उत्तराखंड के जन्मदाता के तौर पर सदा याद किए जाएंगे वाजपेयी

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[email protected] । Aug 19 2018 11:34AM

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को न केवल उत्तराखंड के जन्मदाता के रूप में हमेशा याद किया जायेगा बल्कि उन्होंने इस पहाडी प्रदेश की शुरूआती परवरिश भी बहुत खुले दिल से की।

देहरादून। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को न केवल उत्तराखंड के जन्मदाता के रूप में हमेशा याद किया जायेगा बल्कि उन्होंने इस पहाडी प्रदेश की शुरूआती परवरिश भी बहुत खुले दिल से की। वर्ष 1994 में पृथक राज्य आंदोलन के वृहद रूप ले लेने के बावजूद यहां ऐसा लग रहा था कि अब शायद अलग उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना कभी मूर्त रूप नहीं ले पायेगी, परंतु 1998 में केंद्र में वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार आने के बाद इस क्षेत्र के लोग फिर से पृथक राज्य का स्वप्न देखने लगे। 

उसी साल 1998 में केंद्र की वाजपेयी सरकार अलग राज्य के निर्माण के लिए संसद में विधेयक लायी लेकिन सरकार के गिर जाने के कारण यह पारित नहीं हो पाया। अगले साल 1999 में दोबारा सत्तारूढ़ होने पर वाजपेयी सरकार पुन: यह विधेयक लायी जिसका कांग्रेस ने भी समर्थन किया और उत्तराखंड के निर्माण का रास्ता साफ हो गया। यह भी माना जाता है कि उत्तराखंड के कारण ही झारखंड और छत्तीसगढ़ अलग राज्यों के रूप में राजनीतिक नक्शे पर आये। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि चूंकि भाजपा को उत्तराखंड बनाना था इसलिए झारखंड और छत्तीसगढ़ को भी पृथक राज्य का दर्जा मिल गया।

भाजपा ने प्रदेश में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में नारा दिया था 'अटल ने बनाया, मोदी इसे सवारेंगे' और इस नारे के साथ चुनाव प्रचार करने पर पार्टी को चुनाव में अभूतपूर्व सफलता हाथ लगी जहां भाजपा ने 70 सीटों में से 57 पर कब्जा कर प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। कई भाजपा नेता इस सफलता के पीछे इस नारे की लोकप्रियता को मानते हैं। 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट का इस संबंध में कहना है कि अटलजी और मोदीजी का नाम इतना बडा है कि लोगों ने आंखें मूंदकर इस बात को स्वीकार किया कि उत्तराखंड भाजपा की देन है और वही इसकी समस्यायें भी दूर करेगी। वर्ष 2002 में प्रदेश में हुए प्रथम विधानसभा चुनावों के ठीक बाद मार्च में होली के मौके पर वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल प्रवास पर आये और राजभवन में ठहरे। इस दौरान अपनी पार्टी के कुछ लोगों से कथित नाराजगी के कारण वह छुट्टी के मूड में थे और ज्यादा लोगों से नहीं मिले लेकिन राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायणदत्त तिवारी से उत्तराखंड को लेकर उन्होंने लंबी वार्ता की।

दोनों पुराने मित्रों के बीच हुई इस लंबी वार्ता का परिणाम उत्तराखंड के लिए जबरदस्त सौगात के रूप में सामने आया। अपने प्रवास के आखिरी दौर में वाजपेयी ने नैनीताल राजभवन में स्वयं एक पत्रकार वार्ता कर उत्तराखंड के लिए कई बड़ी घोषणाएं कीं और यह साबित कर दिया कि वह दलगत राजनीति से ऊपर थे। वाजपेयी ने पर्वतीय राज्यों, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए दस वर्ष का औद्योगिक पैकेज घोषित किया जिसकी खास बात यह थी कि वहां अगले 10 सालों में इन राज्यों में अपनी इकाइयां स्थापित करने वाले उद्योगों को 10 वर्ष तक कर रियायत का लाभ मिला । इस पैकेज के कारण टाटा मोटर्स, नैस्ले, ब्रिटानिया, बजाज ऑटो, हीरो मोटोकार्प, महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी देश की नामचीन कंपनियों ने प्रदेश के हरिद्वार और पंतनगर क्षेत्रों में अपनी इकाइयां लगायीं जिससे प्रदेश का विकास होने के साथ ही हजारों हाथों को काम मिला। 

वाजपेयी ने नैनी झील के संरक्षण के लिए 100 करोड रूपये की धनराशि भी स्वीकृत की।  वाजपेयी के कार्यकाल में ही उत्तराखंड को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा भी मिला जिसमें विकास कार्यों के लिए मिलने वाले ऋण का 90 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार अनुदान के रूप में देती है और केवल 10 फीसदी भाग राज्य सरकार को वहन करना होता है । अपने संसाधन जुटा रहे उत्तराखंड जैसे नव निर्मित राज्य को इस दर्जे से बहुत सहूलियत मिली।

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