नेहरू या मोदी को नहीं चीन को घेरना है, यह बात राजनेता क्यों नहीं समझते?

nehru modi

यह देखकर आश्चर्य होता है कि अपने ही राजनेताओं के द्वारा देश में अपनी ही बेहद गंभीर समस्याओं व चुनौती के समय मिलकर उस समस्या का समाधान ढूंढ़ने की जगह न जाने क्यों उनके द्वारा बार-बार ओछी राजनीति शुरू कर दी जाती है।

अपनी विस्तारवादी नीति, ओछी चालबाजी, विश्वासघात, पीठ में खंजर घोपने, धोखेबाजी, झूठ, प्रपंच, कुटिल चाल और कायराना हरकतों के लिए चीन विश्व में प्रसिद्ध है। जिस समय सम्पूर्ण मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके चीन के वुहान में पैदा हुए बेहद घातक कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण से मानव सभ्यता को बचाने की बहुत बड़ी चुनौती विश्व के सामने खड़ी है। जिस समय विश्व के हर देश का समस्त सिस्टम कोरोना से अपने लोगों की अनमोल जिंदगी बचाने में व्यस्त है। उस बेहद भयावह आपदाकाल के समय में भी चीन अपनी भूमाफिया वाली ओछी सोच, विस्तारवादी नीति व ओछी कायराना हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। जिस समय सभी देशों को एकजुट होकर कोरोना वायरस के खात्मे के लिए लड़ना चाहिए उस समय भी मानवता का दुश्मन चीन भारत की सीमा पर जबरन सीमा विवाद उत्पन्न कर रहा है। आपको बता दें कि चीन की सीमा 14 देशों के साथ लगती है जिनमें से 13 देशों के साथ भूमाफिया चीन का विवाद चल रहा है, 14वां देश पाकिस्तान है जिसने चीन के सामने पूर्ण रूप से सरेंडर कर रखा है और जिस तेजी के साथ चीन का दिनप्रतिदिन पाकिस्तान में बहुत तेजी से राजनीतिक व सरकार के सिस्टम के स्तर पर दखल बढ़ता जा रहा है, उसके हिसाब से वह दिन अब दूर नहीं है जब चीन बहुत जल्द ही पाकिस्तान पर भी अपना कब्जा जमाने का प्रयास शुरू करके उसको चीन का हिस्सा बनाने के षड्यंत्र की रणनीति पर काम शुरू कर देगा।

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जिस तरह से कुछ दिन पहले चीन ने अपनी विश्वासघाती नीति व ओछी हरकतों पर अमल करते हुए, चीन की सेना ने 15-16 जून की रात को भारत के लद्दाख क्षेत्र की गलवान घाटी में एलएसी पर भारतीय सैनिकों की पट्रोलिंग टीम पर कायराना पूर्ण ढंग से हमला किया है, वह चीन के शीर्ष नेतृत्व व उसकी सेना के गैरजिम्मेदाराना रवैया को दर्शाता है, इस घटना के बाद से ही दोनों देशों के बीच जबरदस्त संघर्ष पूर्ण स्थिति व बेहद तनाव वाला माहौल लगातार बना हुआ है। भूमाफिया चीन के इस कायराना हमले में भारत की सीमाओं की रक्षा की खातिर देश के वीर जाबांज 20 सैनिकों को अपनी अनमोल शहादत देनी पड़ी थी। चीन की सेना के इस हमले में ही संघर्ष के दौरान हमारे देश के माँ भारती के वीर जाबांज सपूत सेना के बेहद पराक्रमी बिहार रेजिमेंट के वीर जाबांज जवानों ने भी तत्काल ही चीनियों की सेना के 43 लोगों को मारकर मुँहतोड़ जवाब दे दिया था, जिसमें चीनी सेना का शीर्ष कमांडर भी शामिल था। भारत के जाबांज वीर योद्धा सैनिकों ने तुरंत ही मौके पर जबरदस्त जवाबी कार्यवाही करके चीनी ड्रैगन को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भारत की जाबांज वीर सेना उसको हर वक्त विकट से विकट परिस्थितियों में भी उचित जवाब देने में सक्षम है। भारत-चीन के बीच घटित इस घटना के बाद से भारत के आम व खास सभी वर्गों के जनमानस में चीन के खिलाफ बहुत जबरदस्त आक्रोश व भयंकर गुस्सा व्याप्त है, देश में हर तरफ केवल एक ही मांग उठ रही है कि 'देश मांगें चीन से बदला' और 'चीनी सामान का करो बहिष्कार'। लेकिन बेहद अफसोस की बात यह है कि देश में इस बेहद गंभीर व ज्वंलत मसले पर भी लगातार पक्ष विपक्ष के दलों की आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति तेजी से जारी है। गलवान घाटी की इस सैन्य संघर्ष की घटना के बाद से अधिकांश राजनीतिक दलों की कृपा से देश में राजनीति अपने चरम पर पहुंची हुई है। जबकि इस समय विश्व के अधिकांश ताकतवर देश इस बेहद ज्वंलत मसले पर भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के लिए तैयार हैं। लेकिन हमारे देश के कुछ राजनेता जिनको इस समय एकजुटता दिखाकर समाज के सामने नायक बनना चाहिए था वो इस समय भी दलों का आपसी मनमुटाव व अपनी राजनीति को भूलने के लिए तैयार नहीं हैं। 

सबसे बड़े अफसोस की बात यह है कि जिस समय हमारे देश के नायकों को एकजुट होकर भारत के लिए व दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके ड्रैगन चीन को हर मोर्चे पर घेरना था, उस समय भी इन कुछ राजनेता स्वघोषित नायकों के द्वारा देश में एक दूसरे को चिढ़ाने की राजनीति की जा रही है। जब दुश्मन हमारे देश के रीयल नायक हीरो जाबांज वीर सेना के जवानों को बार-बार अपने ही क्षेत्र में पेट्रोलिंग करने से रोकने का दुस्साहस कर रहा है, सेना के जवानों के विरोध करने पर चीन उनको निशाना बना कर खूनी झड़प करने का प्रयास तक कर रहा है। आज जब देश की चीन पाकिस्तान व नेपाल से सटी सीमाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर दुश्मन देश की लगातार ओछी हरकतों से खतरा मंडरा रहा हो और इस बेहद गंभीर मुद्दे पर भी कुछ राजनेताओं के द्वारा आरोप-प्रत्यारोप की ओछी राजनीति की जाये, यह देश की राजनीतिक व्यवस्था के लिए बेहद शर्म की बात है।

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आज देश में स्थिति यह हो रही है कि चीन के मसले पर आम जनता को बरगलाने के लिए एक तरफ तो देश के कुछ राजनेता मौजूदा स्थिति पर ध्यान न देकर, वर्ष 1962 की ओट लेकर आज भी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में हुए चीन युद्ध के समय की गयी भारत की कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह लगाकर, नेहरू व उस समय की हमारी सैन्य सुरक्षा व्यवस्था को बार-बार कटघरे में खड़ा करने में व्यस्त हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ राजनेता गलवान घाटी व चीन के द्वारा अन्य मोर्चो पर लगातार भारतीय सीमाओं पर हो रहे अतिक्रमण के प्रयास की घटनाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर प्रश्नचिन्ह लगाकर उनको कटघरे में खड़ा करने में व्यस्त हैं, कोई भी पक्ष या विपक्ष यह समझने के लिए तैयार नहीं है कि यह कुटिल धोखेबाज चीन से सीमा विवाद का बेहद ज्वंलत मसला है, यह मसला कोई छोटा-मोटा या देश की अंदरूनी राजनीति का मुद्दा नहीं है जिस पर राजनेताओं को राजनीति का अखाड़ा बनाना बेहद जरूरी है, यह भारत के दुश्मन भूमाफिया चीन के द्वारा भारत को अस्थिर करने के लिए उत्पन्न किया गया बेहद गंभीर सीमा विवाद है। सब देशवासियों को ज्ञान की बड़ी-बड़ी बातें समझाने वाले देश के चंद राजनेता खुद अब भी यह समझने के लिए तैयार नहीं हैं कि भाई जब देश की सीमाएं सुरक्षित रहेंगी, तब ही तुम देश में चैन से राजनीति कर पाओगे।

मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि अपने ही राजनेताओं के द्वारा देश में अपनी ही बेहद गंभीर समस्याओं व चुनौती के समय मिलकर उस समस्या का समाधान ढूंढ़ने की जगह न जाने क्यों उनके द्वारा बार-बार ओछी राजनीति शुरू कर दी जाती है। आज भी देश में एकबार फिर वही स्थिति शुरू हो गयी है, आज एक पक्ष देश की सुरक्षा व्यवस्था पर किसी के द्वारा सवाल पूछने पर संतोषजनक जवाब न देकर सेना के पराक्रम की ओट लेकर हर सवाल पूछने वाले व्यक्ति को देशद्रोही घोषित कर देता है, तो दूसरा पक्ष यह देखकर खुश हो रहा है कि 'अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे' कोई भी पक्ष या विपक्ष यह नहीं सोच रहा है कि यह देश की सुरक्षा का बेहद गंभीर सवाल है, न कि किसी राजनीतिक दल की शह और मात का खेल चल रहा है। आज देश के कुछ राजनेताओं के द्वारा यह जो चलन चल गया है कि वो विदेश नीति को भी मीडिया के सामने तय करना चाहते यह चलन देशहित में बिल्कुल भी ठीक नहीं है। चीन, पाकिस्तान व नेपाल के मसले पर देश के पक्ष व विपक्ष के कुछ राजनेताओं के आचरण को देखकर अब यह स्थिति बिल्कुल आईने की तरह स्पष्ट हो गयी है कि उनको देश, देशहित व देश के आम जनमानस के हितों से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि उनको हर वक्त केवल और केवल अपनी राजनीति चमकाने और अपने राजनीतिक व अन्य तरह के लाभों की चिंता है, चाहे उसके लिए उनको राजनीति व सिद्धांतों के स्तर को कितना भी क्यों न गिराना पड़े। जब संकट काल में हम सभी देशवासियों को दिल से एकजुट होकर अपनी एकजुटता को विश्व समुदाय के सामने नजीर के तौर पर पेश करना चाहिए था, उस समय भी हमारे देश के कुछ राजनेताओं व स्वघोषित नायकों का व्यवहार बेहद आश्चर्यचकित करता है। देश में जिस तरह से चीन के मसले पर अंदरूनी राजनीति एकजुटता की जगह विवादों के चरम पर है, वह भविष्य में भूमाफिया चीन के साथ सीमा विवादों के निस्तारण के समय में भारत के लिए एक गंभीर समस्या बन सकती है। 

आज समय की बेहद मांग है कि भारत सरकार को दीर्घकालीन रणनीति बनाकर चीन को हर हाल में अब हर मोर्चे पर कठोर सबक सिखाना ही होगा, क्योंकि धोखेबाज झूठे व मक्कार चीन से बार-बार वार्ता होने के बाद भी भारत को हर बार चीनी की तरफ छल प्रपंच झूठ व विश्वासघात को सहन करना पड़ता है, उसके लिए भारत सरकार को बेहद धैर्य के साथ विश्व के अलग-अलग देशों को अपने पक्ष में करके काम लेना होगा, सरकार को भी इस मुद्दे पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति का त्याग करके सभी दलों को एक रखने का ठोस प्रयास धरातल पर करना होगा। आज कुछ राजनेताओं के आचरण की वजह से देश के आम जनमानस में यह स्थिति हो गयी है कि एक क्षण के लिए भी संदेह के घेरे में न तो सेना की देशभक्ति है न ही आम नागरिकों का देशप्रेम है, बल्कि संदेश के घेरे में आज इस समय भी ओछी राजनीति कर रहे कुछ राजनेता की देशभक्ति व देशप्रेम है। आज हमारे देश के राजनेताओं को जरूरत है कि वो इस समय देश की रक्षा के सबसे बड़े सवाल चीन, पाकिस्तान व नेपाल आदि के मसले पर ओछी राजनीति करना तत्काल बंद करके, देश की बेहद ज्वंलत समस्याओं पर आपसी सोच विचार करके धैर्य के साथ एकजुट होकर दुश्मन देशों के खिलाफ दीर्घकालिक कारगर रणनीति बनाकर अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वहन करते हुए, देश के सभी नागरिकों के प्रति सिस्टम व सरकार की विश्वसनीयता को बनाए रखने का है। आज हमारे देश के नीति-निर्माताओं के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि किस तरह रणनीति बनाकर माँ भारती के वीर सपूतों, आम जनमानस व सीमाओं को सुरक्षित रखते हुए दुश्मन भूमाफिया चीन को धूल चटाकर ऐसा सबक सिखाया जाये कि फिर कभी वो भारत की तरफ आँख उठाने की हिम्मत ना कर सके।

-दीपक कुमार त्यागी

(स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार)

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