Arun Jaitley Birth Anniversary: छात्र जीवन की राजनीति और वकालत ने दिया राजनीति का शिखर, अरुण जेटली ने बनाई थी अलग पहचान

Arun Jaitley
ANI

आज ही के दिन यानी की 28 दिसंबर को देश के वित्तमंत्री के अलावा रक्षा मंत्री का कार्यभार संभालने वाले अरुण जेटली का जन्म हुआ था। सफल राजनीतिज्ञ के साथ-साथ वह वकालत के लिए भी जाने जाते थे।

अरुण जेटली का नाम देश के उन नेताओं में शामिल है, जिन्होंने वित्तमंत्री के पद रहते हुए देश में नोटबंदी और जीएसटी जैसी बड़ी आर्थिक गतिविधियों को देखा। जेटली को उनकी वाकपटुता और कानूनी दांवपेंच की क्षमताओं के लिए भी जाना जाता था। आज ही के दिन यानी की 28 दिसंबर को अरुण जेटली का जन्म हुआ था। आपको बता दें कि जेटली के राजनैतिक जीवन में न सिर्फ वकालत बल्कि छात्र जीवन की राजनीति का भी काफी गहरा प्रभाव था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर अरुण जेटली के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

दिल्ली के पंजाबी हिंदू मोहयाल ब्राह्मण परिवार में 28 दिसंबर 1952 को अरुण जेटली का जन्म हुआ थे। जेटली को वकालत अपने पिता से विरासत में मिली थी। वहीं दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ऑनर्स के साथ उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया। फिर साल 1977 में दिल्ली यूनिवर्सिटी वकालत की पढ़ाई की। ऐसे में अरुण जेटली की वकालत ही राजनीति में करियर का आधार बनीं। छात्र जीवन में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रनेता बने।

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वहीं साल 1974 में अरुण जेटली दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गए। इसके बाद साल 1973 में राज नारायण और जयप्रकाश नारायण के द्वारा भ्रष्टाचार का अभियान चलाया गया था। इस अभियान में अरुण जेटली एक प्रमुख नेता के तौर पर उभरे थे। जिसके बाद उनको युवा और छात्र संगठन की राष्ट्रीय समिति का संयोजक बनाया गया था।

आपातकाल में जेटली का विरोध

देश में आपातकाल लगने के दौरान अरुण जेटली ने इसका विरोध किया था। आपातकाल के दौरान देशभर में मूलभूत अधिकारों को खत्म कर दिया गया था। जिसके बाद 26 जून 1975 को जेटली ने आपातकाल का विरोध करते हुए तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी का पुतला जलाया था। इसलिए वह हमेशा कहते थे कि वह आपातकाल के खिलाफ पहले सत्याग्रही थे। आपातकाल के दौरान विरोध के कारण उनको 19 महीने जेल में बिताने पड़े थे। वहीं जेल से छूटने के बाद वह जनसंघ के सदस्य बन गए थे।

राजनेता और वकील

साल 1980 में भाजपा से जुड़ते ही वह दिल्ली के युवा खंड के अध्यक्ष बन गए। फिर साल 1980 में वह राजनीति के साथ-साथ वकालत में भी सक्रिय रहे। जिसके बाद साल 1987 में वह सुप्रीम कोर्ट के वकील बन गए। 90 के दशक में अरुण जेटली देश में गैर कांग्रेसी सरकार आने पर सबसे युवा एडीशनल सोलिसिटर जनरल बने। इसके बाद वह पार्टी के नेताओं को कानूनी मामलों में कुशलता से बचाने के लिए जाने गए।

राजनेताओं से अच्छे संबंध

अरुण जेटली के राजनैतिक संबंध दूरगामी साबित होते थे। उन्होंने लालकृष्ण अडवाणी, शरद यादव, और माधवराव सिंधिया जैसे दिग्गज नेताओं को कानूनी मामलों में कुशलता से बचाया था। इसके अलावा साल 1989 में विश्वनाथप्रताप सिंह की सरकार में जेटली को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था। इस दौरान उनके सभी राजनेताओं व राजनैतिक दलों से काफी अच्छे संबंध हो गए थे।


भाजपा के प्रमुख नेता

अरुण जेटली बीजेपी के प्रमुख नेताओं की लिस्ट में शामिल थे। जहां वाजपेयी सरकार में वह राज्य मंत्री के पद पर रहे, तो साल 2003 में वह भाजपा के प्रवक्ता बने। इसके बाद साल 2009 में वह राज्यसभा में विपक्ष नेता के तौर पर उपस्थित रहे। फिर साल 2014 में मोदी सरकार में वह रक्षा, वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री पद पर रहे। जीएसटी पद्धति को लागू करने के अलावा केंद्र –राज्य की जीएसटी काउंसिल में आम सहमति लाने में भी अरुण जेटली ने अहम भूमिका निभाई थी।

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