गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमला भाजपा के खिलाफ बड़ी साजिश!

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संजय सक्सेना । Oct 9 2018 12:05PM

कई गैर हिन्दी भाषी राज्यों में उत्तर भारतीयों के प्रति इतनी नफरत का भाव क्यों घर कर गया है। भारत के संविधान ने जब किसी भी व्यक्ति को, कहीं भी बसने और रोजी−रोटी कमाने की छूट दे रखी हो तो उस पर विवाद क्यों खड़ा किया जाता है।

यह समझ से परे है कि कई गैर हिन्दी भाषी राज्यों में उत्तर भारतीयों के प्रति इतनी नफरत का भाव क्यों घर कर गया है। भारत के संविधान ने जब किसी भी व्यक्ति को, कहीं भी बसने और रोजी−रोटी कमाने की छूट दे रखी हो तो उस पर विवाद क्यों खड़ा किया जाता है। महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के साथ अकसर ही मारपीट और उनके संपत्ति या फिर वाहनों के साथ तोड़फोड़ की खबरें आती रहती थीं, लेकिन गुजरात तो ऐसा नहीं था। गैर हिन्दी शासित राज्यों में कहीं कम तो कहीं ज्यादा तीखे तरीके से उत्तर भारतीयों को किसी न किसी बहाने से अपमानित करना, किसी एक व्यक्ति के अपराध के आधार पर पूरे उत्तर भारतीयों के प्रति गलत धारणा बना लेना, निश्चित तौर पर मानसिक रूप से दिवालियापन का शिकार और सियासी लोगों की सोच का परिणाम हैं। जैसा कि गुजरात में बलात्कार की एक घटना के बाद देखने को मिल रहा है, वहां इस समय उत्तर भारतीयों को निशाना बनाया जा रहा है। परिवार को सुरक्षित रखने और अपने आप को बचाने के लिये उत्तर प्रदेश−बिहार के लोग रोजी−रोटी छोड़कर पलायन को मजबूर हो रहे हैं तो इसके लिये उत्तर भारतीयों से अधिक वह लोग जिम्मेदार हैं जो अपने आप को इन लोगों के बराबर खड़ा नहीं कर पाते हैं। मेहनत से डरते हैं। महाराष्ट्र हो या फिर गुजरात दोनों के विकास में उत्तर भारतीयों के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। उत्तर भारतीयों को कभी भाषा के नाम पर तो कभी अपराध के लिये जिम्मेदार ठहराकर प्रताड़ित करना सही नहीं है। कौन भूल सकता है कि राष्ट्रीय भाषा हिन्दी के खिलाफ तमिलनाडु के दिग्गज नेता (अब दिवंगत) करूणानिधि ने लम्बा आंदोलन चलाया था।

प्रथम दृष्टया तो यह जरूर लगता है कि एक उत्तर भारतीय का नाम बलात्कार की एक घटना में सामने आने के बाद पूरा विवाद खड़ा हुआ है, लेकिन इसके पीछे के सियासी निहितार्थ भी कम नहीं हैं। असल में देश के विकास और हिन्दुस्तान की राजनीति में उत्तर भारतीयों के दबदबे को कई गैर हिन्दी राज्यों के नेता बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। इस संदर्भ में करूणानिधि का वो बयान याद किया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर मैं किसी हिन्दी भाषी राज्य का नेता होता तो कब का प्रधानमंत्री बन चुका होता। शिव सेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे को ही ले लीजिए, जो अपने आप को हिन्दू हृदय सम्राट कहलाने में गौरवांवित होते थे, लेकिन जब उत्तर भारत से जाकर मुम्बई में बसे लोगों की बात होती तो वह विरोध का कोई रास्ता नहीं छोड़ते थे, तब उनकी सोच मराठियों तक सीमित हो जाती थी।

अतीत में कई गैर हिन्दी राज्यों के कई बड़े नेता अपनी सियासत को बुलंदियों पर ले जाने के लिये उत्तर भारत में हाथ−पैर मारते देखे जा चुके हैं। बीजेपी के दिग्गज नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र सिंह मोदी की सियासत भी तभी परवान चढ़ पाई जब उन्होंने गुजरात से निकल कर उत्तर भारत के जिले वाराणसी की तरफ रूख किया। वाराणसी से चुनाव जीतने की वजह से ही मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सके थे। इसी प्रकार चाहे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हों या फिर मराठा क्षत्रप शरद पवार की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी अथवा ऑल इंडिया मजलिस−ए−इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, तमाम दलों के नेता उत्तर भारत में अपनी जड़ें मजबूत करने को उतावले भी रहते हैं और जब मौका पड़ता है तो यहां के लोगों का सियासी विरोध का कोई मौका भी नहीं छोड़ते हैं। इस पर उत्तर भारत से भी प्रतिक्रिया और सियासत होना स्वाभाविक ही रहता है।

तमाम दल और नेता ऐसे मामलों से सियासी फायदा भी लेना चाहते हैं और विरोध करते भी दिख जाते हैं। इसीलिये गुजरात से बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को धमकी देकर भगाए जाने के मामले पर भी सियासत तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल युनाइटेट (जेडीयू) ने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है तो वहीं, कांग्रेस ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांग लिया। इस बीच, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा जरूर है कि इस मामले में पुलिस कार्रवाई कर रही है, लेकिन वह भी फूंक−फूंक कर कदम रख रहे हैं कि कहीं गुजराती नाराज न हो जायें। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) ने तो कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को खुला पत्र लिखकर विधायक अल्पेश ठाकोर को इस पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार बता दिया। जेडीयू ने पूछा कि कांग्रेसियों को बिहार के लोगों से इतनी नफरत क्यों है ? जबकि बीजेपी कह रही है कि गुजरात हिंसा के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। यह कांग्रेस की सोची−समझी साजिश है। कांग्रेस के लोग पूरे देश को खंडित करने में जुटे हैं। बिहार के भाजपा नेता और मोदी सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह का कहना थ कि सब कुछ अल्पेश की सेना कर रही है। यह वही अल्पेश हैं जो उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने के लिये पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी सक्रिय भीम सेना प्रमुख चन्द्रशेखर 'रावण' की चौखट पर कई बार नाक रगड़ते देखे जा चुके हैं। विवाद बढ़ने पर अल्पेश ठाकोर कह रहे हैं कि उनके लोग हिंसा को बढ़ने से रोक रहे हैं और पिछले 1−2 दिन में काफी शांति आई है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'हम नहीं चाहते कि राज्य में विपदा खड़ी हो और हम ऐसी किसी भी हरकत को बढ़ावा नहीं देंगे।' हार्दिक पटेल ने घटना की निंदा करते हुए मांग की है कि अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

कांग्रेस इस मसले पर भी सियासत करने से बाज नहीं आ रही है। कांग्रेस के सहयोग से विधायक बने अल्पेश ने बीते साल 23 अक्टूबर 2017 को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। एक तरफ अल्पेश ठाकोर  पर उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट करने का आरोप लग रहा है तो दूसरी तफर कांग्रेस के नेता उलटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांग रहे हैं। दस जनपथ के बेहद करीबी और गुजरात से आने वाले कांग्रेस के नेता अहमद पटेल अपना पक्ष रखने की बजाये कह रहे हैं कि गुजरात सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इसी प्रकार यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने गुजरात और केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के नेता संजय निरुपम जो हर समय मोदी विरोध पर उतारू रहते हैं, यहां भी सियासत करने से नहीं चूके। उनका कहना था, 'पीएम के गृह राज्य (गुजरात) में अगर यूपी, बिहार और एमपी के लोगों को मार−मार कर भगाया जा रहा है तो ये याद रखना चाहिए कि एक दिन पीएम को भी वाराणसी जाना है। वाराणसी के लोगों ने उन्हें गले लगाया और पीएम बनाया था।'

कांग्रेस पर उंगली बीजेपी ही नहीं उठा रही है जेडीयू भी कांग्रेस को कटघरे में खड़ा कर रही है। जेडीयू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि एक ओर आप अपने विधायक अल्पेश ठाकोर को बिहार कांग्रेस का सह−प्रभारी निुयक्त करते हैं और दूसरी तरफ उनकी सेना 'गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना' बिहार के लोगों को गुजरात से निकाल रही है। उन्होंने पत्र में कहा है, आज गुजरात में जो विकास दिख रहा है, वह बिहारी ही नहीं पूरे देश के लोगों के खून−पसीने का नतीजा है। गुजरात ही क्यों देश का हर क्षेत्र एक−दूसरे पर आश्रित है। पत्र में जेडीयू ने कांग्रेस के बहाने आरजेडी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि आज कांग्रेस को एक ऐसे दल से गठबंधन करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिसके अध्यक्ष सजायाफ्ता हैं। इतना ही नहीं, उनकी विरासत संभालने वाले उनके बेटे भी भ्रष्टाचार के आरोपी हैं। 

जेडीयू ने कांग्रेस को निशाना बनाते हुए कहा कि विधायक अल्पेश लगातार उत्तर भारतीयों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं, रैलियां कर रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कांग्रेस अनुशासनात्मक कार्रवाई तक नहीं कर पा रही है। जेडीयू नेता ने पत्र में लिखा है, 'ठाकुर जैसे संकीर्ण मानसिकता वाले व्यक्ति को बिहार में कांग्रेस पार्टी का सह−प्रभारी बनाकर बिहारियों के प्रति घृणा का अहसास कराया गया है।' 

      

बता दें कि गुजरात में 14 माह की बच्ची से रेप की घटना के बाद बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जिस कारण उत्तर भारत के लोग गुजरात से पलायन कर रहे हैं। यूपी और बिहार से दो जून की रोटी कमाने गुजरात गए 50,000 से ज्यादा लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है। हालांकि प्रशासन किसी तरह के पलायन से इंकार कर रहा है। उत्तर भारतीयों पर हमलों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की नाराजगी सामने आ रही है तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संबंध में सीधे गुजरात सीएम विजय रूपाणी से बात की। वहीं, गुजरात बीजेपी के नेताओं का कहना था कुछ लोग जो चुनावों में जीत नहीं पाए हैं, वह हिंसा फैलाने का काम कर रहे हैं।

गुजरात के पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा ने पत्रकारों को बताया कि बलात्कार की घटना के बाद एक विशेष समुदाय के लोग गुजरात के बाहर के लोगों को टारगेट कर रहे हैं। बता दें कि पीड़ित परिवार गुजरात के ठाकोर समुदाय से ताल्लुक रखता है। यही वजह है कि हिंसा में ठाकोर समुदाय का नाम सामने आया है। हिंसा फैलाने के आरोप में तीन सौ लोगों से अधिक गिरफ्तार हो चुके हैं।

-संजय सक्सेना

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