धर्म परिवर्तन से क्या पैतृक संपत्ति में अधिकार खत्म? कोर्ट करेगी विचार
किसी महिला का पैतृक संपत्ति से अधिकार क्या सिर्फ इस वजह से खत्म हो जाता है कि उसने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लिया है? राजधानी में एक अदालत इस सवाल का सामना कर रही है।
किसी महिला का पैतृक संपत्ति से अधिकार क्या सिर्फ इस वजह से खत्म हो जाता है कि उसने हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम अपना लिया है? राजधानी में एक अदालत इस सवाल का सामना कर रही है जहां 33 वर्षीय एक महिला ने अपने मृत पिता द्वारा खरीदी गयी संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर अदालत में दीवानी वाद दायर किया है। उसके दो भाइयों ने कहा है कि उसका संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। वर्ष 2011 में पहले पति की मृत्यु के बाद महिला ने 2013 में एक मुस्लिम युवक से शादी के बाद इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। महिला ने अदालत से मांग की है कि वह उसे पूर्वी दिल्ली के शाहदरा, अशोक नगर में संपत्ति की एक तिहाई मालिक घोषित करे।
उसके भाइयों ने हालांकि कहा कि इस्लाम कबूल करने के बाद वह एक हिंदू परिवार की संपत्ति पर किसी तरह के अधिकार का दावा नहीं कर सकती। अतिरिक्त जिला जज रविंदर सिंह ने इस मामले में सुनवाई के लिये 26 अगस्त की तारीख तय की है। एडवोकेट अमित कुमार के जरिये दायर अपने वाद में महिला ने कहा कि उसके भाइयों ने उसके साथ छल किया और उसके हिस्से की संपत्ति जाली दस्तावेज तैयार कर अपने नाम करा ली। उन्होंने कहा कि जब उसके पिता और माता की क्रमश: 2010 और 2008 में मृत्यु हुई तो उनके तीनों बच्चे उस वक्त करीब 20 लाख रूपये मूल्य की अविभाजित संपत्ति के संयुक्त स्वामी थे। उसने दावा किया कि वर्ष 2012 में उसके भाई संपत्ति को तीन बराबर हिस्सों में विभाजित कराने के बहाने उसे सब-रजिस्ट्रार के दफ्तर ले गये और उसने उन पर भरोसा कर दस्तावेजों पर दस्तखत कर दिये।
महिला ने कहा कि शुरू में उसे संपत्ति के किरायेदारों से आने वाले किराये में उसका हिस्सा मिलता था। हालांकि उसकी दूसरी शादी के बाद यह कभी इस बहाने तो कभी उस बहाने अनियमित होता गया। बाद में उन्होंने रूपये देना पूरी तरह ही बंद कर दिया। उसने दावा किया कि अगस्त 2015 में भाइयों ने संपत्ति में उसके हिस्से से इनकार कर दिया। पिछले साल जुलाई में उन्होंने कथित तौर पर अवैध रूप से संपत्ति बेचने की कोशिश की। दीवानी वाद के जवाब में दोनों भाइयों ने कहा कि उनकी बहन हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत संपत्ति के किसी भी हिस्से पर उत्तराधिकार के अयोग्य है क्योंकि एक मुस्लिम से विवाह के बाद उसने इस्लाम धर्म अपना लिया और इस विवाह से उसे एक बच्चा भी है। उन्होंने इस वाद को खारिज करने की मांग करते हुये कहा कि अब वह हिंदू नहीं रह गयी है और दावा किया कि उन्होंने कोई धोखा नहीं किया। महिला ने अपने भाइयों के खिलाफ कड़कड़डुमा अदालत में धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और जालसाजी की आपराधिक शिकायत भी दी है।
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