देवभूमि के रहने वाले और बैडमिंटन में भारत का भविष्य Lakshya Sen की नजरें पेरिस ओलंपिक पर टिकीं

Lakshya Sen
प्रतिरूप फोटो
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Anoop Prajapati । Jun 26 2024 6:15PM

बैडमिंटन की दुनिया में कम उम्र में ही अपना लोहा मनवाने वाले लक्ष्य सेन की नजरें अब पेरिस ओलंपिक पर टिक गई हैं। भारतीय युवा शटलर लक्ष्य सेन पिछले कुछ सालों में ही दुनिया भर के खेल फैंस के दिल में जगह बना ली है। 22 साल के इस शटलर ने हर बड़ी कामयाबी हासिल की।

अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर बैडमिंटन की दुनिया में कम उम्र में ही अपना लोहा मनवाने वाले लक्ष्य सेन की नजरें अब पेरिस ओलंपिक पर टिक गई हैं। भारतीय युवा शटलर लक्ष्य सेन पिछले कुछ सालों में ही दुनिया भर के खेल फैंस के दिल में जगह बना ली है। 22 साल के इस शटलर ने हर बड़ी कामयाबी हासिल की। इस बीच कई दिग्गज खिलाड़ी उनकी रफ्तार और ताकत भरे खेल का शिकार बने हैं। भारतीय बैडमिंटन स्टार लक्ष्य सेन उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वाले हैं। लक्ष्य सेन का बैकग्राउंड भी बैडमिंटन से काफी जुड़ा रहा है। उनके दादा सी.एल. सेन को अल्मोड़ा में बैडमिंटन का भीष्म पितामह कहा जाता है।

लक्ष्य सेन का जन्म 16 अगस्त 2001 को अल्मोड़ा में हुआ था। उन्हें बैडमिंटन का खेल विरासत में मिला है। उनके दादा अल्मोड़ा में बैडमिंटन को लेकर काफी प्रख्यात थे। वहीं उनके पिता डीके सेन पहले खिलाड़ी रहे और अब बैडमिंटन कोच रहे हैं। वहीं लक्ष्य के बड़े भाई चिराग अंडर एज ग्रुप में भारत में अपना वर्चस्व रखते थे। जब लक्ष्य महज नौ साल के थे तब पहली बार अपने पिता के साथ अपने भाई का सब-जूनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट देखने गए। यहीं पर लक्ष्य ने विमल कुमार से कहा कि वह भी खेलना चाहता हैं। लक्ष्य सेन ने अपना करियर अपने पिता के साथ बेडमिंटन खेलकर शुरू किया, जहाँ यह शुरूआती दौर में यूनियन बैंक ऑल इंडिया सब जूनियर बैडमिंटन टूर्नामेंट में खलेने जाते थे। 

उन्होंने प्रकाश पादुकोण एकडेमी बैंगलोर में प्रशिक्षण लेने के बाद कम उम्र में ही बैडमिंटन खिलाड़ी के रूप में शानदार प्रतिभा दिखाई और 2016 में जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही इन्होने सीनियर अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा की और 2016 में इंडिया इंटरनेशनल सीरीज टूर्नामेंट में गोल्ड पदक जीतकर पुरुष एकल का खिताब जीता। फरवरी 2017 में इन्होने BWF वर्ल्ड जूनियर रैंकिंग में नंबर एक जूनियर एकल खिलाड़ी बन गए। इसके साथ ही इन्होने 2017 में भारत अंतराष्ट्रीय श्रृंखला और युरोपियन बलगेरियाई ओपन जैसे कई खिताब अपने नाम किए, इसके साथ ही सेन ने टाटा ओपन इंडिया इंटरनेशनल में रजत पदक अपने नाम किया। 

वर्ष 2018 में इन्होने जकार्ता (इंडोनेशिया) में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में अक्ल वर्ग में गोल्ड पदक जीता। इसके साथ ही युवा ओलिंपिक खेल ब्यूनस (आयर्स) में एकल वर्ग में उपविजेता के तौर पर रजत पदक हांसिल किया और युवा ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय शटलर बन गए। लक्ष्ये सेन ने जापान के युसुके ओनोडेरा को हरकार डच ओपन एकल खिताब जीतकर अपना पहला बीडब्ल्यूएफ खिताब जीता। नवंबर 2019 में उन्होंने जर्मनी के सारब्रुकेन में आयोजित सारलोर लक्स ओपन में चीन के वेंग होंग यांग को हराकर खिताब अपने नाम किया। 

इसके बाद नवंबर में स्कॉटिश ओपन में ब्राजील के यगोर केएलहो को हराकर जीत के के साथ पुरुष एकल का खिताब अपने नाम किया। वर्ष 2021 के विश्व चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में पहुँचे जहाँ वह हमवतन श्रीकांत कादंबी से हारकर कांस्य पदक तक सीमित रह गए। जिसके बाद जिसके बाद वर्ष 2022 में इन्होने इंडिया ओपन फाइनल में सिंगापुर के मौजूद विश्व चैंपियन लोह किन यू को हराकर अपना पहला सुपर 500 खिताब जीता। इसके साथ ही हाल ही में हुए जर्मन ओपन सुपर 300 टूर्नामेंट में लक्ष्य सेन ने टोक्यो ओलंपिक्स विक्टर एक्ससेलसन को हराकर सेमीफइनल में जीत हासिल की जिसके बाद फाइनल में थाईलैंड के कुनलावुत वितिदसारन के खिलाफ टूर्नामेंट में हार का सामना कर दूसरा स्थान हासिल किया था।

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