गांधी के बाद अटल ही ऐसी शख्सियत हैं जिनका अनुसरण किया जा सकता है

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संजय तिवारी । Aug 24 2018 11:48AM

देश अभी तक गांधीवाद, नेहरूवाद, इंदिरावाद, कांग्रेसवाद, समाजवाद, सेक्युलरवाद आदि वादों और दर्शन को लेकर चल रहा था। गांधी की बात सभी करते रहे लेकिन उस पर चला कोई नहीं क्योंकि कहीं कहीं गांधी को भी पूर्ण स्वीकारोक्ति नहीं मिल पायी।

भारतवर्ष के लिए एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है। देश अभी तक गांधीवाद, नेहरूवाद, इंदिरावाद, कांग्रेसवाद, समाजवाद, सेक्युलरवाद आदि वादों और दर्शन को लेकर चल रहा था। गांधी की बात सभी करते रहे लेकिन उस पर चला कोई नहीं क्योंकि कहीं कहीं गांधी को भी पूर्ण स्वीकारोक्ति नहीं मिल पायी। यह अलग बात है कि गांधी को विश्वपटल पार अहिंसा के दर्शन के लिए स्थापना दी गयी। दुनिया ने उनको स्वीकार किया। गांधी के बड़े बड़े अनुयायी भी हुए लेकिन गांधी दर्शन भारत का समग्र दर्शन नहीं बन सका। अब यहाँ महादेश एक ऐसे व्यक्ति के विचारों में डूब- उतरा रहा है जिनका नाम है अटल बिहारी वाजपेयी। नया भारत अब अटल दर्शन को ही अंगीकार कर अपना नया सफर तय करने जा रहा है। 

अटल दर्शन पर आगे बढ़ रहे नए भारत की इस यात्रा का आरम्भ हो चुका है। अटल बिहारी वाजपेयी की दैहिक अनुपस्थिति में अब उनके शब्द मन्त्र की भूमिका में आ गए हैं। भारतीय लोकतंत्र के लिए अब अन्य सभी दर्शनों से ज्यादा अटल दर्शन ही प्रासंगिक बन रहा है। अटल जी की सनातन के प्रति विश्वास, सत्य पर भरोसा, राजधर्म की स्पष्ट परिभाषा और लोकतांत्रिक परंपरा में मतभेद और मनभेद के बावजूद  राजनैतिक मित्र भाव की उनकी नीति ही इस देश और यहाँ के लोकतंत्र को आगे ली जा सकती है। वैसे भी देश की नयी पीढ़ी के सामने एक पथविचलन जैसा दृश्य उभर कर आ गया था। अटल जी के निधन के बाद उनके लिए उपजी सहानुभूति और उनके अजातशत्रु व्यक्तित्व के सामने आते ही नयी पीढ़ी को जैसे वह आदर्श मिल गया जिसकी तलाश वह अन्य व्यक्तियों में कर रही थी। 

अटल जी पिछले नौ वर्षों से अचर्चित थे। कहीं उनका नाम नहीं था। इन नौ वर्षों में जिसने जन्म लिया वह तो उन्हें नहीं ही जान रहा था, उनके सक्रिय जीवन में नौ वर्ष पूर्व जन्म लिये बच्चों को भी उनकी याद धुंधली ही रही होगी। यह समग्र पीढ़ी कुछ और ही तरह से अपने आइकॉन तलाश रही थी। अटल जी के निधन के बाद से देश में जिस तरह से अटल चर्चा और अटलनीति पर विमर्श शुरू हुआ है उसने नयी पीढ़ी का इस तरफ बहुत ही सलीके से ध्यान खींचा है। इस चर्चा के साथ ही अटल जी के भाषण सर्च किये जा रहे हैं और खूब सुने जा रहे हैं। आज जिस रूप में अटल जी की चर्चा हो रही है उससे नया भारत बहुत ही प्रभावित है। 

नए भारत के वास्तविक निर्माता के रूप में अटल जी याद किये जा रहे हैं। यह सही भी है। शेरशाह सूरी और ग्रांडट्रंक के बाद अटल जी तीसरे शासक हैं जिन्होंने इस महादेश के भूतल परिवहन के लिए क्रांतिकारी कार्य किया। उनकी दूरदृष्टि से ही आज देश में फोर लेन, सिक्स लेन की सड़कें और एक्सप्रेसवे जैसे राजमार्ग हमें उपलब्ध हो सके हैं। भारतीय राजनीति में उनके 70 वर्षों का मूल्यांकन बहुत आसानी से नहीं किया जा सकता। उसके लिए वर्षों के शोध की आवश्यकता है। अटल जी का कवि, अटल जी का पत्रकार, अटल जी का राजनेता, अटल जी का प्रतिपक्ष और फिर पक्ष, अटल जी का शासक, अटल जी लोकमानव, अटल जी का महामानव, अटल जी का सनातन, अटल जी का हिंदुत्व, अटल जी का भारतीयपन, अटल जी का मनुष्य। इन सभी पर केवल कुछ शब्दों में कैसे लिखा जाये। 

अटल जी एक युग हैं। उनके युग में जिन्होंने जी कर देखा उन्होंने उन्हें जाना। अब जब कि दुनिया बदल रही है और भारत विश्वशक्ति बन कर उभर रहा है, ऐसे में अटल जी के दर्शन और सिद्धांत ही हैं जो भारत की प्रगति को अक्षुण्ण बनाये रखेंगे। अटल जी की नीतियों पर चलने वाला भारत ही महान होगा। अटल जी के दर्शन को मानने वाला भारत ही विश्व विजय के पथ पर अग्रसर होगा। अटल दर्शन लेकर ही भारत बनेगा विश्वगुरु।  

-संजय तिवारी

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