विश्वभारती विवि ने नए बैक्टीरिया को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित टैगोर का नाम दिया

Visva-Bharati University
Creative Common

उन्होंने कहा कि बैक्टीरिया वाणिज्यिक उर्वरकों के उपयोग को कम करेगा और अंततः कृषि की लागत में कटौती करने और फसल की उपज को बढ़ावा देने में मदद करेगा। दाम ने कहा कि एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया (एएमआई) ने इस खोज को आधिकारिक तौर पर मान्यता दे दी है। उनके निष्कर्ष ‘इंडियन जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी’ में भी प्रकाशित हुए हैं। टैगोर के नाम पर इसका नाम रखने के कारण के बारे में पूछे जाने पर दाम ने कृषि को लेकर टैगोर के दूरदर्शी प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और उनके पुत्र रतिन्द्रनाथ टैगोर के कृषि संबंधी प्रयासों का सम्मान करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। टैगोर ने अपने बेटे को अमेरिका के इलिनोइस में कृषि विज्ञान का अध्ययन करने के लिए भेजा था।

विश्व-भारती विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के शोधार्थियों ने एक ऐसे बैक्टीरिया की खोज की है जो पौधों के विकास को बढ़ावा देने में सक्षम है और इसका नाम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर ‘ पेंटोइया टैगोरी’ रखा गया है। विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग के सहायक प्रोफेसर और अनुसंधान की अगुवाई करने वाले माइक्रोबायोलॉजिस्ट बोम्बा दाम ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा है कि बैक्टीरिया में कृषि पद्धतियों में क्रांति लाने की अपार क्षमता है। पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन में दाम ने कहा, “ यह पौधों के विकास को बढ़ावा देने वाला बैक्टीरिया है जो कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने वाला साबित होगा। इसने धान, मटर और मिर्च की खेती को बढ़ावा देने की अपार क्षमता दिखाई है।”

शोध में दाम की सहायता राजू विश्वास, अभिजीत मिश्रा, अभिनव चक्रवर्ती, पूजा मुखोपाध्याय और संदीप घोष ने की। दाम ने बताया कि उनकी टीम ने शांतिनिकेतन के एक क्षेत्र सोनाझुरी की मिट्टी से बैक्टीरिया को अलग किया। उन्होंने कहा, “ इसके बाद हमने झारखंड में झरिया की कोयला खनन पट्टी में बैक्टीरिया की खोज की।” दाम ने कहा कि पेंटोइया टैगोरी मिट्टी से कुशलतापूर्वक पोटैशियम निकालता है जो पौधों के विकास को बढ़ाता है। उन्होंने कहा, “ झरिया की कोयला खदानों की मिट्टी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया पोटैशियम और फास्फोरस को घुलनशील बनाते हैं और नाइट्रोजन स्तर ठीक करते हैं जो पौधों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।” दाम ने कहा, “हमारे विश्लेषण से पता चला कि यह बैक्टीरिया की एक नई प्रजाति है जो अद्वितीय प्रकृति की है।”

उन्होंने कहा कि बैक्टीरिया वाणिज्यिक उर्वरकों के उपयोग को कम करेगा और अंततः कृषि की लागत में कटौती करने और फसल की उपज को बढ़ावा देने में मदद करेगा। दाम ने कहा कि एसोसिएशन ऑफ माइक्रोबायोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया (एएमआई) ने इस खोज को आधिकारिक तौर पर मान्यता दे दी है। उनके निष्कर्ष ‘इंडियन जर्नल ऑफ माइक्रोबायोलॉजी’ में भी प्रकाशित हुए हैं। टैगोर के नाम पर इसका नाम रखने के कारण के बारे में पूछे जाने पर दाम ने कृषि को लेकर टैगोर के दूरदर्शी प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और उनके पुत्र रतिन्द्रनाथ टैगोर के कृषि संबंधी प्रयासों का सम्मान करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। टैगोर ने अपने बेटे को अमेरिका के इलिनोइस में कृषि विज्ञान का अध्ययन करने के लिए भेजा था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़