एक साथ आएं वॉलमार्ट और एसएम सहगल फाउंडेशन, 10 किसान उत्‍पादक संगठनों को पहुंचेगा सीधा लाभ

Crop POP demonstration Plot

छोटे तथा मार्जिनल किसानों को किसान उत्‍पादक संगठनों (एफपीओ) के तौर पर संगठित करना, उदीयमान बाजारों में किसानों के लाभ बढ़ाने की प्रमुख रणनीतियों में से है। इन संगठनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने पर ये छोटे किसानों के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों जैसे कि कम बाजार मूल्‍य, अधिक लागत, और टैक्‍नोलॉजी तथा बाजार तक सीमित पहुंच आदि को कम करने में कारगर साबित होते हैं।

एसएम सहगल फाउंडेशन ने ‘किसान उत्‍पादक संगठनों को मजबूत बनाने’ के उद्देश्‍य से दो वर्षीय परियोजना शुरू करने की आज घोषणा की है जिसे वॉलमार्ट फाउंडेशन से मिले 70 मिलियन रुपये के अनुदान से लागू किया जा रहा है। इस परियोजना से उत्‍तर प्रदेश तथा कर्नाटक के 10 किसान उत्‍पादक संगठनों (एफपीओ) को सीधे लाभ मिलेगा और करीब 5,000 छोटे किसानों तथा 25,000 की आबादी (किसान उत्‍पादक संगठनों के परिवारजनों) तक पहुंच बनेगी। छोटे तथा मार्जिनल किसानों को किसान उत्‍पादक संगठनों (एफपीओ) के तौर पर संगठित करना, उदीयमान बाजारों में किसानों के लाभ बढ़ाने की प्रमुख रणनीतियों में से है। इन संगठनों का कुशलतापूर्वक प्रबंधन करने पर ये छोटे किसानों के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों जैसे कि कम बाजार मूल्‍य, अधिक लागत, और टैक्‍नोलॉजी तथा बाजार तक सीमित पहुंच आदि को कम करने में कारगर साबित होते हैं। 

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वॉलमार्ट फाउंडेशन से प्राप्‍त अनुदान के चलते, एस एम सहगल फाउंडेशन इन दोनों राज्‍यों में जमीनी स्‍तर के समुदायों के साथ मिलकर, एफपीओ सदस्‍यों को प्रशिक्षित करने के साथ-साथ मौजूदा उत्‍पादक समूहों को पुनर्जीवित कर रहा है।  वॉलमार्ट फाउंडेशन में वाइस प्रेसीडेंट एवं चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जूली गहरकी ने कहा, ''हमारा कार्य हमारे साझा मूल्‍यों जैसे कि लोगों को बेहतर ढंग से जीवनयापन करने, प्रगति की राह पर बढ़ रहे समुदायों का निर्माण और अपने पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से संचालित होते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि हम अन्‍य भागीदारों के साथ मिलकर अवसर पैदा करने, अधिक सस्‍टेनेबल भविष्‍य का निर्माण करने, विविधता, इक्विटी और समावेशीकरण को बढ़ावा देने तथा समुदायों को परस्‍पर नज़दीक लाने के लिए कार्यरत हैं। हमने छोटे किसानों, खासतौर से महिला उत्‍पादकों के लिए सस्‍टेनेबल और कारगर एफपीओ को बढ़ावा देकर अधिक सुरक्षित, समृद्ध अैर प्रतिष्ठित कृषि क्षेत्र के निर्माण के लिए इस परियोजना को शुरू किया है। इन किसान उत्‍पादक संगठनों को अपने बिज़नेस मॉडलों को तैयार और कार्यान्वित करने में क्षमता निर्माण की महत्‍वपूर्ण भूमिका हो सकती है, साथ ही मुक्‍त एवं पारदर्शी संरचनाओं के बलबूते ये हमारे सदस्‍यों के लिए दीर्घकालिक आधार पर लाभ जुटा सकते हैं।'' 

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परियोजना के बारे में, सुश्री अंजलि मखीजा, मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी, एस एम सहगल फाउंडेशन ने बताया, ''पिछले बाईस वर्षों से, एस एम सहगल फाउंडेशन भारत के ग्रामीण समुदायों के साथ काम करते हुए जल संसाधनों के प्रबंधन, कृषि उत्‍पादकता में सुधार, और किसानों एवं उनके समुदायों के हित के लिए महिला सशक्तिकरण पर खास ज़ोर देते हुए  स्‍थानीय भागीदारी को मजबूत बनाने की दिशा में कार्यरत है। मैं छोटे किसानों और खासतौर से महिला उत्‍पादकों के साथ मिलकर एफपीओ संबंधी इस परियोजना के लिए टीम को बधाई देती हूं, जिन्‍हें शुरुआत से ही साथ लेकर उनकी नेतृत्‍व क्षमता के निर्माण पर ज़ोर दिया जा रहा है। एफपीओ के स्‍तर पर, महिलाओं का प्रतिनिधित्‍व, लैंगिक संवेदीकरण और महिला नेतृत्‍व का समावेशीकरण आगे चलकर मानकों एवं प्रोत्‍साहों में बदलाव लाने वाले मार्गदर्शी मॉडल का निर्माण करेगा।'' यह परियोजना उत्‍तर प्रदेश के प्रयागराज और कर्नाटक के कोलार में लागू हो गई है और इसके तहत् एफपीओ को मजबूती देने के लिए एक सामूहिक दृष्टिकोण को अपनाया गया है। परियोजना के तहत्, कृषि की वैज्ञानिक तकनीकों, पूंजी, टैक्‍नोलॉजी, कृषि इनपुट, सामाजिक पूंजी तक पहुंच तथा वित्‍त एवं बाजारों तक पहुंच के अलावा महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया जाता है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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