विश्वनाथ की फिल्म ‘शंकरभर्नम’ ने तेलुगू फिल्मोद्योग में एक नये दौर की शुरुआत की

Shankarabharanam
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साथ ही, इस फिल्म ने ‘टॉलीवुड’ (तेलुगू सिनेमा उद्योग) को ‘शंकरभर्नम’ से पहले और इसके बाद, दो दौर के रूप में विभाजित कर दिया। फिल्म उद्योग में एक ‘साउंड आर्टिस्ट’ के रूप में अपना सफर शुरू करने वाले विश्वनाथ ने हिंदी में भी सुपरहिट फिल्म बनाई, जिनमें ‘कामचोर’, ‘संजोग’ और ‘जाग उठा इंसान’ शुमार हैं।

फिल्मकार के. विश्वनाथ की 1980 में प्रदर्शित हुई फिल्म ‘शंकरभर्नम’ ने तेलुगू सिनेमा जगत में हलचल मचा दी थी। फिल्म समीक्षकों और दर्शकों ने एक स्वर में इसकी सराहना की थी। साथ ही, इस फिल्म ने ‘टॉलीवुड’ (तेलुगू सिनेमा उद्योग) को ‘शंकरभर्नम’ से पहले और इसके बाद, दो दौर के रूप में विभाजित कर दिया। फिल्म उद्योग में एक ‘साउंड आर्टिस्ट’ के रूप में अपना सफर शुरू करने वाले विश्वनाथ ने हिंदी में भी सुपरहिट फिल्म बनाई, जिनमें ‘कामचोर’, ‘संजोग’ और ‘जाग उठा इंसान’ शुमार हैं। प्रख्यात फिल्मकार ने बृहस्पतिवार रात अंतिम सांस ली।

उनका जन्म 1930 में आंध्र प्रदेश के रेपाल्ले में हुआ था। विश्वनाथ को ‘कलातपस्वी’ का दर्जा दिया गया।स्वाभाविक है कि ‘शंकरभर्नम’ के बाद उन्हें शोहरत और पुरस्कार भी मिले। ठीक 43 साल पहले यह फिल्म रिलीज हुई थी। हालांकि, उन्हें कई धाराओं की फिल्म में काम करने का प्रस्ताव मिला, लेकिन उन्होंने केवल वही फिल्म बनाने का फैसला किया, जो उनकी विचारधारा के अनुरूप थे। उनकी फिल्म कला एवं संस्कृति के इर्द-गिर्द केंद्रित रही। फिल्म उद्योग में करीब छह दशक के अपने करियर में उन्होंने 50 से अधिक फिल्म का निर्देशन किया।

तेलुगू सिनेमा में उनके योगदान के लिए उन्हें 1991 में प्रतिष्ठित रघुपति वेंकैया पुरस्कार से सम्मानित किया गया। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार के अलावा उन्हें 1992 में पद्म श्री से नवाजा गया। उनके नाम पांच राष्ट्रीय पुरस्कार, 20 नंदी पुरस्कार (आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाने वाला) और ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ सहित 10 फिल्मफेयर पुरस्कार भी हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के अनुसार, विश्वनाथ एक विरले विशिष्ट फिल्म निर्देशक थे जिन्होंने एक साधारण कहानी चुनी और अपनी शानदार प्रतिभा की बदौलत उसे रुपहले पर्दे पर एक शास्त्रीय फिल्म में तब्दील कर दिया।

उस दौर में ‘एक्शन हीरो’ की छवि रखने वाले चिरंजीवी और वेंकटेश जैसे अभिनेताओं ने विश्वनाथ की फिल्म में विभिन्न किरदार निभाएं। विश्वनाथ तमिल और हिंदी सिनेमा में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने 1965 में ‘आत्मा गोवरावम’ फिल्म के साथ निर्देशन की अपनी पारी की शुरूआत की और सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए नंदी पुरस्कार प्राप्त किया। फिल्मकार ने इसके बाद ‘चेल्लेली कपुरम’, ‘ओ सीता कथा’, ‘जीवन ज्योति’ और ‘सारदा’ का निर्देशन किया। उन्होंने तेलुगू फिल्म ‘स्वराभिशेकम’, ‘नरसिम्हा नायडू’, ‘लक्ष्मी नरसिम्हा’ के अलावा ‘कुरुतिपुनल’ व अन्य फिल्म में अभिनय भी किया। तेलुगू फिल्म प्रोड्यूसर्स काउंसिल ने कहा कि दिवंगत आत्मा के सम्मान में ‘टॉलीवुड’ में शुक्रवार को अवकाश घोषित किया गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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