एकजुट हो रहे विपक्ष को फिर बिखेर गया मोदी का दाँव
राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीटर पर उन्हें बधाई दी और जवाब में उन्होंने कहा कि धन्यवाद आपका जो आपने एक दलित चेहरे को सबसे ऊंचा पद सौंपा।
भारतीय जनता पार्टी ने सबको चौंकाते हुए बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है और विपक्षी पार्टियां स्तब्ध हैं क्योंकि मीडिया में अटकलों का दौर चल रहा था और उनका नाम कभी चर्चा में नहीं आया। विपक्षी पार्टियों के लिए भी किसी निर्विवाद और दलित व्यक्ति का विरोध करना मुश्किल हो सकता है और यही कारण है कि उनके नाम का ऐलान होने के बाद कई विपक्षी पार्टियों ने उनका समर्थन करने की घोषणा की है। यह तो बार-बार कहा जा रहा था कि किसी दलित को राष्ट्रपति बनाया जा सकता है और दो नामों पर जोर-शोर से चर्चा हो रही थी, झारखंड की वर्तमान राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और केन्द्रीय मंत्री थावर चंद गहलौत और कभी कयास लगाये जाते थे कि वरिष्ठ भाजपा नेताओं लालकृष्ण आडवाणी या मुरली मनोहर जोशी को राष्ट्रपति बनाया जा सकता है तो कभी अरूण जेटली और सुषमा स्वराज के नाम उछलते रहे लेकिन रामनाथ कोविंद का नाम कभी सुर्खियों में नहीं रहा। वैसे रामनाथ कोविंद शीर्ष भाजपा नेताओं में रहे हैं और दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। वह भाजपा के अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष और पार्टी प्रवक्ता की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान वह उस टीम के सदस्य थे जिन पर उत्तर प्रदेश में पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी थी। दरअसल रामनाथ कोविंद चुपचाप बिना सुर्खियों में आये पार्टी में दी गई जिम्मेदारियों का निर्वाह करते आ रहे थे और 2015 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बना दिया गया था। जेडीयू के भाजपा से कटु सम्बन्धों के बावजूद उन पर कभी पक्षपात या विवाद में पड़ने के आरोप नहीं लगे बल्कि उन्होंने नीतिश कुमार की शराबबंदी का समर्थन किया था।
प्रधानमंत्री की मौजूदगी में भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का फैसला किया गया। इसकी घोषणा करते हुए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उनकी योग्यता के साथ-साथ यह भी बताया कि वह गरीब दलित परिवार से सम्बंध रखते हैं। दलित बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना भाजपा कामास्टर स्ट्रोक है। देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर दलित बिरादरी के व्यक्ति के चयन का विरोध करना किसी भी दल के लिए कठिन है। हर दल दलित समाज को अपने साथ रखने का प्रयास करता है और कोई भी दल उन्हें नाराज नहीं करना चाहता ताकि वह छिटक कर भाजपा का दामन थाम लें और वैसे भी अकेले उत्तर प्रदेश में 23 प्रतिशत दलित हैं और उनके वोट के बगैर कोई भी सरकार नहीं बन सकती।
रामनाथ कोविंद का बचपन गरीबी में गुजरा है और पढ़ाई के खर्चे के लिए उन्होंने टयूशन तथा वकीलों के स्टेनों का काम भी किया है और पढ़ाई पूरी करके ही दम लिया। वह एक कामयाब वकील थे और उन्होंने वर्ष 1977 से 1979 तक दिल्ली हाईकोर्ट में तथा 1980 से 1993 तक सुप्रीम कोर्ट में वकालत की है। 1977 में जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने, तब वह उनके वकील बनाये गए थे। भाजपा से जुड़ने के बाद 1994 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए और लगातार दो बार मार्च 2006 तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं।
कोविंद का राष्ट्रपति चुना जाना तय है और वह उत्तर प्रदेश से पहले राष्ट्रपति होंगे। राष्ट्रपति चुनाव के कुल वोटों 10,98,903 में से बहुमत के लिए 5,49,452 वोट चाहिए। भाजपा और सहयोगी दलों के पास (शिव सेना को छोड़कर) के पास 5,11,721 वोट हैं। इसके अलावा बीजू जनता दल के 36,549 टीआरएस के 23,232, जगन मोहन रेडडी की वाईएसआर कांग्रेस के 16,996 के अलावा और भी वोट मिलना तय है और उनकी जीत सुनिश्चित है। विपक्षी पार्टियों के कुल मिलाकर आधे वोट भी नहीं हैं लेकिन उन्हें प्रतीक के तौर पर चुनाव लड़ना है, सो वह लड़ेंगे ही, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने बिखरे विपक्ष पर मास्टर स्ट्रोक लगा दिया है।
कानपुर देहात के घाटमपुर स्थित परौंख गांव में 01 अक्टूबर, 1945 को जन्मे पामनाथ कोविंद राज्यसभा सदस्य के रूप में अनेक संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। खासकर अनुसचित जाति-जनजाति कल्याण संबंधी समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा कानून एवं न्याय संबंधी संसदीय समितियों में वह सदस्य रहे। वह लखनऊ स्थित भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रबंधन बोर्ड के सदस्य तथा भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता के बोर्ड आफ गवर्नर्स के सदस्य भी रह चुके हैं।
राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीटर पर उन्हें बधाई दी और जवाब में उन्होंने कहा कि धन्यवाद आपका जो आपने एक दलित चेहरे को सबसे ऊंचा पद सौंपा। उनका चुनाव जीतना तय है और वह बेहतर राष्ट्रपति साबित होंगे। उनके नामांकन की तैयारी शुरू हो गई है। 23 जून को होने वाले नामांकन के लिए प्रधानमंत्री और अमित शाह के साथ-साथ अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू प्रस्तावक बनेंगे। प्रधानमंत्री के प्रस्ताव का समर्थन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। अमित शाह के प्रस्ताव का समर्थन वित्त मंत्री अरुण जेटली करेंगे। बादल और नायडू के प्रस्ताव का समर्थन वेंकैया नायडू और सुषमा स्वराज करेंगी।
- विजय शर्मा
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