रोजगार वृद्धि के लिए कौशल विकास को बढ़ावा
कौशल विकास में देश कम से कम 50-55 साल पीछे चल रहा है। कई विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत में महज दो फीसदी हुनरमंद लोग हैं। राजग सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है।
किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ना है, तो कौशल विकास ही एकमात्र माध्यम है। जिस तरह शिक्षा को महत्व दिया गया है, उसी तरह कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाए तो रोजगार जरूर मिलेगा। कौशल विकास में देश कम से कम 50-55 साल पीछे चल रहा है। कई विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत में महज दो फीसदी हुनरमंद लोग हैं। सरकार का केंद्रीय कौशल विकास व उद्यमिता मंत्रालय खस्ताहाल इंजीनियरिंग कॉलेजों और पॉलिटेक्निक संस्थानों को उबारने में मदद कर रहा है। सरकार लगातार इंजीनियरिंग वर्कशॉप का आयोजन कर रही है, जिसका लक्ष्य इन संस्थाऩों को मौजूदा क्षमता का फायदा उठाना है। इन संस्थानों में रिक्तियों को भरा जा रहा है।
देश के इतिहास में पहली बार इंजीनियरिंग सीटों के मुकाबले आईटीआई की सीटों की संख्या बढ़ी है। सीटें बढ़ाने के साथ-साथ गुणवत्ता पर भी फोकस किया जा रहा है। दूसरे देशों में इंजीनियरिंगों के मुकाबले पांच गुणा टेक्नीशियन होते हैं। सरकार का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में 25 लाख छात्रों को प्रशिक्षित किया जाए। केंद्र सरकार ने पिछले दो सालों में रि-स्ट्रक्चरल की योजना औद्योगिक विकास की ओर बढ़ने की कवायद की है। दुनिया के पैंतालिस फीसदी देशों में कौशल है। जापान, कोरिया, अमेरिका की तरह ही देश में कौशल विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है। किसी भी क्षेत्र में अगर आगे बढ़ना है तो कौशल विकास ही एकमात्र माध्यम है। जिस तरह शिक्षा को महत्व दिया है, उसी तरह कौशल विकास को बढ़ावा दिया जाए, तो रोजगार अवश्य मिलेगा। भारत कई वर्षों तक मुख्यतः शिक्षा पर अपना ध्यान केंद्रित करता रहा है और अब उसे लोगों की काबिलियत बढ़ाने एवं रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार दिया जा सके। देश कौशल विकास में कम से कम पचास साल पीछे चल रहा है। विभिन्न राष्ट्रों के बीच भारत को एक महान शक्ति के तौर पर उभारने की चुनौती को ध्यान में रखते हुए अगले पांच साल से दस साल काफी महत्वपूर्ण है। कई विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत में महज दो फीसदी हुनरमंद लोग हैं। जिन्हें प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है।
देश में कौशल विकास को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी आवश्यक है। कॉरपोरेट जगत और पीएसयू अगर मंत्रालय की पहल से जुड़ जाएं, तो यह एक ऐसे संस्थान का स्वरूप धारण कर लेगा, जिससे लोगों को हुनरमंद बनाने और भारत को विश्व की स्किल कैपिटल बनाने में आसानी होगी। अपनी तरह की पहली भागीदारी के तहत कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के अधीनस्थ राष्ट्रीय कौशल विकास कोष और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम तथा पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत पीजीसीआई अपना सीएसआर कोष देश में एनएसक्यूएफ यानी राष्ट्रीय कौशल अर्हता ढांचा से जुड़ी कौशल विकास पहल में लगा रही है।
दरअसल, इस सदी की जरूरत आईआईटी नहीं, बल्कि आईटीआई है। वर्ल्ड यूथ स्किल्स डे 15 जुलाई को मनाया जाने लगा है। जब उद्योग के लिए बनाए गए कुशल लोग ही उस क्षेत्र में काम करेंगे, तो गुणवत्ता में अपने आप वृद्धि होगी। जब एसएसएसजी और एसआईडीसी जैसे संस्थानों से छात्र कुशल होंगे, तो नौकरी के अवसर अपने आप बन जाएंगे। पुराने जमाने में हमारे कौशल को पूरी दुनिया में जाना जाता था। चीन की पहचान दुनिया की मैन्यूफैक्चरिंग फैक्ट्री की बन गई है, तो हमारी पहचान दुनिया के ह्यूमन रिसोर्स उपलब्ध कराने की हो सकती है। इसके लिए मैपिंग करके जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग देकर किया जा सकता है।
देश में लगातार पीएमकेवीआई के तहत लगातार रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं जो करीब दस लाख पूरे हो चुके हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के अपने 1012 साझीदारों के साथ मिलकर योजना का कार्यान्वयन कर रहा है। इस योजना का कार्यान्वयन देश के सभी 29 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों में किया जा रहा है। यह योजना 596 जिलों और 531 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर कर रहा है। कौशल विकास के 29 क्षेत्रों को रेखांकित कर 566 रोजगार के क्षेत्रों की पहचान की गई है। सरकार की योजना है कि अगले पांच वर्षों में एक सौ दो मिलियन युवाओं को प्रशिक्षित करें और इसके लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत आईटीआईटीज के तहत और नेशनल डेवलपमेंट स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के तहत, सेक्टर स्किल कौंसिल के तहत योजनाएं तैयार हो चुकी हैं, पर योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए वैसे प्रशिक्षण केंद्र भी होने चाहिए इसके लिए खाका तैयार किया गया है। रेलवे और सेना में भी इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि वहां भी कौशल विकास हो इसके लिए अलग से रणनीति पर कार्य हो रहा है। खास बात यह है कि रेल बजट में प्रशिक्षित कार्यबल बढ़ाने पर जोर दिया गया है। बजट में स्किल्ड वर्कफोर्स के तहत 2017-18 तक नौ करोड़ और 2018-19 तक 14 करोड़ रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। बहरहाल जिस तरह से सरकार कौशल विकास पर जोर दे रही है इसके दूरगामी परिणाम आएंगे और भारत विश्व में प्रशिक्षित मानव संसाधन का अगुआ राष्ट्र होगा।
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