कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था पर मोदी सरकार को घेरा तो गोयल ने मनमोहन को दिखाया आईना

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अभिनय आकाश । Oct 17 2019 3:28PM

पीयूष गोयल ने मनमोहन सिंह पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों वे इतने असहाय थे कि उन्हें 10 जनपथ के आदेशों का पालन करना पड़ा और खुद के फैसले लेने की कोई क्षमता नहीं थी।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आरोपों पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने पलटवार किया है। पीयूष गोयल ने कहा कि मनमोहन सिंह ने एक भ्रष्ट सरकार चलाई। गोयल ने मनमोहन सिंह के कार्यकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि उस दौरान सरकार कई विवादों से घिरी थी। गोयल ने कहा कि संप्रग सरकार ने भ्रष्टाचार और घोटालों के अलावा कुछ नहीं किया और मनमोहन सिंह अपनी सरकार की नाकामियों को स्वीकार करें। गोयल ने कहा कि मनमोहन सिंह को अपनी विफलताओं पर चिंतन करना चाहिए, जहां वे गलत हो गए थे। क्यों वे एक मजबूत अर्थव्यवस्था को बनाए नहीं रख सके और एक ईमानदार सरकार नहीं दे पाए। गोयल ने मनमोहन सिंह पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों वे इतने असहाय थे कि उन्हें 10 जनपथ के आदेशों का पालन करना पड़ा और खुद के फैसले लेने की कोई क्षमता नहीं थी।

बता दें कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार न केवल देश में बल्कि दुनिया भर में बदनाम रही थी। उस दौरान अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने मनमोहन सिंह को नाकामयाब और असहाय प्रधानमंत्री करार देते हुए यूपीए सरकार को सबसे भ्रष्ट सरकार कहा था। गौरतलब है कि मनमोहन सिंह सरकार के दौरान घोटालों की बाढ़ सी आ गई थी। मनमोहन सिंह के पीएम रहने के दौरान ऑयल फार फूड, सत्यम घोटाला, आईपीएल घपला, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, आदर्श  घोटाला, इसरो घोटाला, कोयला घोटाला, एनएचआरएम, अगस्ता वेस्टलैंड जैसे प्रमुख घोटालों से देश रूबरू हुआ था। उस दौर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर लगातार 10 जनपथ से निर्देशों को मानने के आरोप लगातार लगते रहे थे।

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मंदी और सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था जैसे आरोप झेल रही मोदी सरकार को सवालों के कटघरे में खड़े करने के लिए कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री और  अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह का सहारा लिया। भारतीय अर्थव्यवस्था पर चिंता जाहिर करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि आर्थिक मंदी की वजह से महाराष्ट्र पर काफी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र भर में कारोबारी धारणा काफी कमजोर, कई इकाइयां बंद हुईं हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा सरकार लोगों के अनुकूल नीतियां नहीं अपनाना चाहती है, जिसका असर आज देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि निवेश आकर्षित करने में महाराष्ट्र पहले नंबर पर था था। आज, यह किसान आत्महत्याओं में अग्रणी है। कृषि आय दोगुनी करने के वादे के बावजूद, महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में संकट कम होने के आसार नहीं हैं।

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