1984 के दंगों के पीड़ितों को अब भी इंसाफ का इंतजार

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[email protected] । May 18 2019 5:50PM

दंगों में अपने दो बेटों हरभजन सिंह और अमरजीत सिंह को खोने वालीं 75 साल की गुरजल कौर कहती हैं कि अकालियों ने दंगा पीड़ितों की सबसे ज्यादा मदद की और राज्य जबकि कांग्रेस की केन्द्र तथा राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों ने हमारी जिंदगी तबाह कर दी।

लुधियाना। 1984 के सिख विरोधी दंगों के 35 बरस बीत चुके हैं, लेकिन इसके शिकार हुए लोग चाहकर भी उस खौफनाक मंजर को नहीं भुला पाए हैं। इन वर्षों मे दंगा पीड़ितों के जख्म तो कई बार हरे हुए, लेकिन इंसाफ का तराजू अभी तक इन लोगों के हक में पूरी तरह नहीं झुक पाया है। पंजाब की सभी 13 सीटों पर रविवार को मतदान होना है। इससे पहले यहां चुनाव प्रचार के दौरान सिख विरोधी दंगों पर जमकर राजनीति हुई। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के  हुआ तो हुआ  बयान ने एक बार फिर दंगा पीड़ितों के जख्मों को हरा कर दिया। बाद में उन्होंने इसके लिये माफी तो मांग ली, लेकिन भाजपा ने फिर सभी इसे चुनावी मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। लुधियाना की सीआरपीएफ कॉलोनी में रहने वाले दंगा पीड़ितों का कहना है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारें पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में देरी करती रही हैं।

 

दंगों में अपने दो बेटों हरभजन सिंह और अमरजीत सिंह को खोने वालीं 75 साल की गुरजल कौर कहती हैं कि अकालियों ने दंगा पीड़ितों की सबसे ज्यादा मदद की और राज्य जबकि कांग्रेस की केन्द्र तथा राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों ने  हमारी जिंदगी तबाह कर दी। अपने दो बेटों और पति को दंगों में खोने वाली चरणजीत कौर (59) कहती हैं,  हमने वो देखा है, जो लोगों ने विभाजन के समय भी नहीं देखा होगा। दंगाई भीड़ ने हजारों सिखों को जिंदा जला दिया और महिलाओं का बलात्कार किया। ‘1984 सिख कत्लेआम वेल्फेयर सोसायटी’ की महिला शाखा की गुरदीप कौर ने आरोप लगाया कि पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री राजिन्दर कौर भट्टल ने केंद्र द्वारा दिए गए अनुदान को राज्य में पीड़ित परिवारों तक नहीं पहुंचने दिया।

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वह अफसोस जताते हुए कहती है,  अकाली सरकार ने कुछ कदम उठाए, लेकिन वह पर्याप्त नहीं हैं। पंजाब में करीब 35,000 दंगा पीड़ित परिवार हैं और बादल सरकार ने केवल 3,000 परिवारों को ही फ्लैट दिये। उन्होंने कहा,  हत्याओं की जांच के लिये चार आयोग, नौ समितियां और दो विशेष जांच दल बने, क्यों? यह स्पष्ट है कि कांग्रेस सरकारें दंगों में किसी की भूमिका को छिपाना चाहती थीं। ‘आम आदमी पार्टी’ के पूर्व नेता एवं वरिष्ठ वकील एच एस फूल्का अदालती मामलों में दंगा पीड़ितों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह कहते हैं कि कांग्रेस ने सिख दंगों में शामिल नेताओं को दंडित करने के बजाय उन्हें आगे बढ़ाया। पंजाब कांग्रेस के एक नेता ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा कि दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह के वादे पर कोई सवाल नहीं कर सकता। नेता ने कहा,  जो कुछ हुआ था...उसके विरोध में उन्होंने खुद संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। 

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