्दरता नहीं देखी। उन्होंने कहा, ‘‘घाटी के जिन नयनाभिराम नजारों से आज रूबरू हुआ, वह पहले कभी नहीं देखा था।’’ उन्होंने यहां फूलों की 70 प्रजातियों की पहचान की। हैदराबाद के कृष्णा ने कहा कि घाटी की यात्रा के अनुभव को शब्दों में बयां करना संभव नहीं है और अनोखी वनस्पति के अलावा यहां के मनमोहक दृश्य भी अकल्पनीय थे।

वन अनुसंधान से जुड़े एक पूर्व अधिकारी हरीश नेगी बताते हैं कि बर्फ पिघलने के साथ ही फूलों की घाटी में पुष्पों का खिलना शुरू हो जाता है और जुलाई मध्य से लेकर अगस्त मध्य तक यहां की अधिकतर वनस्पतियों में पुष्प पल्लवित हो उठते हैं। इन दिनों मुख्य रूप से एनिमोन, हल्के नीले और लेवेंडर रंग का जिरेनियम, मार्शमेरी-गोल्ड, लच्छेदार नीले फूलों वाला प्राईमूला, पोटेनटिला, जियम, एस्टर, लिलियम, हिमालयन ब्लू पॉपी, एकोनाईटस, डेलिफिनियम, रैननकुलस, कार्डिएलिस, इन्यूला, ब्रह्मकमल, कैंपान्यूला आदि अनेक प्रजातियां घाटी में खिली हुई हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये सभी औषधीय गुणों से भी भरपूर हैं। कोविड-19 के चलते पिछले दो साल से घाटी पर्यटकों के लिए बंद रही। फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क की प्रभारी अधिकारी चेतना कांडपाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शनिवार शाम तक 6,889 पर्यटक फूलों की घाटी का भ्रमण कर चुके है जिनमें 87 विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं। शनिवार को ही करीब 150 पर्यटकों ने फूलों की घाटी का लुत्फ उठाया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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