बंगाल चुनावों में भाजपा को लाभ पहुँचाएगा प्रणब का नागपुर दौरा

Pranab''s Nagpur visit will benefit the BJP in Bengal elections
संजय तिवारी । Jun 8 2018 3:36PM

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का बहु प्रतीक्षित सम्बोधन देश-दुनिया ने सुना। प्रणब दा ने यकीनन भारत को उसी सम्पूर्णता में व्याख्यायित किया जिस रूप में उनके भाषण से पूर्व संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इसे रखा था। दादा का विषय स्पष्ट था।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का बहु प्रतीक्षित सम्बोधन देश-दुनिया ने सुना। प्रणब दा ने यकीनन भारत को उसी सम्पूर्णता में व्याख्यायित किया जिस रूप में उनके भाषण से पूर्व संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इसे रखा था। दादा का विषय स्पष्ट था। राष्ट्र, राष्ट्रवाद और राष्ट्र भक्ति उनके व्याख्यान का आधार था। उन्होंने इन्हीं तीन शब्दों की व्याख्या में समग्र भारतीयता को रेखांकित किया। यह भी सन्देश दे दिया कि भारत में 7 धर्म, 22 भाषाएँ और 1600 बोलियां हैं। ऐसे में एक धर्म, एक भाषा का सिद्धांत यहाँ संभव नहीं है। यह वसुधैव कुटुम्बकम का देश है। पूर्व राष्ट्रपति ने जिस रूप में भारत को प्रस्तुत किया वह हूबहू वैसा ही था जिस रूप में मोहन भागवत ने देश की अवधारणा उनके व्याख्यान से प्रस्तुत किया था। एक वाक्य में यह कहा जा सकता है कि प्रणब दा के जरिये संघ ने अपने फलक को सर्व स्वीकार्य और विस्तृत बनाने में काफी हद तक सफलता पा ली। वन्देमातरम से प्रणब दा के व्याख्यान का समापन ऐतिहासिक है।  

पूर्व राष्ट्रपति और 43 साल से कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी गुरुवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने संघ के संस्थापक केशव राव बलिराम हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी। उन्हें भारत माता का महान बेटा बताया। इस दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत उनके साथ मौजूद रहे। प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस चीफ मोहन भागवत से राष्ट्रपति भवन छोड़ने से पहले चार बार मुलाकात की है। दोनों के बीच पहली मुलाकात उस वक्त हुई थी जब वह राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति रहते प्रणब दा ने भागवत को राष्ट्रपति भवन में दोपहर भोज के लिए भी आमंत्रित किया था। इसके बाद दो बार राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद दोनों के बीच मुलाकात हुई है। इस साल के शुरू में प्रणब मुखर्जी ने प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के प्रारंभ होने के अवसर पर संघ के शीर्ष नेताओं को बुलाया था। 

यहाँ यह भी ध्यान देने की बात है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में प्रारम्भ से ही राष्ट्रीय स्तर के नेताओं व प्रभावशाली व्यक्त्यिों को आमंत्रित करता रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 25 दिसम्बर 1934 को वर्धा में आयोजित संघ के समारोह में मुख्य अतिथि के तौर शामिल हुये थे। 1939 के पूना में आयोजित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में बाबासाहेब डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर मुख्य अतिथि थे। 03 नवम्बर 1977 को पटना में आयोजित संघ के तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में लोकनायक जयप्रकाश नारायण मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुये थे। 2014 में श्री श्री रविशंकर व कर्नाटक के धर्मस्थल मन्दिर के धर्माधिकारी डॉ. विरेन्द्र हेगड़े 2015 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तृतीय वर्ष वर्ग के विदाई समारोह में शामिल हो चुके हैं।

दरअसल प्रणब मुखर्जी जन्मजात कांग्रेसी रहे हैं इस कारण उनकी यह यात्रा ज्यादा चर्चा में रही। उनकी बेटी तक ने उनकी इस यात्रा पर सवाल उठाये। कांग्रेस का मानना है कि प्रणब दा पार्टी से पूछे बिना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे कट्टर विचारधारा वाले संगठन के कार्यक्रम में कैसे जा सकते हैं। लेकिन अपनी धुन के पक्के प्रणब दा ने संघ के कार्यक्रम में शामिल हो कर यह साफ़ कर दिया कि अब उनका कद पार्टियों से ऊपर उठ चुका है। वे किसी दल विशेष के बंधन में बंधे नहीं रह सकते हैं। लेकिन यह भी ध्यान देने की बात है कि प्रणब दा के इस व्याख्यान और संघ मुख्यालय की उनकी यात्रा के दूरगामी परिणाम अवश्य मिलेंगे। खास तौर पर ऐसे समय जब पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं, इस समारोह में नेता जी के पोते की सपरिवार उपस्थिति भी अपना प्रभाव छोड़ेगी।

-संजय तिवारी

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