जब परमाणु परीक्षण कर वाजपेयी जी ने लिया था अमेरिका से लोहा

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[email protected] । Aug 17 2018 12:10AM

अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तभी वह परमाणु परीक्षणों का आदेश दे देते लेकिन उनकी सरकार बस 13 दिन ही चली और भारत के परमाणु शक्ति बनने के सफर में देरी हो गयी।

अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में जब पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तभी वह परमाणु परीक्षणों का आदेश दे देते लेकिन उनकी सरकार बस 13 दिन ही चली और भारत के परमाणु शक्ति बनने के सफर में देरी हो गयी। विशेषज्ञों ने आज यह बात कही। वाजपेयी जब दूसरी बार मार्च, 1998 में प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने तत्काल परमाणु परीक्षण करने का आदेश दिया जिसके बाद भारत ने खुद को परमाणु शक्ति राष्ट्र घोषित किया।

वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने 11 मई, 1998 को तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किये। 13 मई को दो और परीक्षण होने के साथ ही परीक्षणों की नियोजित श्रृंखला पूरी हुई। इन परीक्षणों के बाद भारत ने खुद को परमाणु शक्ति राष्ट्र घोषित कर दिया। वैसे परीक्षण करने का फैसला वाजपेयी से पहले पी वी नरसिंहराव ने किया था लेकिन इस योजना को मूर्त रुप नहीं दिया जा सका क्योंकि वह 1996 का चुनाव हार गये। इस चुनाव में वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सबसे बड़े दल के रुप में उभरी। वाजपेयी ने सरकार बनायी जो महज एक पखवाड़े (16मई 1996 से एक जून, 1996 तक) चली क्योंकि वह विश्वासमत नहीं जीत पायी। 

पूर्व राजनयिक राकेश सूद ने कहा, ‘‘1996 में यदि वाजपेयी प्रधानमंत्री (विश्वासमत) जीत जाते तो वह तभी परीक्षणों का आदेश दे देते क्योंकि समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर वार्ता आगे बढ़ रही थी।’’ जब वाजपेयी मार्च, 1998 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने तत्काल परीक्षण का आदेश दिया और उनके सत्ता में आने के दो महीने पूरा होने से पहले ही परमाणु परीक्षण किये गये। आज शाम गुजर गये पूर्व प्रधानमंत्री ने उसी समय भविष्य में परीक्षण पर विराम की भी घोषणा की थी।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में प्रतिष्ठित फेलो और परमाणु एवं अंतरिक्ष पहल प्रभारी राजेश्वरी पिल्लई राजगोपालन ने कहा, ‘‘वह (1998 में) जब सत्ता में लौटे तब शीघ्र ही उन्होंने परीक्षण का आदेश दिया। वह इसकी जरुरत से भी अच्छी तरह रुबरु थे और उन्हें भारत के समक्ष आने वाली मुश्किलों का भी भान था। लेकिन हम सौभाग्यशाली है कि उन्होंने ऐसा करने का फैसला किया क्योंकि इसमें पहले ही काफी देर हो चुकी थी तथा उसमें और देरी नहीं की जा सकती थी।’’

नि:शस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार को लेकर 2013-14 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के विशेष दूत रहे सूद ने कहा, ‘‘1974 के परीक्षण के बाद भारत ने खुद को परमाणु शक्ति राष्ट्र घोषित नहीं किया था क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण बताया था। 1998 के परीक्षण ने परीक्षण की तकनीकी अनिवार्यता एवं भारत को जिम्मेदार परमाणु शक्ति राष्ट्र घोषित करने की राजनीतिक फैसले दोनों ही दर्शाये।’’

वाजपेयी को उस दौरान भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वैज्ञानिक स्वतंत्र ढंग से अपना काम करते रहें। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक अनिल काकोकडर ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘उनका बहुत ही निर्णायक और मजबूत नेतृत्व था। वह जो भी कहना चाहते थे, बहुत दृढ़ता से कहते थे। उन्होंने दबाव नीचे तक नहीं जाने दिया।’’

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