मोदी मन की बात की बजाय काम की बात करें तो जीत पक्की

Instead of talking Man ki baat, Modi should talk about kaam ki baat

आज भी राजनीति में उनका कोई विकल्प नहीं है। यदि इस शेष अवधि में मोदी मन की बात के बजाय काम की बात करने लगें तो भाजपा का शासन अगले पांच साल में भी पक्का ही रहेगा।

कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने प्रमुख विरोधी दलों की बैठक बुलाई ताकि अगले आम चुनाव के पहले एक बड़ा संयुक्त मोर्चा खड़ा किया जा सके। ऐसी कोशिशें पिछले तीन साल में कई बार हो चुकी हैं लेकिन वे इतनी बांझ साबित हुईं कि लोगों को उनकी याद तक नहीं है। लेकिन सोनिया की पहल पर 17 पार्टियों का मिलना अपने आप में महत्वपूर्ण है। इस जमावड़े में मायावती, ह.द. देवेगौड़ा और मुलायम सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं की अनुपस्थिति पर ध्यान जरुर गया लेकिन इस बैठक ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि देश के विरोधी दल अगले आम चुनाव में नरेंद्र मोदी को टक्कर देने के लिए संकल्पबद्ध हैं।

यह संकल्प तो दिखाई पड़ रहा है लेकिन इसके पीछे सत्ता-प्रेम के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता। इन नेताओं और पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर तलवारें भाजी हैं। यह अभी गठबंधन कम, गड़बड़ बंधन ज्यादा दिखाई देता है। 

इन नेताओं को एक सूत्र में जोड़ने वाला न तो कोई सिद्धांत है, न कोई विचारधारा, न कोई नीति और न ही कार्यक्रम। कोई रचनात्मक पहलू है ही नहीं। सिर्फ एक ही पहलू है। सिर्फ मोदी हटाओ अभियान है लेकिन मोदी की टक्कर में खड़ा होने वाला क्या कोई नेता इस गठबंधन के पास है ? इसमें शक नहीं कि देश की जनता का मोदी से मोहभंग शुरु हो गया है। गुजरात और राजस्थान के चुनाव इसके प्रमाण हैं। जहां तक इस महागठबंधन के नेता का सवाल है, वह अपने आप में एक महाभारत है। इसके अलावा जो बजट अभी आया है, यदि उसमें दिखाए गए सपनों के आधे भी सरकार ने साकार कर दिए तो गठबंधन की हवा अपने आप निकल जाएगी।

यों भी विरोधी नेताओं को आज किसी जयप्रकाश नारायण की जरुरत है, जो न सिर्फ विरोधियों को एक कर सके बल्कि जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के लोगों की भी सहानुभूति अर्जित कर सके। मोदी ने अपने व्यवहार से देश के राजनीतिक भद्रलोक में सर्वत्र अपने दुश्मन खड़े कर लिये हैं लेकिन आज भी राजनीति में उनका कोई विकल्प नहीं है। यदि इस शेष अवधि में मोदी मन की बात के बजाय काम की बात करने लगें तो भाजपा का शासन अगले पांच साल में भी पक्का ही रहेगा।

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक

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