घबराने की जरूरत नहीं ! यमुना का जलस्तर धीरे-धीरे हो रहा है कम

Yamuna

अधिकारी ने बताया कि चेतावनी का निशान 204.50 मीटर है, वहीं खतरे का निशान 205.33 मीटर है। हरियाणा के यमुनानगर जिले के हथिनी कुंड बैराज से सुबह नौ बजे 3,666 क्यूसेक दर से यमुना में पानी छोड़ा जा रहा था।

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना का जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है और यह यहां चेतावनी के निशान से नीचे बह रही है। सोमवार को अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुराने रेलवे पुल पर सुबह नौ बजे जलस्तर 203.95 मीटर दर्ज किया गया। रविवार को नौ बजे यह 203.98 मीटर था और शनिवार शाम सात बजे यह 204.14 मीटर था। उन्होंने बताया कि चेतावनी का निशान 204.50 मीटर है, वहीं खतरे का निशान 205.33 मीटर है। हरियाणा के यमुनानगर जिले के हथिनी कुंड बैराज से सुबह नौ बजे 3,666 क्यूसेक दर से यमुना में पानी छोड़ा जा रहा था। मध्यरात्रि में बहाव दर 8,208 क्यूसेक था जो कि पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा था। 

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अधिकारी ने बताया, ‘‘बहाव दर पिछले तीन दिन से 15,000 क्यूसेक से नीचे बना हुआ है जो बहुत अधिक नहीं है। जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है।’’एक क्यूसेक 28.32 लीटर प्रति सेकेंड के बराबर होता है। दिल्ली को पेय जल की आपूर्ति इसी बैराज से होती है और यहां से छोड़े गए पानी को दिल्ली पहुंचने में कम से कम दो-तीन दिन का समय लगता है। उन्होंने बताया कि दिल्ली और पड़ोसी इलाकों में बारिश के बाद शुक्रवार को जलस्तर बढ़ गया था। प्रशासन ने दो-दो चालकों के साथ स्थिति पर नजर रखने के लिए 24 नौकाएं तैनात की हैं। वहीं कई और नौकाओं और गोताखोरों के दलों को तैयार रखा गया है। सामान्य तौर पर हथिनीकुंड बैराज में बहाव दर 352 क्यूसेक होता है लेकिन जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद पानी छोड़ने की मात्रा बढ़ा दी जाती है। 

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उन्होंने बताया कि पिछले साल 18-19 अगस्त को बहाव दर 8.28 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया था और यमुना नदी का जलस्तर 206.60 मीटर पर पहुंच गया, जो खतरे के निशान 205.33 से ऊपर है। निचले इलाकों में पानी भरने के बाद दिल्ली सरकार ने बचाव और राहत अभियान शुरू किया था। नदी का जलस्तर 1978 में अब तक के रिकॉर्ड 207.49 मीटर पर था। वहीं 2013 में भी जलस्तर 207.32 मीटर दर्ज किया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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