उत्तर प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन से योगी सरकार को क्यों है इनकार ?

Yogi government
अंकित सिंह । Apr 20 2021 4:00PM

कुछ विश्लेषक यह मान रहे हैं कि फिलहाल उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहे है। अगले साल यहां विधानसभा के भी चुनाव होने है। ऐसे में अपनी छवि बचाए रखने के लिए योगी सरकार लॉकडाउन से पीछे हट रही है।

उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। प्रदेश के कुछ शहरों में कोरोना संक्रमण की स्थिति बेहद ही गंभीर है। इसी को ध्यान में रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में 5 शहरों में लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था। यह 5 शहर थे लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी, कानपुर और प्रयागराज। जैसे ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया उसी के साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी कि वह राज्य में फिलहाल पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार नहीं कर रही है।  इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और फिलहाल शीर्ष न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी है।

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लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि प्रदेश में कोरोना की स्थिति बेकाबू होने के बावजूद योगी सरकार आखिरकार लॉकडाउन क्यों नहीं लगाना चाहती है? इसको लेकर अलग-अलग तर्क दिए जा रहे है।  लॉकडाउन नहीं लगाने के पीछे सरकार का क्या तर्क है यह बेहतर तरीके से सरकार ही बता पाएगी। फिलहाल सरकार की ओर से सबसे बड़ा तर्क यह दिया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन का कोई भी इरादा नहीं है। योगी सरकार ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए सख्ती की आवश्यकता है और सरकार की ओर से ऐसे कई कदम उठाए गए हैं और आगे भी सख्त कदम उठाए जा सकते है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि जीवन बचाने के साथ-साथ गरीबों की आजीविका भी बचानी है। इसी कारण पूर्ण लॉकडाउन फिलहाल प्रदेश में संभव नहीं है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में 15 मई तक रात्रि कालीन कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है। साथ ही साथ पूरे प्रदेश में रविवार को साप्ताहिक बंदी का भी घोषणा की गई है। हालांकि, सिर्फ ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन लगने से उत्तर प्रदेश में गरीबों की आजीविका में दिक्कत आएगी। बल्कि इसकी कुछ सियासी मजबूरियां भी हैं। जाहिर सी बात है कि सरकार की ओर से ऐसे कई फैसले लिए जाते है तो सीधा-सीधा राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो जाता है। दरअसल, कुछ विश्लेषक यह मान रहे हैं कि फिलहाल उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहे है। अगले साल यहां विधानसभा के भी चुनाव होने है। ऐसे में अपनी छवि बचाए रखने के लिए योगी सरकार लॉकडाउन से पीछे हट रही है। 

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प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से ऐसी कई तस्वीरें आ रही हैं जो यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल रही है। राजधानी लखनऊ में rt-pcr जांच से लेकर अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और रेमडेसीविर जैसी दवाओं की लगातार कमी है। हालांकि सरकार की ओर से बार-बार यह कहा जा रहा है कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए है और लगातार इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। इन्हीं व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर हाईकोर्ट ने लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था जोकि योगी सरकार के लिए सहज नहीं था। सरकार को लगता है कि अगर हाईकोर्ट के आदेश पर लॉकडाउन लगाया जाता है तो कहीं ना कहीं सरकार के फेल होने का संदेश जनता के बीच में जाएगा। इससे ना सिर्फ आने वाले चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है बल्कि इससे सरकार की छवि भी धूमिल होगी।

एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि अगर उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन लगाया जाता है तो कहीं ना कहीं पंचायत चुनाव को टालना पड़ेगा और सरकार किसी भी सूरत में पंचायत चुनाव को टालना नहीं चाहती है। इसके अलावा अगले साल विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार रणनीतिक तौर पर आगे बढ़ना चाहती है। अगर लॉकडाउन लगाया जाता है तो आर्थिक स्थितियों पर असर पड़ेगा और इसका ठीकरा योगी सरकार पर फूटेगा। विपक्ष भी ऐसे में सवाल खड़ा करेगा। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि लॉकडाउन लगाने से आर्थिक स्थिति पर काफी असर पड़ सकता है। मौजूदा हालात भी बेहतर नहीं है। ऐसे में अगर अब लॉकडाउन लगाया जाता है तो आर्थिक गतिविधियां बंद हो जाएगी जिससे राज्य के वित्तीय कोष को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।

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