ओछे बयान देने वाले नेताओं का विरोध होना चाहिए

प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर लाखों लोग सफाई अभियान में जुट गये, एक करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री की अपील पर गैस की सब्सिडी छोड़ दी। क्या हो यदि प्रधानमंत्री की कुर्सी मुलायम सिंह को सौंप दी जाये और वो अपने पुराने विवादित बयान को दोहरा दें।

इन दिनों हमारे देश में भाषाई असहिष्णुता का दौर चल रहा है। दो इंच लम्बी जीभ ने देश में बड़े बड़े राजनीतिक तूफान और बवंडर पैदा कर दिये हैं, जिनका असर लम्बे समय तक रहेगा। भाजपा के दयाशंकर सिंह ने शब्दों की सीमा लांघी तो मायावती व उनके सिपहसालार इतना आगे बढ़ गये कि बवंडर हो गया। दयाशंकर जेल होकर बाहर भी आ गये तो दूसरी ओर मायावती के सिपहसालारों को जेल भेजने के लिए कागज पत्र तैयार हो रहे हैं।

बुलन्दशहर में कुछ गुण्डों ने मानवता को शर्मसार किया तो मुलायम सिंह यादव की पार्टी के नेता मिंया आजम खान अपनी आदत के अनुसार बदजुबानी कर बैठे, तो उनके प्रत्युत्तर में भाजपा के प्रवक्ता केपी सिंह भी जुबानी जंग पर उतर आये। प्रत्येक टीवी चैनल को बैठे बिठाये गर्मागर्म मसाला मिल गया और बयानबहादुरों का टीवी ट्रायल प्रारम्भ हो गया। अब सवाल ये उठता है कि राजनीति को जिसे समाज का दर्पण कहा जाता है, वहां यदि ऐसे ओछे बयान देने वाले लोग होंगे तो जनता किसका अनुसरण करेगी। क्या इन लोगों की शैक्षणिक योग्यता संदेहास्पद हो गयी है अथवा वे ऐसे ही माहौल में रहने के आदी हैं जहां अपशब्दों का प्रयोग करना नैतिक अधिकार समझा जाता हो। मुलायम सिंह ने भी एक बार कहा था कि बलात्कार कोई गम्भीर घटना नहीं होती, लड़कों से गलतियां हो ही जाती हैं। मुलायम सिंह को उनकी पार्टी का सर्वेसर्वा समझा जाता है, उनकी पार्टी के लाखों युवा क्यों नहीं अपने नेता की बातों का अनुसरण करेंगे।

शब्दों का कमाल है कि प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर लाखों लोग अपने घरों से निकलकर सफाई अभियान में जुट गये, एक करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री की अपील पर गैस की सब्सिडी छोड़ दी। क्या होता हमारे देश का हाल यदि प्रधानमंत्री की कुर्सी मुलायम सिंह को सौंप दी जाये और वो अपने पुराने बयान को ही दोहरा दें। एक बयान बहादुर अरविंद केजरीवाल जी हैं, यदि आम आदमी पार्टी के विधायक लड़की छेड़ने में पकड़े जायें, नकली डिग्री के अपराध में पकड़े जायें, महिला हिंसा में पकड़े जायें तो उन्हें इन सबके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साजिश नजर आती है। देवभूमि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री कह बैठे कि मंत्री चाहे जितना अपने विभाग से कमाएं, हम तो आंखें बन्द कर लेंगे। जबान ही तो है फिसल गई बेचारी।

कहा जाता है कि जबान का रस टपकता भी है। बुजुर्ग लोग एक किस्सा सुनाते हैं जो इस प्रकार है- एक बार एक जंगल में एक युवक रास्ता भटक गया, बहुत रात हो गई, ढूंढते ढूंढते एक झोपड़ी दिखाई थी। युवक के पास कुछ कच्चे चावल भी थे, युवक ने सोचा कि चलो इसी झोपड़ी में रात बिताई जाये, यदि सम्भव हुआ तो चावल भी पकाकर खायें। जब युवक झोपड़ी के पास पहुंचा तो वहां एक वृद्ध महिला दिखाई दी। युवक ने सोचा कि चलो अच्छा हुआ, ये वृद्ध माता चावल भी पका ही देगी। युवक झोपड़ी में आ गया, महिला ने युवक का हालचाल पूछा तथा झोपड़ी में रूकने की आज्ञा दे दी। उस झोपड़ी का दरवाजा बहुत छोटा था तथा झुककर ही आना जाना हो सकता था। महिला ने चावल भी पकने के लिये चढ़ा दिये। महिला ने बताया कि उक्त झोपड़ी में महिला तथा उसका युवा पुत्र रहते हैं, उसका पुत्र किसी कार्यवश बाहर गया हुआ था तथा उस रात्रि आने वाला नहीं था।

कुछ देर तक तो युवक खामोश रहा, किन्तु अचानक पूछा कि माता तुम इस झोपड़ी में कैसे रहती हो, यहां का दरवाजा तो बहुत छोटा है, महिला ने कहा कि बस गुजारा चल रहा है। युवक ने पुनः पूछा कि माता तुम्हारी मृत्यु हो जाये तो तुम्हें यहां से कैसे निकालेंगे, महिला सकपकाई किन्तु शालीनता से उत्तर दिया कि तुम्हारे जैसे पुत्र किसी न किसी प्रकार निकाल ही लेंगे। युवक फिर भी खामोश नहीं रहा, पुनः पूछा कि यदि तुम्हारे पुत्र की मृत्यु हो जाये तो तुम क्या करोगी कैसे उसके मृत शरीर को बाहर निकालोगी, इतना सुनते ही उक्त वृद्ध महिला को क्रोध आया और उसने युवक को तुरन्त बाहर जाने को कह दिया तथा कहा कि अभी तक तो मैं सुन रही थी तेरी बातों को, किन्तु अब तू मेरे ही पुत्र की मृत्यु की कामना कर रहा है जो मेरा सर्वस्व है। ले पकड़ अपने चावल, कह कर महिला ने युवक के चावल उसके ही कपड़े में पोटली बनाकर डाल दिये तथा झोपड़ी से निकाल दिया। युवक वहां से चल दिया उसकी पोटली से आधे पके चावलों का पानी टपक रहा था तथा अपनी जुबान पर क्रोध आ रहा था। रास्ते में किसी ने उस युवक से पूछा कि पोटली में से क्या टपक रहा है तो उसने उत्तर दिया कि मेरी जबान का रस। यही जबान का रस आज पूरी समाज को प्रदूषित कर रहा है।

बड़े बड़े ऋषि मुनियों ने कहा है कि ये दो इंच की जबान दुनिया में युद्ध भी करा सकती है और यही जबान दुनिया में भाईचारे और शांति की वर्षा भी कर सकती है। बस इसका सही और सुन्दर प्रयोग ही जीवन का उद्देश्य हो तभी दुनिया सफल होगी अन्यथा तो दुनिया में समस्त झगड़ों की जड़ यही जबान है। कबीर दास कह गये हैं कि ऐसी बानी बोलिये मन का आपा खोये, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए।

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