देश में दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था का जिम्मेदार कौन?

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अंकित सिंह । Jun 26 2019 2:07PM

नीति आयोग की ओर से जारी दूसरी हेल्थ इंडेक्स रिपोर्ट में यह कहा गया है कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में केरल सबसे आगे है तो उत्तर प्रदेश निचले पायदान पर है।

कहते है कि एक देश की तरक्की तभी संभव है जब वहां स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर जागरूकता हो। स्वास्थ्य और शिक्षा पर सरकार के साथ-साथ आम लोगों की भागीदारी भी रहनी चाहिए। भारत जैसे विशाल और जनसंख्या वृद्धि का दबाव झेल रहा देश इस मामले में लगातार पिछड़ता जाए तो इसमें हम सब को हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसके लिए हम जब जिम्मेदार हैं। इस मामले में ना तो अब तक की सरकारें गंभीर नजर आई हैं और ना ही आम जनता अपने हक की पुरजोर तरीके से मांग करती नजर आई है। हम समाज नहीं बल्कि व्यक्तिगत फायदे में ज्यादा यकीन रखते है और यहीं कारण है कि हम अपने फायदे को लेकर ज्यादा सक्रिय रहत हैं। साथ ही साथ यह भी देखने को मिलता है कि आम जनता अपने हक के लिए सत्तासीनों के सामने याचक बनी रहती है और यहीं वो कारण है जिसने हमारे नेताओं को गैरजिम्मेदार बना दिया है। आज फिलहाल हम देश की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर बात करेंगे। 

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हाल ही में नीति आयोग की ओर से जारी दूसरी हेल्थ इंडेक्स रिपोर्ट में यह कहा गया है कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में केरल सबसे आगे है तो उत्तर प्रदेश निचले पायदान पर है। हैरनी की बात तो यह है कि इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं देखा गया है। नीति आयोग की तरफ से यह बात ऐसे समय में कही गयी है जब वर्तमान की सरकार अपने पांच साल पूरे करने का बाद सत्ता में आई है और लगातार प्रधानमंत्री न्यू इंडिया बनाने की बात कर रहे हैं। हां, हरियाणा, राजस्थान और झारखंड से अच्छी खबर यह रही कि स्वास्थ्य सुविधाओं में संतोषजनक वृद्धि देखने को मिली है। वहीं आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दूसरे और तीसरे स्थान पर कब्जा जमाया है। नीति आयोग ने यह सर्वेक्षण 23 मानकों के आधार पर किया है। 

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हाल में चर्चा में रहे मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की भी बात करनी जरूरी है जहां 200 के करीब बच्चे अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं। यहां की कराहती स्वास्थ्य व्यवस्था को इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना गया है और यही देखने को भी मिला। यहां कि जर्जर दीवारें और हर तरफ की गंदगी आपको अस्पताल में चहुंओर फैले भ्रष्टाचार रूपी यमराज को दिखाती है। हां, मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ता और नेता के हॉस्पिटल में जाने के बाद स्थिति में थोड़ा सा सुधार भी आया है। सभी डॉक्टर अपने निजी क्लिनिक के माध्यम से जनता को लूट रहे हैं। शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ. ब्रजमोहन के चैंबर में ताला लगा है। पूछने पर पता चला कि वह यहां कभी-कभी ही आते हैं। हॉस्पिटल का भवन जर्जर है तो ठीक उसके बगल में सुपरिटेंडेंट का आवास चमक रहा है। हॉस्पिटल में आईसीयू बगैर कई जरूरी सुविधाओं के चल रहे हैं। पीने का पानी या फिर मरीजों के लिए अन्य सुविधा की बात करे तो वह यहां से नदारद है। 

बिहार में आज ही फैजान के साथ एक ऐसी घटना घटी जो यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती है। हुआ यह है कि फैजान के बांया हाथ टूटा था और शूरवीर डॉक्टरों ने उसके दांए हाथ पर प्लास्टर लगा दिया। यह कारनामा कहीं और नहीं, बिहार के ही दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुआ है। फैजान की मां की बात पर ध्यान दें तो यह हमारे स्वास्थ्य व्यवस्था को और भी शर्मसार करती है। उनकी मां कहती हैं कि यह पूरी तरह से लापरवाही है। हमें अस्पताल द्वारा दवाई की एक भी गोली प्रदान नहीं की गई थी। यह तो बिहार के एक हॉस्पिटल की छोटी सी कहानी है। न जाने ऐसी कई कहानियां बिहार के अन्य शहरों में भी देखने को मिल जाएगा। उत्तर प्रदेश में भी सरकरी स्वास्थ्य केंद्र की भी हालत बेहद खराब है। भले ही विकास के तमाम दांवे किए जाते हो पर मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल की हालत खराब है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित यूपी-बिहार के सबसे बड़े अस्पताल बीचयू से भी लापरवाही की खबरें आती रहीं हैं। अस्पतालों की बदहाली का आलम तो ऐसा है कि हम सिर्फ उम्मीद ही कर सकते हैं कि शायद कोई तो इस पर जागेगा। 

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