योग को किसी धर्म से ना जोड़ा जाए: राम नाईक
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज कहा कि इंसान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये योगाभ्यास अत्यन्त आवश्यक है और इसे धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज कहा कि इंसान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये योगाभ्यास अत्यन्त आवश्यक है और इसे धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। राज्यपाल ने यहां पतंजलि योग पीठ एवं भारत स्वाभिमान (न्यास) तथा कुछ अन्य संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय प्रथम ‘उत्तर प्रदेश योग महोत्सव’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया है, जो भारत के लिये बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि विदेशों में भी लोगों की जिज्ञासा का विषय बन चुके योग का ज्ञान हजारों साल पहले रिषियों-मुनियों ने दिया था। चिकित्सा विज्ञान तब आज जैसा विकसित नहीं था लेकिन लोग 100 साल जीते थे। योग मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखता है। योग को धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। राज्यपाल ने इस मौके पर डॉक्टर सरले की योग पर लिखी एक पुस्तक का विमोचन किया। कार्यक्रम में वैदिक गुरुकुल के छात्रों ने योग प्रस्तुति भी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे योगाचार्य बाबा रामदेव ने कहा कि योग से दैहिक, आध्यात्मिक, चारित्रिक एवं वैचारिक बल मिलता है। मन में एकाग्रता उत्पन्न होती है तथा अपना काम अच्छे तरीके से किया जा सकता है। रामदेव ने कहा कि लोग योग को जीवन का अंग बनायें क्योंकि योग शरीर और सोच पर भी प्रभाव डालता है। नैतिक मूल्यों का पालन करना भी योग है।
उपमुख्यमंत्री, दिनेश शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। आज दुनिया के दूसरे देशों में भी योग अभ्यास की स्वीकार्यता बढ़ी है। उन्होंने बाबा रामदेव की मांग पर आश्वासन दिया कि राज्य के संस्कृत के अध्यापकों की समस्याओं एवं संस्कृत बोर्ड के गठन पर विचार किया जायेगा। साथ ही शारीरिक शिक्षा और योग शिक्षा पर भी विचार किया जायेगा।
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