आदित्यनाथ ने किया ‘नमामि गंगे जागृति यात्रा’ का शुभारम्भ
‘नमामि गंगे जागृति यात्रा’ का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया की प्राचीनतम संस्कृति की पहचान गंगा को बचाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार साथ मिलकर काम करेंगे।
लखनऊ। ‘नमामि गंगे जागृति यात्रा’ का शुभारम्भ करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया की प्राचीनतम संस्कृति की पहचान गंगा को बचाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार साथ मिलकर काम करेंगे। उन्होंने गंगा को भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के विकास का माध्यम ही नहीं, बल्कि साक्षी बताते हुए कहा कि इसकी स्वच्छता एवं अविरलता बनाए रखने का दायित्व प्रत्येक नागरिक को उठाना होगा।
उन्होंने आजादी के बाद गंगा की सफाई के लिए पहली बार पृथक मंत्रालय बनाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि केन्द्र की वर्तमान सरकार भावनात्मक लगाव के साथ गंगा की स्वच्छता एवं अविरलता के लिए प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर होमगार्डस संगठन द्वारा आयोजित ‘नमामि गंगे जागृति यात्रा’ के शुभारम्भ के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने जनपद बिजनौर से बलिया तक प्रस्तावित इस यात्रा की सरहाना करते हुए कहा कि इससे आम जनता, व्यापारिक एवं सामाजिक संगठनों, नौजवानों, किसानों, छात्र-छात्राओं एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिकों को ‘नमामि गंगे परियोजना’ से जोड़ने में सफलता मिलेगी।
गौरतलब है कि यात्रा के दौरान प्रदेश के गंगा प्रवाह क्षेत्र के 25 जनपदों में एक लाख से अधिक होमगार्ड्स स्वयं सेवकों के माध्यम से सभाएं आयोजित कर जनचेतना जागृति करने का प्रयास किया जाएगा। यह यात्रा छह सितम्बर, 2017 को समाप्त होगी। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा जुलाई, 2014 में ‘नमामि गंगे’ परियोजना की शुरूआत की गई, जिसमें गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक गंगा की अविरलता को बनाए रखने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक का प्रावधान किया गया। प्रधानमंत्री के प्रयासों को गति प्रदान करने के लिए पांच जुलाई, 2017 से अभियान चलाकर एक करोड़ 30 लाख से अधिक पौधों का रोपण किया गया। अधिकांश पौधे पाकड़, आम, बरगद, नीम, पीपल, अशोक आदि औषधीय एवं परम्परागत प्रजातियों से सम्बन्धित हैं।
उन्होंने कहा कि 25 जनपदों के उन 1,627 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त कराया गया जो, गंगा के किनारे अवस्थित हैं। इसके साथ ही, विभिन्न टेनरियों, गन्दे नालों एवं सीवर के माध्यम से गंगा में प्रवाहित होने वाली गन्दगी को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा गम्भीरता से प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निर्माणाधीन एसटीपी एवं आवश्यकतानुसार नई एसटीपी को प्रस्तावित कर इन्हें शीघ्र पूरा कराने का काम किया जा रहा है। गंगा एवं अन्य नदियों की स्वच्छता के लिए राज्य सरकार द्वारा एक प्रभावी समाधान योजना पर कार्य किए जाने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसे केन्द्र सरकार की मदद से पूरा किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने आम जनता का आह्वान किया कि गंगा में किसी भी प्रकार की पूजन सामग्री एवं अन्य प्रकार के ठोस अपशिष्ट कतई न डाले जाएं। उन्होंने नागरिकों को उनकी जिम्मेदारी का ध्यान दिलाते हुए कहा कि नदियों की स्वच्छता हमारी वर्तमान एवं भावी पीढ़ी के विकास से सीधे जुड़ी है। इसलिए इस मामले में सभी को पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना कर्तव्य निभाना होगा। उन्होंने गंगा के दोनों तटों पर बड़े पैमाने पर परम्परागत एवं औषाधीय पौधों के रोपण का आह्वान करते हुए कहा कि एक वर्ष में केन्द्र एवं राज्य सरकार तथा जनता की सहभागिता का परिणाम दिखाई पड़ने लगेगा। उन्होंने गंगा की स्वच्छता को लेकर होमगार्ड्स संगठन द्वारा आयोजित ‘नमामि गंगे जागृति यात्रा’ की सराहना करते हुए कहा कि इस कार्य से संगठन के जीवन्तता का प्रमाण मिलता है। यदि उत्तर भारत में गंगा व यमुना जैसी नदियां न होती तो, यह क्षेत्र रेगिस्तान में तब्दील हो जाता। प्रकृति की कृपा से ऐसी नदियां यदि इस क्षेत्र में हैं तो, इन्हें बचाने का दायित्व भी यहां के लोगों का ही है।
योगी ने कहा कि राज्य सरकार सहित सभी हितधारकों को वर्ष 2019 में गंगा, यमुना एवं सरस्वती के संगम पर प्रयाग में आयोजित होने वाले अर्द्धकुम्भ तक गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए कृतसंकल्पित होना होगा। इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करते हुए गन्दे नालों एवं अन्य प्रकार के कचरे को गंगा में प्रवाहित करने से रोकना होगा। बाद में मुख्यमंत्री ने झण्डी दिखाकर ‘नमामि गंगे जागृति यात्रा’ को रवाना किया।
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