शशि थरूर पर चढ़ा विश्व कप का खुमार, बजट को क्रिकेट से जोड़ा

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[email protected] । Jul 8 2019 5:08PM

उन्होंने बेरोजगारी दर के 6.1 फीसदी पहुंचने का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछली बार हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार ने इस बार के बजट में रोजगार सृजन का कोई उल्लेख नहीं किया।

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट को ‘त्रिशंकु बजट’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि सरकार ने क्रिकेट विश्व कप के इस मौसम में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर ‘रक्षात्मक बल्लेबाजी’ की, ‘कैच छोड़े’ और ‘नो बॉल’ भी फेंकी। लोकसभा में आम बजट 2019-20 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने यह सवाल भी किया कि जब हर मानक पर अर्थव्यवस्था संघर्ष करती नजर आ रही है तो फिर 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य कैसे पूरा होगा? उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद दूसरी महिला वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश करने के लिए निर्मला सीतारमण को बधाई भी दी और कहा कि वह वित्त मंत्री की काबिलियत के प्रशंसक हैं। थरूर ने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट के जरिए अर्थव्यवस्था की सुनहरी तस्वीर पेश करने की कोशिश की, लेकिन पिछले पांच साल के आर्थिक कुप्रबंधन की विरासत ने उनकी कोशिशों को झटका दे दिया।

उन्होंने कहा कि क्रिकेट विश्वकप चल रहा है और मंगलवार को सेमीफाइनल मैच है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर ‘रक्षात्मक बल्लेबाजी’ की, ‘कैच छोड़े’ और ‘नो बॉल’ भी फेंकी। थरूर ने शेरो-शायरी के जरिए सरकार पर तंज किया और दावा किया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि बजट में आवंटन का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया। ‘‘यह ‘त्रिशंकु बजट’ है जिसमें दिशा स्पष्ट नहीं है।’’ कांग्रेस सदस्य ने कहा कि सरकार 2024-25 तक देश की अर्थव्यवस्था को पांच हजार अरब डॉलर तक ले जाने की बात कर रही है, लेकिन सभी मानकों पर अर्थव्यवस्था की जो स्थिति है और विकास दर की हालत को देखते हुए यह कैसे होगा? 

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उन्होंने बेरोजगारी दर के 6.1 फीसदी पहुंचने का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछली बार हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली सरकार ने इस बार के बजट में रोजगार सृजन का कोई उल्लेख नहीं किया। थरूर ने यह भी दावा किया कि इस बजट में किसानों के लिए कुछ खास नहीं है। पिछले पांच साल में किसानों की आय में लगातार कमी आई है और न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुताबिक उपज की कीमत भी नहीं मिल रही है। ऐसे में सरकार के इस भरोसे पर हैरानी होती है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस बजट में सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्र को नजरअंदाज किया तथा सेना एवं सशस्त्र बलों की भी अनदेखी की है।

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