मोदी के फैसले को पलटने वाले पहले सीएम बने विजय रूपाणी

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अभिनय आकाश । Sep 12 2019 5:33PM

मोदी सरकार ने यातायात नियमों की अनदेखी करने वालों पर इतना भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया कि कोई भी शख्स लाल बत्ती पार करने से पहले भी सौ बार सोचेगा। बहरहाल, इस सख्ती से यातायात व्यवस्था पटरी पर आएगी या नहीं ये तो भविष्य बताएगा। लेकिन वर्तमान में कुछ राज्य ऐसे भी हैं जिन्हें ये नया वाला मोटर कानून कुछ ज्यादा ही सख्त लग रहा है।

साल 2018 में साउथ की एक फिल्म आई थी ‘भारत अने नेनू’ जिसमें अभिनेता महेश बाबू ऑक्सफोर्ड से पढ़कर भारत आते हैं। पिता की मौत के बाद उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया जाता है। जब वह पहले दिन सीएम हाउस जाते हैं, तो सड़क पर लोगों की लापरवाही और ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ता देख हैरान हो जाते हैं। सीएम हाउस पहुंचने के बाद वह सबसे पहला काम ट्रैफिक को दुरुस्त करने का करते हैं। फिल्म में एक अधिकारी सीएम को बताता है कि बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर पांच सौ जुर्माना लेते हैं। यह सुनकर महेश बाबू कहते हैं कि इसे पांच हजार कर दो, सिग्नल तोड़ने पर एक हजार से बढ़ाकर 20 हजार कर दो। ड्राइविंग के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल करने पर एक हजार नहीं 25 हजार कर दो। रैश ड्राइविंग का जुर्माना एक हजार नहीं 30 हजार कर दो। पहले तो जनता इन कड़े नियमों से परेशान होती है। लेकिन कुछ दिन बाद लोगों का मुख्यमंत्री के प्रति गुस्सा भी शांत हो जाता है और राज्य की ट्रैफिक व्यवस्था भी लाइन पर आ जाती है। ये तो बात थी रील लाइफ कि अब रियल लाइफ पर आते हैं। 

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एक ऑटो का आरसी लाइसेंस, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट न होने का जुर्माना 39 हजार, एक ट्रक के नियम तोड़ देने का जुर्माना 86 हजार 500 रुपया। एक स्कूटी का चालान 23 हजार रुपया। हेलमेट नहीं तो हजार पॉल्यूशन नहीं तो दो हजार। डीएल नहीं तो 5 हजार, दारू पीकर गाड़ी चलाई तो दस हजार। वही सड़कें, वही गाड़ियां, वही लाल बत्ती, वही हेलमेट, वही सीट बेल्ट, वही ट्रैफिक के नियम पर जरा-सा नोटों का रंग और साइज क्या बदला सब कुछ बदल गया। सड़कों पर खौफ पसर गया। हेलमेट की गिरफ्त में आकर जुल्फें भी हवा में कहां लहरा पा रही हैं। दो पहिया से तो जैसे हम दो हमारे दो के नारे ही छीन लिए गए हैं। तीन-चार साथ-साथ बैठने वाले दोस्त भी अब किश्तों में घूम रहे हैं। रफ्तार तो अब साल में दो-चार बार होने वाली फॉर्मूला वन रेस जैसी हो गई है। अब नशे में ‘तू जानता नहीं मैं कौन हूं’ कि बजाए गाड़ी में पूरे और अधूरे कागजात ही बस याद रहते हैं। कोई गाड़ी छोड़कर भागता दिखा तो कोई फूंक कर। जब से नया वाला मोटर कानून आया है लग ही नहीं रहा कि हम भारत जैसे गरीब देश में रहते हैं। जहां बीस करोड़ से ज्यादा लोग रोज रात को भूखे पेट सोते हैं। ठीक है कि काम नहीं है, कमाई नहीं है, नौकरी नहीं है, स्कूल में पढ़ाई नहीं है। अस्पतालों में दवाई नहीं है लेकिन ट्रैफिक वाला जैसे ही हाथ देता है। आदमी ऐसे उतरता है जैसे चंद्रयान-2 चांद पर उतरा था। पता नहीं किस चौराहे पर या सड़क किनारे से अचानक वो आ जाए। उनके आने से डर लगता है। क्योंकि उनके आने का मतलब पूरे महीने का बजट चला जाना है। 

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लेकिन कहते हैं न कि सजा का डर ही किसी शख्स को अपराध करने से रोकता है। यानी जब तक सजा सख्त ना हो, कोई अपराध करने से नहीं डरता। नए ट्रैफिक नियमों की सबसे बड़ी खासियत यही है कि वह बेहद सख्त हैं। मोदी सरकार ने यातायात नियमों की अनदेखी करने वालों पर इतना भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया कि कोई भी शख्स लाल बत्ती पार करने से पहले भी सौ बार सोचेगा। बहरहाल, इस सख्ती से यातायात व्यवस्था पटरी पर आएगी या नहीं ये तो भविष्य बताएगा। लेकिन वर्तमान में कुछ राज्य ऐसे भी हैं जिन्हें ये नया वाला मोटर कानून कुछ ज्यादा ही सख्त लग रहा है। किसी राज्य ने तो अपने नागरिकों को रियायत दी तो कुछ ने इन नियमों को लागू ही नहीं किया। पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात ने तो नए मोटर व्हीकल एक्ट के जुर्माने के चालान का रेट ही आधा कर दिया। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर केंद्र के बढ़ाए जुर्माने को राज्य सरकार ने 25% से 90% तक कम कर दिया है। मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इसके लिए मानवीय आधार को कारण बताया है। नए नियमों के तहत हेलमेट या सीट बेल्ट पर 1000 रुपये का जुर्माना दिया जाना है, जबकि गुजरात में इसे 500 रुपये कर दिया गया है। दमकल की गाड़ी या ऐम्बुलेंस का रास्ता रोकने पर 10,000 रुपये की जगह 1,000 रुपये, दोपहिया पर ट्रिपलिंग के लिए 1,000 की जगह 100 रुपये जुर्माना कर दिया गया है। बीजेपी शासित कई प्रांतों समेत 12 राज्यों ने केंद्र की ओर से तय फाइन को घटाने के संकेत दिए हैं। बता दें कि नए मोटर वीइकल ऐक्ट में राज्यों को कुछ जुर्माने घटाने का अधिकार दिया गया है। 

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लेकिन नए ट्रैफिक नियमों के अंतर्गत आने वाले कुछ प्रावधानों को राज्य सरकार नहीं बदल सकती। इनमें नाबालिगों के गाड़ी चलाने पर 25 हजार जुर्माने के प्रावधान, शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 10 हजार का चालान और सिग्नल तोड़ने पर लगने वाले 5 हजार के जुर्माने शामिल हैं।

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नए ट्रैफिक नियमों को लेकर बने सख्त कानून से पूरे देश में बवाल मचा है लेकिन बता दें कि भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका से लेकर दुबई, रूस, सिंगापुर और ब्रिटेन जैसे देशों में ट्रैफिक तोड़ने पर भारी जुर्माने का प्रवाधान है।

 

 

अमेरिका

अमेरिका में अगर आप सीट बेल्ट के बिना गाड़ी चलाते हैं तो आपको 25 डॉलर (करीब 1,799.96) रुपए तक जुर्माना भरना पड़ता है। बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाने पर 500-1,000 डॉलर यानी करीब 72 हजार रुपए तक जुर्माना देना होगा।

अबू धाबी

सऊदी अरब में सख्त नियम कायदे कानून बनाए गए हैं। नशे में गाड़ी चलाने के लिए एक शख्स को 80 कोड़े मारने की सजा दी गई थी।

सिंगापुर

सिंगापुर में शराब पीकर गाड़ी चलाते हुए पकड़े जाने पर 5,000 डॉलर (करीब 3,59,822 रुपए ) तक का जुर्माना और 6 महीने की जेल की सजा है। 

हॉलैंड 

हॉलैंड में तेज रफ्तार गाड़ी चलाने पर हमेशा के लिए गाड़ी को जब्त कर लिया जाता है।

ब्रिटेन

ब्रिटेन में यदि आप गाड़ी चलाते समय किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल करते हुए पकड़े जाते हैं तो पुलिस आपके ऊपर 17 हजार रुपये का जुर्माना लगा सकती है।

ओमान

ओमान में यदि आप गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करते, वीडियो देखते या मैसेज करते हुए पकड़े जाते हैं आपको 10 दिन जेल की सजा हो सकती है।

ताइवान

ताइवान में नशा करके गाड़ी चलाने पर दो साल की सजा और लगभग 4 लाख 82 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है।

 

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