तो ये है केजरीवाल का महागठबंधन से मोहभंग होने का कारण..

kejriwal-disillusionment-with-the-coalition-partners
[email protected] । Aug 13 2018 6:49PM

कर्नाटक में बीजेपी की हार के बाद से ही विपक्षी दलों का मनोबल हवा में था। उनको लगा था शायद हम मिल कर मोदी की लहर को रोक लेंगे, इस लिए ही 23 मई को कर्नाटक में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सभी विपक्षी दलों ने हाथों में हाथ बांध कर शक्ति प्रदर्शन किया था

कर्नाटक में बीजेपी की हार के बाद से ही विपक्षी दलों का मनोबल हवा में था। उनको लगा था शायद हम मिल कर मोदी की लहर को रोक लेंगे, इस लिए ही 23 मई को कर्नाटक में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान सभी विपक्षी दलों ने हाथों में हाथ बांध कर शक्ति प्रदर्शन किया था। ये शक्ति प्रदर्शन नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ था। इस शपथ ग्रहण में 2019 के लोकसभा चुनाव के संभावित मोदी विरोधी मोर्चे की तस्वीर नजर आई। एक मंच पर कांग्रेस-जेडीएस समेत 13 दलों के प्रमुख मौजूद थे।  कांग्रेस समेत इन दलों के पास अभी लोकसभा में 133 सीटें हैं। यह आंकड़ा भाजपा की मौजूदा 272 लोकसभा सीटों का 48% है। अगर 2019 में ये सभी दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं और एकदूसरे के वोट नहीं काटते हैं तो उनकी सीटों का आंकड़ा बढ़ भी सकता है। इस मंच पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए थे और महागंठबंधन के साथ केजरीवाल का आना काफी सुर्खियों में था। इससे लगने लगा था कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी महागठबंधन का हिस्सा बनेगी, लेकिन तीन महीने के भीतर ही अरविंद केजरीवाल का महागठबंधन से मोहभंग हो गया है। हाल ही में खबर आई की आप पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री महागठबंधन में शामिल नहीं होंगे। इसका ऐलान खुद केजरीवाल ने किया। इस अलगाव के पीछे की वजह जो बताई जा रही है, वो हे आगामी तीन बड़े चुनाव। इतना ही नहीं, महागठबंधन से अलग होने का फैसला AAP के अन्य राज्यों में विस्तार की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।

कहा जाता है कि आप पार्टी के सुप्रीमों अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता में आने के बाद काफी राजनीति सीख ली है वो हर कदम सोच समझ कर चलते हैं। केजरीवाल का विपक्ष के महागठबंधन से किनारा करने को नई रणनीति के तहत देखा जा रहा है। 

आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर केजरीवाल की नजर

कांग्रेस को लगता है कि महागठबंधन के समुद्र मंथन से ही सत्ता का अमृत पाया जा सकता है महागठबंधन का वैचारिक आधार है-मोदी विरोध। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के सपनों पर पानी फेरते हुए महागठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया। केजरीवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह किसी से गठबंधन में विश्वास नहीं करते। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि इस तरह के गठबंधन देश के विकास के लिए नहीं है। दिल्ली सीएम केजरीवाल ने इस बात का ऐलान रोहतक में किया। केजरीवाल ने कहा कि जो पार्टियां संभावित महागठबंधन में शामिल हो रही हैं, उनकी देश के विकास में कोई भूमिका नहीं रही है। उनका रोहतक से ये ऐलान करना उनके चुनावी एजेंडे का प्लान हैं। राजनीति के जानकारों की मानें तो आप 2019 में लोक सभा और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ना चाहती हैं। केजरीवाल का प्लान पंजाब की तरह ही हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव में लड़ने का हैं। इसी के साथ कुछ ही महीनों बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 पर भी नजर है, जहां वह सत्ता में है। माना जा रहा है कि अगर AAP महागठबंधन का हिस्सा बनी तो उसे दिल्ली में जवाब देना मुश्किल हो जाएगा।

हरियाणा के दंगल में बीजेपी को चारों खाने चित करना चाहती है AAP

आप ने दिल्ली के बाद अपनी ताकत पिछले साल फरवरी-मार्च में हुए पंजाब और गोवा विधानसभा के चुनाव ने दिखाई थी। केजरीवाल की पार्टी को उस समय इन चुनाव में ज्यादा सफलता नहीं मिली थी। पंजाब में तो आप ने कैसे करके लाज बचा ली थी लेकिन गोवा में काफी बुरी दुर्दशा हुई थी। लेकिन इस बार आप कोई गलती नहीं करना चाहती हैं। इस बार केजरीवाल के इरादे  हरियाणा  से बीजेपी को बाहर उखाड़ फेकने के हैं। इस बार वो हरियाणा की विधानसभा की 90 सीटों पर पूरे उम्मीदवार उतार कर बहुमत से सरकार बनाना चाहते हैं। 

केजरीवाल को हरियाणा में नजर आती है राजनीतिक जमीन 

दिल्ली में सत्ता में बैठी आम आदमी पार्टी ये सपने देख रही है कि दिल्ली- पंजाब के हरियाणा में अपने लिए राजनीतिक जमीन बना सकती है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि केजरीवाल का गृह राज्य हरियाणा है। अरविंद केजरीवाल का जन्म 1968 में हरियाणा के हिसार शहर में हुआ था। जाहिर है कि आम आदमी पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव को बेहद गंभीरता से ले रही है। 25 मार्च को अरविंद केजरीवाल ने हिसार में ही हरियाणा बचाओ रैली के जरिए अगले साल नवंबर में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। 

एक साल पहले ही घोषित कर दिया CM पद का उम्मीदवार 

हरियाणा में  विधानसभा चुनाव 2019 के अंत में होंगे लेकिन केजरीवाल ने तैयारियां अभी से ही शुरू कर दी हैं। अरविंद केजरीवाल कोई भी कसर नही छोड़ना चाहते। उन्होंने एक साल पहले ही AAP ने मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाया है। नवीन जयहिंद, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद (स्वाति मालिवाल) के पति हैं। दोनों आप के पुराने सदस्य हैं और आप के सभी आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।

दिल्ली के विकास एंजेंडे पर हरियाणा में लड़ेंगे चुनाव

केजरीवाल ने कहा है कि दिल्ली में विकास के मॉडल को लेकर हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। एसवाईएल नहर के मुद्दे पर कहा कि दोनों राज्यों के साथ न्याय होना चाहिए, जो सुप्रीम कोर्ट करेगा। भाजपा समेत कांग्रेस व इनेलो, एसवाईएल पर राजनीति कर रही है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़