Ashwini Ponnappa को तीसरे ओलंपिक में चमकने की उम्मीद, भारत की पदक को लेकर बढ़ी उम्मीदें
तीसरा ओलंपिक खेलने को तैयार भारत की स्टार शटलर अश्विनी पोनप्पा से इस बार देश को पदक की उम्मीदें बढ़ गई हैं। दो बार की ओलंपियन और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अश्विनी पोनप्पा अपने डबल्स पार्टनर के साथ विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के युगल वर्ग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी थीं।
लंदन और टोक्यो ओलंपिक के बाद लगातार तीसरा ओलंपिक खेलने को तैयार भारत की स्टार शटलर अश्विनी पोनप्पा से इस बार देश को पदक की उम्मीदें बढ़ गई हैं। दो बार की ओलंपियन और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अश्विनी पोनप्पा अपने डबल्स पार्टनर के साथ विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के युगल वर्ग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी थीं। दिल्ली में 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में अश्विनी पोनप्पा और ज्वाला गुट्टा की भारतीय जोड़ी ने स्वर्ण पदक जीता था।
अश्विनी पोनप्पा का जन्म 18 सितंबर 1989 को कर्नाटक के बैंगलोर में हुआ था। उनकी वर्तमान आयु 32 वर्ष है। वह एक प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जो महिला और मिश्रित युगल दोनों ही विधाओं में अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन सर्किट में देश का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके पिता का नाम एमए पोनप्पा था और वे भारत के लिए हॉकी खेलते थे। उनकी माँ का नाम कावेरी पोनप्पा है। उनकी एक बहन है जिसका नाम अप्पन्ना पोनप्पा है। अश्विनी पोनप्पा ने ज्वाला गुट्टा के साथ एक सफल जोड़ी के रूप में काम किया और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक साथ कई पदक जीते। उन्होंने अपनी शिक्षा सेंट फ्रांसिस जेवियर गर्ल्स हाई स्कूल, बैंगलोर से पूरी की और उच्च शिक्षा सेंट मैरी कॉलेज, हैदराबाद से ली। उनके पिता भारत के लिए हॉकी खेलते थे।
हालाँकि, अश्विनी ने हॉकी के बजाय बैडमिंटन को प्राथमिकता दी और बैडमिंटन की ट्रेनिंग शुरू कर दी। और अब उन्हें भारतीय बैडमिंटन की डबल्स क्वीन के रूप में भी जाना जाता है। अश्विनी पोनप्पा का बैडमिंटन करियर काफी उज्ज्वल रहा है क्योंकि उन्होंने 2001 में केवल 12 साल की उम्र में भारतीय जूनियर चैंपियनशिप जीती थी। उन्होंने 2006 में दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक भी हासिल किया। ज्वाला गुट्टा के साथ जोड़ी बनाकर, जो लंदन ओलंपिक 2012 में उनकी जोड़ीदार भी हैं, अश्विनी पोनप्पा ने दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स 2012 महिला युगल स्पर्धा में स्वर्ण पदक और उसी प्रतियोगिता की मिश्रित टीम स्पर्धा में रजत पदक हासिल किया।
अश्विनी पोनप्पा और ज्वाला गुट्टा ने मिलकर अगले साल BWF विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और इसके परिणामस्वरूप, ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला जोड़ी बन गईं। हालांकि वो 2012 के लंदन खेलों में अपनी छाप छोड़ने के लिए संघर्ष करती नज़र आईं। ग्रुप बी में खेलती इस जोड़ी का सामना जापानी जोड़ी मिजुकी फुजी और रीका काकिवा से हुआ और भारत के खेमे में इस बार निराशा आई। इस हार को पीछे छोड़ते हुए पोनप्पा-गुट्टा की जोड़ी ने चीनी ताइपे चेंग वेन-हसिंग और चिन यू-चिन चिन और सिंगापोर के शिन्ता मुलिया सारी और याओ ली को मात देते हुए अपने कारवां को आगे बढ़ाया। यह भारतीय जोड़ी क्वार्टर-फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रही।
अंकों में टाई होने की वजह से भारतीय खिलाड़ियों का कारवां रुक गया और मिजुकी फुजी और रीका काकिवा को आगे जाने का सुनेहरा मौका मिला। हालांकि, वो 2012 के लंदन खेलों में अपनी छाप छोड़ने के लिए संघर्ष करती नज़र आईं, लेकिन 2014 में नई दिल्ली में हुए उबेर कप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जहाँ उन्होंने महिलाओं की टीम को कांस्य पदक दिलाने में मदद की। 2013 में प्रज्ञा गद्रे की साझेदारी के बाद, उन्होंने 2014 में ज्वाला गुट्टा के साथ फिर से जोड़ी बनाई और उस वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों में उनके हाथ एक रजत पदक आया। भारतीय जोड़ी ने कनाडा ओपन में स्वर्ण पदक जीता लेकिन 2016 के रियो ओलंपिक में मुश्किल दौर से गुजरते हुए अपने ग्रुप चरण के तीनों मैच हार गए। वो 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में भी पदक जीतने वालों की रेस में शामिल थीं, जहां उन्होंने मिश्रित युगल स्पर्धा में स्वर्ण जीता और महिला युगल में एन सिक्की रेड्डी के साथ कांस्य जीता।
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