कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर बोले यशवंत सिन्हा, देश में आपातकाल जैसे हालात

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[email protected] । Aug 29 2018 6:44PM

यह छापे पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एलगार परिषद’ कार्यक्रम के दौरान पुणे के निकट कोरेगांव-भीमा गांव में दलितों और ऊंची जाति के पेशवाओं के बीच हुए संघर्ष की जांच के तहत मारे गए।

बेंगलुरू। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने आज आरोप लगाया कि देश में मौजूदा सरकार के तहत ‘‘आपातकाल जैसे’’ हालात हैं और माओवादी संबंधों के संदेह में पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी दिखाती है कि विरोध की कोई भी आवाज सुरक्षित नहीं है। उन्होंने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘कल जो हुआ वह बोलने और प्रेस की आजादी पर हमले का अहम उदाहरण है।’ पुणे पुलिस ने कल विभिन्न राज्यों में कुछ प्रमुख कार्यकर्ताओं के घरों पर छापे मारे और माओवादी संबंधों के शक में उनमें से कम से कम पांच लोगों को गिरफ्तार किया था।  

यह छापे पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एलगार परिषद’ कार्यक्रम के दौरान पुणे के निकट कोरेगांव-भीमा गांव में दलितों और ऊंची जाति के पेशवाओं के बीच हुए संघर्ष की जांच के तहत मारे गए। पूर्ववर्ती राजग सरकार में मंत्री रहे सिन्हा मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार के कटु आलोचक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि आलोचना और विरोध के सुर को दबाने के लिये एक ‘साजिश’ की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तारियां दिखाती हैं कि विरोध की आवाज उठाने वाले लोग सुरक्षित नहीं हैं और विरोधी आवाज को दबाने के कई तरीके हैं। 

सिन्हा ने कहा, ‘‘पांच कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी स्पष्ट रूप से यह दिखाती है कि देश में मौजूदा केंद्र सरकार के तहत भारत में आपातकाल जैसे हालात हैं।’’ उन्होंने कहा कि पूर्व में अदालतों द्वारा कई ‘दुर्भाग्यपूर्ण फैसले’ पारित हुए हैं, उनमें से सबसे नया है मीडिया को विरोध की खबरों के प्रकाशन से रोकना। उन्होंने कहा, ‘‘कई तरीके हैं जिससे किसी को चुप कराया जा सकता है। मैं आप मानहानि के मामलों के बारे में जिक्र किया। यह मेरे खिलाफ भी दायर किया जा सकता है, सरकार के द्वारा नहीं बल्कि किसी निजी पक्ष द्वारा जो इस मामले में शामिल हो और फिर मैं अपने बचाव के लिये अदालतों के चक्कर लगाता रहूंगा।’’

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