जयप्रकाश नारायण का संपूर्ण क्रांति का सपना अभी भी है अधूरा

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[email protected] । Oct 8 2018 2:46PM

सर्वहारा के हक के लिए जोरदार ढंग से आवाज उठाने वाले, इंदिरा गांधी की सत्ता को हिलाने वाले, आजादी के बाद सामाजिक समानता के सबसे बड़े पैरोकार जयप्रकाश नारायण और उनकी सम्पूर्ण क्रांति राजनीति के गलियारे में कहीं गुम हो गई है।

स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करने वाले, सर्वहारा के हक के लिए जोरदार ढंग से आवाज उठाने वाले, इंदिरा गांधी की सत्ता को हिलाने वाले, आजादी के बाद सामाजिक समानता के सबसे बड़े पैरोकार जयप्रकाश नारायण और उनकी सम्पूर्ण क्रांति राजनीति के गलियारे में कहीं गुम हो गई है। जयप्रकाश नारायण के प्रमुख शिष्य शरद यादव बताते हैं कि, ''जयप्रकाश जी निश्छल, निष्कपट और गरीबों के लिए निरंतर चिंता करने वाले तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वाले व्यक्ति थे। मेरा उनसे करीबी संबंध रहा और उनके कहने पर मैंने इस्तीफा दिया।'' उन्होंने हालांकि कहा, ''मैं मानता हूं कि जयप्रकाश जी की सम्पूर्ण क्रांति अभी तक सफल नहीं हुई। उन्होंने जो सपना देखा था, वह पूरा नहीं हो सका है। इसमें अभी थोड़ा वक्त लगेगा। हालांकि उन्होंने देश में एक पार्टी (कांग्रेस) के राज को समाप्त करके एक बड़ी सफलता प्राप्त की और विभिन्न दलों में बड़े नेता उनके ही तैयार किये लोग हैं।''

जाने माने चिंतक केएन गोविंदाचार्य कहते हैं कि, ''जयप्रकाश नारायण ने सामाजिक समरसता और बराबरी का अद्भुत आंदोलन चलाया, लेकिन आज तक उस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका। देश की आजादी के 63 वर्ष गुजर जाने के बाद भी लोगों को समान हक और बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पायी हैं। किसी जमाने में दार्शनिक लोग परमात्मा के अस्तित्व पर बहस करते थे, अब वह चर्चा चावल, गेहूं और खाद्य पदार्थों की उपलब्धता को लेकर हो रही है। महंगाई चरम पर है, चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है।'' उन्होंने कहा कि पहले गांव के युवक खेत में काम करके या पढ़ाई कर या खेल कूद में हिस्सा लेकर जब घर लौटते थे तो कम से कम उन्हें भीगे हुए चने और मट्ठा तो मिल जाते थे। अब तो वह सहारा भी टूट गया है।

गोविंदाचार्य ने कहा, ''आज स्कूल, कालेज प्रायः किसी स्थानीय जननायक की प्रेरणा से शिक्षा के प्रचार प्रसार के नाम पर व्यापार और चुनाव जीतने की जमीन तैयार करने के उद्देश्य से खोले जा रहे हैं, जिनका कार्य छात्रों, शिक्षकों और सरकारी अनुदानों का दोहन करना है। 'लोकनायक जयप्रकाश' तो न जाने कहां खो गए हैं।''

योगगुरु बाबा रामदेव कहते हैं कि, ''जिस देश में जनसंख्या नियंत्रण की कोई स्पष्ट नीति नहीं हो, मानव विकास सूचकांक में जिस देश का स्थान अभी भी काफी नीचे हो और न्यायालयों में तीन करोड़ से अधिक मामले लंबित हों, जहां शिक्षकों की भारी कमी हो और लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो, वहां यह कैसे माना जायेगा कि जयप्रकाश के सम्पूर्ण क्रांति के लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है।'' उन्होंने कहा कि उनके उत्तराधिकारी सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन को मुकाम तक नहीं पहुंचा सके।

जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर 1902 को बिहार के छपरा जिले के सिताबादियरा गांव में हुआ था और उनका निधन आठ अक्तूबर 1979 को हुआ। सत्तर के दशक में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की नीतियों और आपातकाल के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व करने के कारण उन्हें लोकनायक की उपाधि दी गई थी। उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च असैनिक सम्मान 'भारत रत्न' से विभूषित किया गया

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