संविधान संशोधन के बाद ही बदला जा सकेगा पश्चिम बंगाल का नाम
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने भले ही पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘ बांग्ला ’ किये जाने संबंधी एक प्रस्ताव आज पारित कर दिया हो लेकिन अंतिम अनुमोदन की प्रक्रिया में लंबा समय लगेगा।
नयी दिल्ली। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने भले ही पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘ बांग्ला ’ किये जाने संबंधी एक प्रस्ताव आज पारित कर दिया हो लेकिन अंतिम अनुमोदन की प्रक्रिया में लंबा समय लगेगा। इसमें संविधान संशोधन की प्रक्रिया भी शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि पश्चिम बंगाल का नाम बदले जाने संबंधी ममता बनर्जी सरकार के पहले प्रस्ताव को इस आधार पर केन्द्र के विरोध का सामना करना पड़ा था कि यह पडो़सी देश बांग्लादेश के समान लगता है।
केन्द्र यह भी चाहता था कि तीन भाषाओं बंगाली, हिन्दी और अंग्रेजी में राज्य के लिए केवल एक ही नाम हो। जब केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सामने औपचारिक रूप से नया प्रस्ताव आता है , तो इसके लिए संविधान की अनुसूची एक में संशोधन के लिए कैबिनेट की मंजूरी के लिए एक नोट तैयार किया जाएगा। इसके बाद संसद में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जायेगा जिसे एक साधारण बहुमत के साथ मंजूर किये जाने की जरूरत होगी और इसके बाद इसे राष्ट्रपति अपनी स्वीकृति देंगे। राज्य सरकार ने तीन नामों बांग्ला (बंगाली में), बेंगाल (अंग्रेजी में) और बंगाल (हिन्दी में) का प्रस्ताव दिया था। केन्द्र सरकार ने इसका विरोध किया था कि तीन भाषाओं में अलग-अलग नाम नहीं होने चाहिए।
ममता बनर्जी सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया था कि राज्य का नाम बदलकर ‘पश्चिम बंगो’ (बंगाली में पश्चिम बंगाल) किया जाना चाहिए लेकिन केन्द्र सरकार से इस पर भी समर्थन नहीं मिला था। अधिकारी ने बताया कि अब यह देखना होगा कि केन्द्र सरकार का रूख अब क्या होगा क्योंकि राज्य सरकार ने आज ‘बांग्ला’ नाम रखे जाने का प्रस्ताव दिया है। पिछली बार 2011 में किसी राज्य का नाम बदला गया था। उस समय उडीसा का नाम बदलकर ओडिशा किया गया था। इससे पहले 1995 में बम्बई का नाम बदलकर मुम्बई , 1996 में मद्रास का नाम बदलकर चेन्नई और 2001 में कलकत्ता को कोलकाता किया गया था।केन्द्र सरकार ने 2014 में कर्नाटक के 11 शहरों के लिए नाम परिवर्तन को मंजूरी दी थी।
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