मानव तस्करी निरोधी दिवस: नए विधेयक को लेकर कार्यकर्ताओं की राय बंटी

World Day Against Trafficking: Activists divided on India’s anti-trafficking bill
[email protected] । Jul 30 2018 4:02PM

भारत के पहले व्यापक मानव तस्करी निरोधक विधेयक के प्रभाव को लेकर इस क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग राय व्यक्त की है।

नयी दिल्ली। भारत के पहले व्यापक मानव तस्करी निरोधक विधेयक के प्रभाव को लेकर इस क्षेत्र से जुड़े कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग राय व्यक्त की है। कुछ को उम्मीद है कि यह समाज के सबसे कमजोर वर्ग की मदद करेगा जबकि कुछ मानते हैं कि यदि इसे वर्तमान स्वरूप पारित किया गया तो इससे फायदे के बजाए नुकसान अधिक हो सकता है। विश्व मानव तस्करी निरोधक अधिनियम है। पिछले हफ्ते मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक 2018 को लोकसभा में पारित किया गया। इस विधेयक में तस्करी के शिकार लोगों के पुनर्वास पर विशेष जोर दिया गया है।

इस विधेयक का सदन में जहां सदस्यों ने पार्टी लाइन से हटकर समर्थन किया। वहीं, इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की इसे लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया है। गोवा में यौन शोषण के लिए मानव तस्करी का मुकाबला करने के काम करने वाले सामाजिक संगठन ‘अर्ज’ के निर्देशक अरुण पांडेय ने कहा कि मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक 2018, एक कदम आगे और दो कदम पीछे जाने जैसा है। यदि यह वर्तमान प्रारूप में पारित होता है तो फायदे के बजाय नुकसान अधिक हो सकता है।

उन्होंने कहा कि नये विधेयक में कुछ भी नया या विशेष नहीं है। पहले के कानून में कई ऐसे प्रावधान हैं जिन्हें राज्यों द्वारा लागू नहीं किया जा रहा है। पूर्वात्तर राज्यों के पीड़ितों के लिए काम करने वाले निदान फाउंडेशन के कार्यकर्ता दिगंबर नारजारी ने कहा कि हमारे पास तस्करी से निपटने के लिए सभी आवश्यक तंत्र है, लेकिन उसे सक्रिय करने की आवश्यकता है। दिल्ली निवासी अधिवक्ता मिशेल मेनडोनका ने कहा कि यह विधेयक पीड़ित लोगों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए पहला कदम उठाता है।

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