कनाडा के प्रधानमंत्री को भाव नहीं देना भारत को महँगा पड़ सकता है

Indian government should give more attention to canadian prime minister

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में गर्मजोशी बनाये रखने के लिए राष्ट्रप्रमुख अक्सर विदेश दौरों पर रहते हैं और हर राष्ट्र अपने मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत करता है। भारत की सरकार विदेशी दौरों को हमेशा महत्त्व देती रही है।

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में गर्मजोशी बनाये रखने के लिए राष्ट्रप्रमुख अक्सर विदेश दौरों पर रहते हैं और हर राष्ट्र अपने मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत करता है। भारत की सरकार विदेशी दौरों को हमेशा महत्त्व देती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकसर प्रोटोकॉल को तोड़ कर राष्ट्राध्यक्षों की अगवानी करते आये हैं, इसका हालिया उदाहरण रहा इजराइल के प्रधानमंत्री का मोदी जी द्वारा स्वागत। किन्तु विश्व के कुछ सबसे प्रभावशाली और प्रसिद्ध राष्ट्रप्रमुखों में से एक कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन त्रुदू के भारत आगमन पर इस गर्मजोशी का प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से अभाव दिखा, जो प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

कनाडा विश्व के प्रमुख विकसित राष्ट्रों में शुमार है और इसकी छवि एक उदार राष्ट्र की रही है। भारत के लिए कनाडा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यहाँ प्रवासी भारतीयों की जनसँख्या 1,2000,000 है जो वहां की कुल जनसख्या का 3.54 प्रतिशत है, जोकि विकसित देशों में सबसे अधिक है। यहाँ पर पंजाबी, गुजराती, मारवाड़ी और दक्षिण भारतियों की काफी आबादी है। कनाडा लगातार अपने यहाँ अन्य देशों के लोगों को बुलाता रहा है। अभी हाल में फेसबुक पर भी कनाडा में रोजगार के अवसरों का प्रचार दिखा।

भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय सम्बन्ध भी काफी गरमजोशी भरे रहे हैं। न केवल पिछली सरकारों ने बल्कि मौजूदा सरकार ने भी कनाडा से समय समय पर व्यापारिक, राजनैतिक, सामरिक और तकनीकी संबंधों को मजबूत बनाने का प्रयास किया। कनाडा के प्रधानमंत्री की यह यात्रा भी भारत और कनाडा के लिए रिश्तों की नयी सौगात ले कर आई है। 7 दिनों के इस दौरे में प्रधानमंत्री जस्टिन कई राज्यों का दौरा करेंगे और राजनेताओं से मिलेंगे। इसकी शुरुआत 18 फरवरी को उनके ताज महल दौरे से शुरू हुई। 19 फरवरी को वह सपरिवार अहमदाबाद पहुंचे और साबरमती आश्रम का दौरा किया, वही साबरमती आश्रम जहाँ एक महीने पहले मोदी इस्राइली प्रधानमंत्री को ले कर गए थे। इजराइली प्रधानमंत्री का अहमदाबाद दौरा और मोदी के साथ मिलकर पतंगबाजी की उनकी तस्वीरें कई दिनों तक मीडिया की सुर्खियाँ बटोरती रहीं। किन्तु कनाडाई प्रधानमंत्री के दौरे पर मोदी की तरफ से गर्मजोशी का अभाव आश्चर्यचकित करता है। त्रुदू अपने 7 दिनों के दौरे के 6वें दिन अपने भारतीय समकक्ष से मिलेंगे।

कनाडा के प्रधानमंत्री का दिल्ली हवाई अड्डे पर स्वागत करने के लिए राज्य स्तरीय कृषि मंत्री भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद थे, इसी प्रकार आगरा और अहमदाबाद में भी उनके स्वागत की कुछ खास तैयारियां नहीं दिखीं, न ही मीडिया उनको बहुत तवज्जो देता नजर आया। जबकि त्रुदू अपने उदारवादी और मिलनसार व्यवहार के कारण विश्वभर के मीडिया का ध्यान आकर्षित करते रहे हैं। इसके पीछे एक बड़ा कूटनीतिक कारण है दोनों राष्ट्र प्रमुखों की राजनीतिक विचारधारा का विरोधाभास। त्रुदू कनाडा में अक्सर अलगाववादी सिखों के कार्यक्रमों में शामिल होते रहे हैं जो भारत में सत्तारुढ़ बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे से मेल नहीं खाता है। राजनीतिक विरोधाभास शायद जायज भी है किन्तु कनाडा जैसे प्रमुख और उदारवादी राष्ट्र के प्रमुख की इस तरह की अनदेखी शायद भारत की मृदु शक्ति (सॉफ्ट पॉवर) की छवि को नुकसान पहुंच सकती है। मोदी सरकार को इस बात की अनदेखी न करते हुए समय रहते ही कुछ कदम उठाने की जरूरत है।

-संज्ञा पाण्डेय 

(लेखिका जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से अंतर्राष्ट्रीय मामलों में एम. फिल. कर चुकी हैं)

नोटः प्रस्तुत विचार लेखिका के अपने निजी विचार हैं।

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