नेताओं को हर अपराध की घोषणा करनी होगी या नहीं, तय करेगा SC
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह इस पर गौर करेगा कि क्या नेताओं को नामांकन पत्र भरते समय हर अपराध का उल्लेख करना होगा या सिर्फ उनके खिलाफ दर्ज जघन्य अपराधों के बारे में बताना होगा।
उच्चतम न्यायालय ने आज पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें भाजपा सांसद छेदी पासवान के चुनाव को खारिज कर दिया गया था। साथ ही शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि वह इस बात पर गौर करेगा कि क्या राजनीतिक नेताओं को नामांकन पत्र भरते समय हर अपराध का अनिवार्य रूप से उल्लेख करना होगा या केवल उनके खिलाफ दर्ज जघन्य अपराधों के बारे में बताना होगा।
न्यायालय ने यह टिप्पणी उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाते हुए की जिसमें सासाराम (सुरक्षित) लोकसभा सीट से पासवान के चुनाव को इसलिए खारिज कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामले के ब्यौरे को दबा दिया था। पासवान ने 2014 के आम चुनाव में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पराजित किया था। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘हमें गहराई में जाना होगा। यह एक गंभीर मुद्दा है। हमें यह देखना होगा कि क्या पूर्व आदेश के तहत प्रत्येक अपराध आएगा या केवल गंभीर अपराध आएंगे।’’ पासवान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि उनके पास तीन मामले हैं जिनमें से दो मामलों में छह माह की सजा है तथा तीसरा मामला प्रदर्शन के दौरान यातायात अवरूद्ध करने का है।
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