अजय माकन का दावा, राजस्थान में कांग्रेस के पास संख्याबल, सदन में साबित कर देंगे बहुमत

Ajay Maken

कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि हमें विश्वास है कि हमारे पास संख्या बल है। हम सदन में बहुमत साबित कर देंगे। हमें पूरा भरोसा है कि विधानसभा में हमें मिलने वाले मतों की संख्या बहुमत से भी 15-20 अधिक होगी

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय द्वारा बागी विधायकों की याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय को फैसला सुनाने की अनुमति देने के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि वह विधानसभा के पटल पर किसी भी समय बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं क्योंकि उसके पास बहुमत का आंकड़ा मौजूद है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने यह भी कहा कि अगर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 अन्य बागी विधायकों को किसी तरह की शिकायत थी तो वो पार्टी के मंच पर बात कर सकते थे, लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि हालिया घटनाक्रम के पीछे भाजपा का हाथ है। 

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उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हमें विश्वास है कि हमारे पास संख्या बल है। हम सदन में बहुमत साबित कर देंगे। हमें पूरा भरोसा है कि विधानसभा में हमें मिलने वाले मतों की संख्या बहुमत से भी 15-20 अधिक होगी।’’ एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हम अदालत में नहीं गए थे। विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने वाले विधायक अदालत में गए। यह राजनीतिक लड़ाई है और कानूनी लड़ाई इसका एक हिस्सा भर है।’’ माकन ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय का निर्णय कल आएगा। दो राय आई हैं। एक राय यह है कि अभी सदन में बहुमत साबित करने के लिए आगे बढ़ें और दूसरी राय यह है कि न्यायालय के फैसले का इंतजार कर लें ताकि कोई बहाना नहीं रह जाए।’’  

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यह पूछे जाने पर कि सदन का सत्र कब बुलाया जाएगा तो उन्होंने कहा, ‘‘ सत्र कभी भी बुलाया जा सकता है। हम पूरी तरह तैयार हैं।’’ गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने सचिन पायलट सहित कांग्रेस के 19 बागी विधायकों की याचिका पर अपना आदेश सुनाने की राजस्थान उच्च न्यायालय को बृहस्पतिवार को अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसकी व्यवस्था विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका पर आने वाले निर्णय के दायरे में होगी। हालांकि, इस मामले में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सी पी जोशी अपनी उन दलीलों पर शीर्ष अदालत से किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत पाने में विफल रहे जिसमें कहा गया था कि संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत उनके द्वारा की जा रही अयोग्यता की कार्यवाही से उच्च न्यायालय उन्हें रोक नहीं सकता।

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