3 बच्चों की माँ ननकाना साहिब के दर्शन करने पाक गयी, वहाँ इस्लाम कबूल कर निकाह किया
31 वर्षीय एक सिख विधवा वैशाखी पर ननकाना साहिब के दर्शनों के लिए पाकिस्तान गयी थी लेकिन वहाँ जाते ही उसने इस्लाम धर्म अपना लिया और मुहम्मद आजम से शादी कर ली।
चंडीगढ़। एक सिख विधवा वैशाखी पर ननकाना साहिब के दर्शनों के लिए पाकिस्तान गयी थी लेकिन वहाँ जाते ही उसने इस्लाम धर्म अपना लिया और मुहम्मद आजम से शादी कर ली। पंजाब में होशियारपुर के गढ़शंकर कस्बे की 31 वर्षीय किरण बाला 12 अप्रैल को 1800 श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ अटारी सीमा से पाकिस्तान पहुँची थी। 16 अप्रैल को उसने लाहौर में इस्लाम धर्म अपना लिया और फिर आजम से निकाह कर लिया। हैरानी की बात यह है कि किरण बाला ने यह कदम तब उठाया है जबकि वह तीन बच्चों की माँ है। वह घर से बच्चों को यह कह कर निकली थी कि जल्द ही दर्शन कर वापिस आयेगी लेकिन वहाँ जाकर उसने अपना नया घर बसा लिया। किरण बाला के पति की 2013 में हुई एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी है। उसका पति हिमाचल प्रदेश की एक फैक्टरी में काम करता था।
किरण बाला के इस कदम से उसके गाँव के सभी लोग हैरान और परेशान हैं और इस मामले ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता भी बढ़ा दी है। किरण के ससुर और पूर्व ग्रंथी तरसेम सिंह ने कहा है कि उन्हें आशंका है कि उनकी बहू आईएसआई के जाल में फँस गयी और उनकी एजेंट बन गयी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किरण बाला हर समय सोशल मीडिया पर फेसबुक और व्हाट्सऐप के जरिये अनजान लोगों के संपर्क में रहती थी। तरसेम सिंह ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से इस मामले में हस्तक्षेप करने और किरण बाला को पाकिस्तान से वापस लाने में मदद करने की अपील की है।
एसजीपीसी जोकि श्रद्धालुओं के जत्थे तैयार करवाता है उसने इस मामले में कहा है कि यह भारतीय खुफिया एजेंसियों की विफलता है कि उन्हें इस मामले की भनक नहीं लगी। वहीं किरण बाला ने इस मामले पर मीडिया से बात करते हुए कहा है कि मुझ पर किसी ने दबाव नहीं बनाया मैंने जो किया खुद ही किया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में यह मामला तब सुर्खियों में आया था जब भारतीय राजनयिकों ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान ने तीर्थ यात्रा पर आए सिख श्रद्धालुओं से उन्हें मिलने नहीं दिया था। हालांकि पाकिस्तान ने इस आरोप को खारिज कर दिया था लेकिन माना जा रहा है कि पाक एजेंसियों को पता था कि उनकी एजेंट किरण बाला आ रही है इसीलिए भारतीय राजनयिकों को दूर रखा गया।
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