युवाओं को विनाशकारी या बाधक बनने के बजाय रचनात्मक बनने की जरूरत: उपराष्ट्रपति
आईसी सेंटर फॉर गवर्नेंस द्वारा आयोजित व्याख्यान को संबोधित करते हुये नायडू ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने को समय की जरूरत बताया। उन्होंने कहा, इतिहास के इस तथ्य को याद रखना होगा कि कश्मीर के राजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर का भारत में विलय, बिना किसी शर्त के किया था।
नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने देश के युवाओं से विनाशकारी गतिविधियों में शामिल होकर देश के विकास में बाधक बनने के बजाय स्वयं को रचनात्मक बनाने की जरूरत पर बल देते हुये कहा है कि देश में व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिये कानून का शासन स्थापित करना ही एकमात्र विकल्प है। नायडू ने शुक्रवार को ‘शासन व्यवस्था’ विषय पर सरदार पटेल व्याख्यान को संबोधित करते हुये कहा, ‘‘लोगों को सिर्फ निंदा करने के बजाय सकारात्मक रवैया विकसित करना चाहिये। सभी को, खासकर युवाओं को विनाशकारी या बाधक बनने के बजाय रचनात्मक बनने की जरूरत है जिससे सभी भारतीयों के सामूहिक प्रयासों से गांधी जी के सपनों का ‘राम राज्य’ स्थापित किया जा सके, जिसमेंभूख, भय, भ्रष्टाचार, भेदभाव और अशिक्षा को खत्म कर सभी का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।’’ उन्होंने इन दिनों राष्ट्रवाद पर जारी बहस का जिक्र करते हुये कहा, ‘‘राष्ट्रवाद का अर्थ भी धर्म, जाति, लिंग, भाषा और क्षेत्र से परे हटकर राष्ट्र के प्रति चिंता है, जिसमें शोषित और पीड़ितों के उत्थान की बात हो, महिलाओं को उचित स्थान मिले, सभी को आगे बढ़ने के समान अवसर मिलें और यह जनसहभागिता के बिना संभव नहीं है।’’
देश का प्रत्येक नागरिक सरदार पटेल के प्रति कृतज्ञता का भाव रखता है जिन्होंने इतिहास के नाज़ुक दौर में, 560 से अधिक रजवाड़ों को भारत में सम्मिलित कर, देश की भौगोलिक एकता और अखंडता सुनिश्चित की। #SardarPatel #Governance pic.twitter.com/VNmVxMEvd6
— Vice President of India (@VPSecretariat) January 24, 2020
आईसी सेंटर फॉर गवर्नेंस द्वारा आयोजित व्याख्यान को संबोधित करते हुये नायडू ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने को समय की जरूरत बताया। उन्होंने कहा, इतिहास के इस तथ्य को याद रखना होगा कि कश्मीर के राजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर का भारत में विलय, बिना किसी शर्त के किया था। कुछ लोग इसमें शर्तें जोड़ने की कोशिश करने लगे हैं, जो मूल समझौते में नहीं थीं।’’उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘भारत में जम्मू कश्मीर के विलय का समझौता अंतिम है और इसमें कोई बदलाव संभव नहीं है, साथ ही इस बारे में कोई भी संशय, अर्थहीन होगा।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जहां तक अनुच्छेद 370 का सवाल है तो यह भी स्पष्ट है कि यह एक अस्थाई प्रावधान था और काफी समय पहले ही इस अनुच्छेद की उपयोगिता भी पूरी हो गयी थी। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को केन्द्र शासित क्षेत्र घोषित किया गया।’’
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नायडू ने कहा, ‘‘राज्यसभा के अध्यक्ष के नाते मैं बताना जरूरी समझता हूं कि अनुच्छेद 370 को हटाने के विषय पर विस्तार से चर्चा करने के बाद ही फैसला किया गया। सत्तारूढ़ दल का राज्यसभा में बहुमत नहीं है और भारतीय लोकतंत्र की यही खूबी है कि संसद की पूर्ण सहमति के बाद ही इस आशय के प्रस्ताव को मंजूर किया गया, लेकिन फिर भी कुछ लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं, जबकि यह काम बहुत पहले ही हो जाना चाहिये था।’’ उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में बेहतरी के लिये क्या किया जाना चाहिये इस पर तो सवाल जवाब हो सकते हैं, इसमें किसी को कोई परेशानी है, लेकिन भारत के साथ कश्मीर के एकीकरण पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता है। नायडू ने कहा कि सरदार पटेल ने बिना किसी बल प्रयोग के ही आजाद भारत को मजबूत राज्यों के मजबूत संघ का स्वरूप प्रदान किया था। उन्होंने कहा, ‘‘सरदार पटेल के लिये देशहित से बढ़कर कुछ भी नहीं था। आज प्रत्येक राजनेता और प्रत्येक नागरिक को यह समझना चाहिये कि उनके लिये देश सबसे पहले हो, इसके बाद पार्टी या व्यवसाय और सबसे अंत में स्वयं का हित हो।’’ सामाजिक भेदभाव को देश के विकास में बाधक बताते हुये नायडू ने कहा, ‘‘सरदार पटेल ने आजादी के बाद एकजुट भारत की कल्पना की थी जिसमें जाति, धर्म और लिंग या भाषा सहित अन्य संकीर्ण आधारों पर पक्षपात या भेदभाव का कोई स्थान न हो। वह, किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना देश की एकता के पक्षधर थे।
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