कांग्रेस को गैरों ने नहीं अपनों ने लूटा, बयानवीरों ने भी कहीं का नहीं छोड़ा

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संतोष पाठक । Aug 14 2019 6:55PM

चुनावी इतिहास यह बताता है कि ऐसे हर बयान के बाद बीजेपी के वोट बैंक में इज़ाफ़ा देखने को मिला है। ऐसे हर बयान के बाद कांग्रेस का वोट बैंक खासतौर से युवा वर्ग थोक के भाव में बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ है।

जबसे इस देश में नरेंद्र मोदी का विजयी रथ सरपट दौड़ रहा है तभी से बार-बार यह कहा जाता रहा है कि अपने बयानों से खुद कांग्रेसी नेताओं ने बीजेपी के जीत की राह आसान कर दी है। याद कीजिये सोनिया गांधी का 'मौत का सौदागर' वाला वो बयान जिसका इस्तेमाल कर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात विधानसभा चुनाव की दशा-दिशा ही बदल दी थी। हिन्दू आतंकवाद, चाय वाला जैसे मुद्दों को लेकर दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिंदे, पी. चिदंबरम और मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं के बयान ने केंद्रीय राजनीति में भी नरेंद्र मोदी के उभार में बड़ी भूमिका निभाई है। चुनावी इतिहास यह बताता है कि ऐसे हर बयान के बाद बीजेपी के वोट बैंक में इज़ाफ़ा देखने को मिला है। ऐसे हर बयान के बाद कांग्रेस का वोट बैंक खासतौर से युवा वर्ग थोक के भाव में बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ है। सवाल यह खड़ा होता है कि देश में लंबे समय तक राज करने वाले खांटी कांग्रेस के नेताओं को यह सब दिखाई क्यों नहीं देता है ? 

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क्यों देते हैं मणिशंकर अय्यर जैसे नेता ऐसा बयान

मणिशंकर अय्यर हों या दिग्विजय सिंह जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने तो कई बार थाली में सजाकर जीत की सौगात बीजेपी को देने का काम किया है। यह बात भाजपाइयों के साथ-साथ कांग्रेस के दिग्गज नेता भी स्वीकार करते हैं। बाटला हाउस एनकाउंटर से लेकर चाय वाला कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकता या फिर भगवा और हिन्दू आतंकवाद जैसी थ्योरी देकर कांग्रेस के इन नेताओं ने बीजेपी की चुनावी राह कई बार आसान कर दी है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ये नेता जानबूझकर ऐसा बयान देते हैं या फिर वाकई इनकी राजनीतिक समझ पर पर्दा पड़ गया है ? आखिर इनको इस बात का आभास क्यों नहीं हो पाता है कि ये मोदी के खिलाफ जितना अपशब्द बोलेंगे उतना ही मोदी को फायदा होगा ? आखिर क्यों नहीं समझ पाते ये नेता कि देश के बहुसंख्यक समुदाय का राजनीतिक मूड कैसा है ? आतंकवाद, कश्मीर, अनुच्छेद 370, 35ए और पाकिस्तान के मुद्दे पर इस देश का बहुसंख्यक समाज क्या सोचता है, कैसे सोचता है ? पाकिस्तान जाकर वहां के लोगों से मोदी सरकार हटाने की अपील करते समय मणिशंकर अय्यर के दिमाग में आखिर चल क्या रहा होगा ? क्योंकि इतना तो वो भी जानते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री का चुनाव देश की जनता करती है कोई दूसरे देश की नहीं। वैसे भी पाकिस्तान अभी तक भारत का हिस्सा तो बना नहीं है फिर पाकिस्तानी मोदी सरकार को कैसे सत्ता से हटा सकते हैं। इतनी स्वाभाविक-सी बात आखिर उन्हें समझ क्यों नहीं आई या आई होगी लेकिन बस वहां ताली पिटवाने और भारत में चर्चा में आने के लिए इस तरह का बयान दे दिया। बिना ये सोचे समझे कि इसकी वजह से भारत में उन्हें मंत्री बनाने वाली उनकी पार्टी कांग्रेस की हालत कितनी खस्ता हो जाएगी। 

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राजीव गांधी के समय क्या हुआ था 

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद ऐतिहासिक जीत के साथ 400 से ज्यादा लोकसभा सांसदों को लेकर राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे। लेकिन 1987-88 आते-आते बोफोर्स की सुई की वजह से बहुमत के इस गुब्बारे से हवा निकलने लगी और 1989 में हार कर राजीव गांधी को पद से हटना पड़ गया। किसी जमाने में उनकी सरकार में ही मंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह ने देश के प्रधानमंत्री की बागडोर संभाली। उसके बाद देश में मंडल-कमंडल की राजनीति जोर पकड़ने लगी। पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर कांग्रेस पार्टी क्या स्टैंड ले, इसको तय करने के लिए राजीव गांधी ने अपने भरोसेमंद नेताओं की एक कमेटी बनाई। उस कमेटी ने राजीव गांधी को लिखित सलाह देकर मंडल आरक्षण का विरोध करने को कहा। उसके बाद राजीव ने इस सवाल पर गोल-मोल जवाब देना शुरू कर दिया। उनके भाषण से देश के पिछड़े वर्ग को यह लगा कि कांग्रेस उनके आरक्षण के खिलाफ है, नतीजा पिछड़ा वर्ग कांग्रेस से छिटकता चला गया। उस दिन के बाद से कांग्रेस के लिए अपने दम पर बहुमत हासिल करना एक सपना ही बन गया। राजीव गांधी को लिखित सलाह देने वाले उन नेता का नाम जानना चाहेंगे आप ?- मणिशंकर अय्यर 

किस्सा यशवंत सिन्हा का 

यशवंत सिन्हा मूल रूप से नेता नहीं रहे हैं। आईएएस की नौकरी छोड़कर उन्होंने राजनीति जॉइन की। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और रक्षा जैसा अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं। यशवंत सिन्हा एक जमाने में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते थे लेकिन नरेंद्र मोदी की कार्यशैली से नाराज होकर पार्टी छोड़ चुके हैं। वह मोदी के कट्टर आलोचक हैं लेकिन हाल ही में अनुच्छेद 370 को लेकर उनका बयान सुनिए, आप चौंक जाएंगे। संसद में अनुच्छेद 370 में बदलाव का प्रस्ताव पारित होने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने मोदी के कट्टर आलोचक होने के बावजूद यह दावा किया कि अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उससे भी अधिक सीटें मिलेंगी जितनी सीट 1984 में कांग्रेस को मिली थी यानि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की वर्तमान सीट में 113 सीट की बढ़ोतरी हो जाएगी और यह 410 को भी पार कर जाएगी। हालांकि इसके साथ ही सिन्हा ने फिर से यह जोड़ा कि उन्हें भाजपा का तौर तरीका पसंद नहीं है। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जो भविष्य अधिकारी से कॅरियर की शुरुआत करने वाले यशवंत सिन्हा देख पा रहे हैं वो दिग्विजय सिंह जैसे खांटी राजनेता क्यों नहीं समझ पा रहे हैं। 

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कश्मीर पर कांग्रेस 

जहां तक कश्मीर का सवाल है, देश के आम जनमानस का स्टैंड बिल्कुल साफ नजर आ रहा है। अनुच्छेद 370 में संशोधन की बात हो या 35ए को खत्म करने की बात हो या फिर जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन की, देश की आम जनता यह मान रही है कि मोदी सरकार ने बिल्कुल सही किया। देश भर में जश्न मनाया जा रहा है। जम्मू और लद्दाख से आ रही जश्न की तस्वीरें भी यह बताने के लिए काफी हैं कि वहां की जनता केंद्र सरकार के इस फैसले से कितनी खुश है। कश्मीर के कुछ जिलों में जरूर शांति बनाए रखने के लिए कुछ पाबंदी लगाई गई है हालांकि इस तरह की पाबंदी कश्मीरियों के लिए कोई नई बात नहीं है। ऐसे में कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस के नेताओं के पाकिस्तानी नेताओं जैसे मिलते-जुलते बयान देश के एक बड़े वर्ग में लोगों का गुस्सा बढ़ा रहे हैं, यह बात कांग्रेस के इन नेताओं को समझ क्यों नहीं आती। इसलिए एक तबका अब यह भी कहने लगा है कि क्या मणिशंकर अय्यर, दिग्विजय सिंह और पी. चिदंबरम जैसे नेताओं की गांधी परिवार या कांग्रेस से कोई पुरानी दुश्मनी तो नहीं है ? ये नेता कांग्रेस के दोस्त हैं या दुश्मन ? 

-संतोष पाठक

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