जामिया हिंसा पर बोलीं वीसी नजमा अख्तर, पुलिस बर्बरता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने पर विचार करेंगे

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[email protected] । Jan 13 2020 6:40PM

छात्रों के मुताबिक पुलिस ने परिसर की नाकेबंदी कर दी थी और घायल छात्रों को इलाज कराने से रोका था। छात्रों ने कहा कि पुस्तकालय की खिड़की तोड़ दी थी। जब पुलिसकर्मियों ने घेराबंदी की तब वहां 50 से 60 छात्र वहां मौजूद थे। अख्तर ने छात्रों को समझाने की कोशिश की जो पीछे हटने को तैयार नहीं थे।

नयी दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की कुलपति नजमा अख्तर ने सोमवार को कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन पिछले महीने परिसर में हुई कथित पुलिस बर्बरता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए अदालत जाने की संभावना पर विचार करेगा।उन्होंने यह बात दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर छात्रों के कुलपित कार्यालय घेराव के बाद कही। अख्तर ने बताया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) पहले ही छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की जांच कर चुका है। उन्होंने बताया एनएचआरसी की टीम पहले ही विश्वविद्यालय का दौरा कर चुकी है और पीड़ितों का बयान दर्ज करने के लिए मंगलवार को दूसरा दौरा करने का कार्यक्रम है। उल्लेखनीय है कि छात्र मुख्यद्वार का ताला तोड़कर कार्यालय परिसर में दाखिल हो गए और कुलपति के खिलाफ नारेबाजी की और दिल्ली पुलिस के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की। पिछले साल 15 दिसंबर को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी और दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय परिसर में दाखिल होकर छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की थी।

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छात्रों के मुताबिक पुलिस ने परिसर की नाकेबंदी कर दी थी और घायल छात्रों को इलाज कराने से रोका था। छात्रों ने कहा कि पुस्तकालय की खिड़की तोड़ दी थी। जब पुलिसकर्मियों ने घेराबंदी की तब वहां 50 से 60 छात्र वहां मौजूद थे। अख्तर ने छात्रों को समझाने की कोशिश की जो पीछे हटने को तैयार नहीं थे। छात्रों ने कहा कि अगर पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तैयार नहीं है तो वे शिकायत पर संज्ञान लिए जाने तक मार्च करने के लिए तैयार हैं। बयान में विश्वविद्यालय ने कहा कि प्रशासन छात्राओं की चिंताओं को दूर करने के लिए सभी संभव कदम उठाएगा। बयान के कहा गया, ‘‘यह भी फैसला लिया गया है कि प्रशासन 15 दिसंबर 2019 को विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में पुलिस की बर्बरता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए यथाशीघ्र अदालत जाने की संभावना पर विचार करेगा।’’ विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘विश्वविद्यालय प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पहले ही सभी संभव कदम उठा चुका है। उसने जामिया नगर के थानाप्रभारी को शिकायत दी थी और इसकी प्रति दिल्ली पुलिस के आयुक्त और दक्षिण पूर्व दिल्ली के उपायुक्त को भी भेजी थी। विश्वविद्यालय ने दक्षिण क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त और उपायुक्त अपराध को भी प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पत्र लिखा है।’’

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छात्रों ने विश्वविद्यालय परीक्षाओं की तारीखें नए सिरे से निर्धारित करने और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। इस पर विश्वविद्यालय ने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग पर कुलपति ने डीन, विभागाध्यक्षों और अन्य अधिकारियों से परामर्श किया और घोषणा की कि अगली सूचना तक चल रहे सेमेस्टर परीक्षाएं रद्द रहेंगी। परीक्षा की नयी तारीखें बाद में घोषित की जाएंगी।’’ नाराज छात्रों ने दावा किया कि हिंसा के बाद उन्हे छात्रावास खाली करने का नोटिस दिया गया, जिससे कुलपति ने इनकार किया। आर्किटेक्चर के छात्र सईद फहद ने कहा कि प्राथमिकी उन लोगों के खिलाफ दर्ज की गई जो प्रदर्शन के दौरान अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे।  उन्होंने पुलिस कार्रवाई का जिक्र करते हुए कहा कि असली गुनाहगार अभी भी खुले घूम रहे हैं। अभियंत्रिकी के छात्र आदिल ने कहा कि पिछले महीने हुई हिंसा के मामले में एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। विधि के छात्र रागिब नौशाद ने कहा कि वह कुलपति के आश्वासन से आश्वस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यथाशीघ्र प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। कुलपति को सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ भरोसा देना होगा कि दोबारा पुलिस विश्वविद्यालय परिसर में दाखिल नहीं होगी।

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