देशभर में फिर गूंजा मोदी-मोदी, महागठबंधन नाखुश: C-वोटर्स सर्वे
सियासी पार्टियों को लेकर देश का मूड क्या है? इसको लेकर समय-समय कई सारे सर्वे सामने आते रहते हैं। इसी कड़ी पर ABP न्यूज़ ने C-Voters के साथ भारत की मनोदशा को जानने का प्रयास किया और बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का पलड़ा कहा पर भारी है।
सियासी पार्टियों को लेकर देश का मूड क्या है? इसको लेकर समय-समय कई सारे सर्वे सामने आते रहते हैं। इसी कड़ी पर ABP न्यूज़ ने C-Voters के साथ भारत की मनोदशा को जानने का प्रयास किया और बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का पलड़ा कहा पर भारी है और कहां पर कमजोर...
राफेल डील के घमासान और पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के बीच में सी-वोटर्स ने इस सर्वे को अंजाम दिया है। इन मुद्दों ने फिलहाल मोदी सरकार की छवि को धूमिल करने का काम किया है। वहीं, विपक्ष के महागठबंधन की बात की जाए तो मायावती के हाल के बयानों से साफ जाहिर हो रहा है कि वह आने वाले समय पर पूरी तरह से किनारा काट सकती है और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश ने तो साफ कह ही दिया है कि वो किसी भी सूरत पर साइकिल पर हाथी को बैठा कर ही चलेंगे।
हालांकि, महागठबंधन के टूटते सपनों को एकजुट करने के लिए जेडीएस प्रमुख एचडी देवेगौड़ा ने साफ कह दिया कि मायावती के बयान से महागठबंधन कमजोर नहीं होने वाला है। फिलहाल, आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है और लोकसभा चुनाव से पहले 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों से जनता का मूड बदल भी सकता है, इसी को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक पार्टियां अपने प्रतिद्वंदियों को घेरने से कतई नहीं चूकती है।
लेकिन, सबसे दिलचस्प बात यह है कि सी-वोटर्स का यह सर्वे अगस्त के आखिरी सप्ताह से लेकर सितंबर के आखिरी सप्ताह तक किया गया। इस सर्वे में देश की सभी 543 लोकसभा सीटों को कवर किया गया और 32 हजार 547 लोगों की राज जानी गई। जिसके बाद यह आंकड़े पेश किए गए है।
अब बात उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों की, यहां से किसको क्या मिलने वाला है?
समाजवादी पार्टी और मायावती एक साथ और कांग्रेस अलग चुनाव लड़ती है तो...
एनडीए- 36
कांग्रेस- 02
महागठबंधन- 42
अगर महागठबंधन में कांग्रेस को भी कर लिया जाए शामिल
एनडीए- 24
यूपीए- 56
मायावती के सियासी तेवरों के बाद अगर वह अकेले लड़ती है चुनाव तो...
एनडीए- 70
कांग्रेस- 02
अन्य- 08
ये था उत्तर प्रदेश को लेकर देश की जनता की मनोदशा अब बात दूसरे सियासी राज्य बिहार की की जाएं तो यहां की 40 सीटों पर किसका कितना है दमखम?
अगर रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा UPA में हुए शामिल तो...
एनडीए- 22
यूपीए- 18
अगर हालिया राजनीति इसी तरह चलती रही और मौजूदा एनडीए बना रहा तो...
एनडीए- 31
यूपीए- 09
सी-वोटर्स के सर्वे के मुताबिक बिहार में रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी यूपीए के साथ शामिल हो जाए तो एनडीए और यूपीए के बीच में जबरदस्त टक्कर होगी। लेकिन, हालिया स्थिति बनी रही और एनडीए को कोई छोड़ कर नहीं जाता तो यूपीए गर्त में चली जाएगी और महज 40 सीटों में से 9 पर ही संतोष करना पड़ेगा।
अब बात चुनावी राज्य मध्य प्रदेश (29 सीटें), छत्तीसगढ़ (11 सीटें) और राजस्थान (25 सीटें) की। यहां पर लोकसभा के लिए किसका बोलबाला है यह तो आंकड़े साफ दर्शा रहे हैं।
मध्य प्रदेश (29 सीटें)
एनडीए- 23
यूपीए- 06
छत्तीसगढ़ (11 सीटें)
एनडीए- 09
यूपीए- 02
राजस्थान (25 सीटें)
एनडीए- 18
यूपीए- 07
इन चुनावी राज्यों के आंकड़े यह साफ-साफ बता रहे हैं कि लोकसभा चुनावों में यूपीए पर एनडीए चढ़ाई करने वाला है, अगर इन आकंड़ो के आधार पर विधानसभा चुनाव की बात करें तो यह राजनीतिक पार्टियों के लिए चिंता का विषय है।
पंजाब, दिल्ली और हरियाणा की जनता क्या चाहती है?
पंजाब (13 सीटें) | हरियाणा (10 सीटें) | दिल्ली (7 सीटें) |
NDA- 01 | 06 | 07 |
UPA- 12 | 03 | 00 |
अब बात देश की आर्थिक राजधानी महाराष्ट्र की...जहां कि सियासत उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ मिलकर देश को प्रधानमंत्री देने का काम करती है। ऐसे में यहां के आंकड़े राजनीतिक पार्टियों के लिए काफी दिलचस्प होंगे और यह उन्हें अपने कमजोर कड़ी को ताकत देने की दिशा पर आगे बढ़ाएगी। महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर वैसे तो एनसीपी, शिवसेना, बीजेपी और कांग्रेस का ही बोलबाला रहता है मगर एमएनएस और अन्य भी कभी-कभार बाजी मार ले जाते हैं।
अगर एनसीपी और कांग्रेस एक साथ और बीजेपी-शिवसेना अलग-अलग चुनाव लड़े तो...
यूपीए- 30
एनडीए- 16
शिवसेना- 02
एनसीपी-कांग्रेस एक साथ और बीजेपी-शिवसेना साथ में चुनाव लड़े तो...
एनडीए- 36
यूपीए- 12
सभी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़े उस दौरान महाराष्ट्र का हाल?
बीजेपी- 22
शिवसेना- 07
कांग्रेस- 11
एनसीपी- 08
यहां पर अगर महागठबंधन बीजेपी को शिवसेना से तोड़कर अलग कर दें तो एनडीए कमजोर पड़ जाएगी। हालांकि, ऐसा हो पाना मुश्किल हैं क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से जो खींचतान देखी जा रही है बीजेपी और शिवसेना के बीच वह चुनावों के वक्त सीटों के बंटवारे को लेकर सुलझ जाती है।
इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव में ओडिशा से लड़ने की खबरों ने खासा सुर्खियां बटोरी है। हालांकि, इस राज्य 21 लोकसभा सीटों को लेकर जनता क्या सोचती हैं?
बीजेपी- 13
बीजेडी- 06
कांग्रेस- 02
चर्चाओं में सबसे अधिक तो दक्षित भारत ही रहता है क्योंकि दक्षिण भारत का मानना है कि राष्ट्रीय मीडिया उन्हें ज्यादा कवरेज नहीं देती है। हालांकि, सच्चाई क्या है इस बारे में कह पाना थोड़ा मुश्किल प्रतीत होता है। अब दक्षित भारत के राज्य- कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की बात।
दक्षिण भारत की कुल 129 लोकसभा सीटों पर जनता की राज
एनडीए- 21
यूपीए- 32
अन्य- 76
अब तक के सभी आंकड़े बताते हैं कि एनडीए को 38 फीसदी और यूपीए को 25 फीसदी वोट मिल सकते हैं। हालांकि, 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए को 40 फीसदी और यूपीए को 24 फीसदी मिले थे। वहीं, सी-वोटर्स ने बताया कि अभी अगर चुनाव कराए जाए तो एनडीए के खाते में 276 और यूपीए के खाते 112 जबकि, अन्य के खाते में 155 सीटे जाती हुई दिख रही हैं।
ये तो थे लोकसभा चुनाव (सर्वे) के आंकड़े लेकिन सबसे दिलचस्प सवाल तो यह है कि प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद कौन है? तो जवाब अब आपके जहन में आ ही गया होगा। सर्वे में अलग-अलग साल लोगों ने कितना किसे पसंद किया इस बात का आंकड़ा हैं। हालांकि, यह सर्वे महज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की छवि को लेकर है।
साल 2017 में 69 फीसदी लोगों की पहली पसंद प्रधानमंत्री मोदी तो 26 फीसदी लोगों की पसंद राहुल गांधी थे। वहीं, जनवरी 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि पीएम मोदी की छवि में गिरावट आई और 69 फीसदी से कम होकर 66 फीसदी रह गया। जबकि राहुल गांधी की 2फीसदी का मुनाफा हुआ और उन्हें अब 28 फीसदी लोग प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते हैं। मगर हालिया वक्त क्या कहता है यह जानना बेहद जरूरी है। 60 फीसदी लोगों की पहली पसंद पीएम मोदी तो 34 फीसदी लोग राहुल गांधी को पसंद करते हैं।
इन आंकड़ो के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की छवि साल 2017 के बाद से लगातार नीचे गिरते हुए दिखाई दे रही है, जबकि राहुल गांधी इसका फायदा ज्यादा उठा नहीं पाए है और महज 8 फीसदी लोगों को ही अपनी तरफ आकर्षित कर पाए हैं।
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