भोपाल में दिग्विजय सिंह बनाम साध्वी प्रज्ञाः सच्चा हिन्दू कौन की लड़ाई ?

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संतोष पाठक । May 10 2019 11:58AM

मध्य प्रदेश में 10 वर्षों तक शासन करने वाले दिग्विजय सिंह हो या कांग्रेस के अन्य दिग्गज नेता। अतीत में इन तमाम नेताओं ने अपने बयानों से आरएसएस और बीजेपी की इस अंदाज में आलोचना की कि वह देश के बहुसंख्यक समुदाय यानी हिन्दुओं के खिलाफ ही नजर आई।

लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गर्मी अपने चरम पर पहुंचती जा रही है। वैसे तो देशभर में यह चुनाव इस नाम पर हो रहे हैं कि देश में अगला जनादेश किसे मिलेगा। जनता इस बार भी 2014 की तर्ज पर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली सरकार का गठन करेगी या फिर राहुल गांधी के तर्कों से सहमत होकर बीजेपी को सत्ता से बाहर करेगी। मोदी को हराने के लिए लड़ रहे तीसरे और संघीय मोर्चें के राजनीतिक दल भी अपने वजूद को स्थापित करने के लिए जनता को लुभाने की होड़ में लगे हुए हैं। लड़ाई सत्ता की है, दिल्ली की गद्दी पर कब्जे की है लेकिन इसी देश में ऐक ऐसा भी संसदीय क्षेत्र है जहां लड़ाई इस बात की चल रही है कि सच्चा हिन्दू कौन है ?

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साध्वी प्रज्ञा बनी हिन्दुत्व का नया चेहरा

हिन्दुत्व के नये-नये चेहरे और नारे के आधार पर लगातार कामयाब होने वाली बीजेपी ने इस बार मध्य प्रदेश के अपने सबसे मजबूत गढ़ भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को लोकसभा के चुनावी मैदान में उतारा है। पार्टी हरसंभव कोशिश कर रही है कि साध्वी प्रज्ञा के तमाम विवादित बयानों के बावजूद उन्हे हिन्दुत्व की विचारधारा के ऐसे प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाए जिसे नष्ट और बदनाम करने की कोशिश कांग्रेस और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिन्दे जैसे नेताओं ने की थी। इस लिए बीजेपी के छोटे-बड़े नेताओं की तो छोड़िए खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साध्वी प्रज्ञा के साथ हुए अन्याय पर बोल चुके हैं और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भोपाल में रोड शो कर साध्वी प्रज्ञा के साथ हुए अन्याय का जिक्र करते हुए मतदाताओं से उन्हे चुनाव में विजयी बनाने की अपील कर चुके हैं। 

सच्चा और अच्छा हिन्दू साबित करने की होड़ में लगे दिग्विजय सिंह 

भगवा आतंकवाद, हेमंत करकरे की हत्या और आरएसएस को लेकर लगातार विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अब अपना ट्रेक चेंज कर खुद को सच्चा और अच्छा हिन्दू सबित करने की होड़ में लग गए हैं। मुकाबला साध्वी से है, उस साध्वी से है जिसे लेकर अतीत में दिग्विजय सिंह कई तरह के बयान दे चुके हैं। इसलिए इस साध्वी का मुकाबला करने के लिए दिग्गी राजा अब साधुओं का सहारा ले रहे हैं। साध्वी प्रज्ञा के साथ साधुओं की फौज है तो अब चुनावी लड़ाई जीतने के लिए दिग्विजय सिंह भी साधु-संतो की टोली के साथ रोड शो कर रहे हैं। शिवराज सिंह चौहान की सरकार में राज्य मंत्री का दर्जा पाने वाले कंप्यूटर बाबा दिग्विजय सिंह के पक्ष में हठयोग कर रहे हैं, धुनी रमा रहे हैं तो वहीं सामने बैठकर खुद दिग्विजय सिंह हवन कर रहे हैं, पूजा-पाठ कर रहे हैं। साथ में समर्थकों की भीड़ के साथ साधुओं की टोली भी बैठी है । मकसद खुद को साध्वी प्रज्ञा से ज्यादा बेहतर, सच्चा और अच्छा हिन्दू साबित करना है। 

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बदले-बदले से सरकार नजर आते हैं 

मध्य प्रदेश में 10 वर्षों तक शासन करने वाले दिग्विजय सिंह हो या कांग्रेस के अन्य दिग्गज नेता। अतीत में इन तमाम नेताओं ने अपने बयानों से आरएसएस और बीजेपी की इस अंदाज में आलोचना की कि वह देश के बहुसंख्यक समुदाय यानी हिन्दुओं के खिलाफ ही नजर आई। जाने-अनजाने कांग्रेस के नेता यह लगातार करते गए और इसे 2014 के लोकसभा चुनाव की हार के बाद समीक्षा के लिए बनी एंटनी कमेटी ने भी स्वीकार किया । ऐसे में अब दिग्विजय सिंह में आए बदलाव को इसी अंदाज से देखा जा रहा है कि बदले-बदले से सरकार नजर आते हैं। 

भोपाल का चुनावी समीकरण 

सच्चा हिन्दू साबित करने की होड़ में लगे दिग्विजय सिंह का मुकाबला भोपाल में सिर्फ साध्वी प्रज्ञा से ही नहीं है बल्कि भोपाल संसदीय सीट के इतिहास से भी है। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर में कांग्रेस ने आखिरी बार भोपाल में जीत हासिल की थी। 1989 से लेकर 2014 तक बीजेपी ने लगातार इस सीट पर जीत हासिल कर इतिहास बनाया है और दिग्विजय सिंह का मुकाबला इस इतिहास के साथ भी हो रहा है। वो चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं, बीजेपी के सबसे मजबूत गढ़ से । साढ़े 19 लाख के लगभग मतदाता वाले इस संसदीय क्षेत्र में 3.6 लाख ब्राह्मण, 2 लाख कायस्थ, 4.4 लाख पिछड़ा वर्ग, 1.6 लाख क्षत्रिय मतदाता रहते हैं तो वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 4 लाख के लगभग है।  

साधु बनाम साध्वी की लड़ाई का असर 

दिग्विजय सिंह अब यह कहते नजर आते है कि हिन्दू शब्द उनकी डिक्शनरी में ही नहीं है तो साध्वी प्रज्ञा तीखा हमला बोलते हुए इस बदलाव के बारे में कहती है कि जनता सब जानती है– संत कौन है और शैतान कौन। लेकिन इन तीखे हमलों पर भी दिग्विजय सिंह खामोश रह जाते हैं क्योंकि राजनीति का यह माहिर खिलाड़ी जानता है कि अभी कुछ भी बोले तो सच्चा हिन्दू बनने की कोशिश फेल हो जाएगी और फिर इसका असर सिर्फ भोपाल नहीं, सिर्फ मध्य प्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश में पड़ेगा। बीजेपी दिग्विजय सिंह के उन्ही पुराने बयानों के रिकॉर्ड का फिर से बजने का बेसब्री से इंतजार तो कर ही रही है। इसलिए तो यह माना जा रहा है कि भोपाल की इस चुनावी लड़ाई का असर मध्य प्रदेश की 8 सीटों के साथ-साथ 7 राज्यों की उन सभी 59 लोकसभा सीटों पर भी पड़ना तय है जहां-जहां छठे चरण के तहत 12 मई को मतदान होना है। 

- संतोष पाठक

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