आखिर क्यों मेरठ में हिन्दू अपना घर बेचकर चले जाने को मजबूर हो रहे हैं?

reason-on-hindus-migration-in-meerut
संतोष पाठक । Jul 29 2019 2:13PM

स्थानीय नेताओं से लेकर सोशल मीडिया पर ये बहस होने लगी कि यहां के स्थानीय और पुश्तैनी हिन्दू परिवार छेड़खानी, गुंडागर्दी और इसी तरह के परेशान करने वाली हरकतों से तंग आकर अपना घर बेच कर पलायन कर रहे हैं।

हाल ही में मेरठ से हिन्दुओं के पलायन की खबरें आई। बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नमो एप पर मेरठ के प्रहलाद नगर से शिकायत आई कि वहां के परेशान और त्रस्त हिन्दू बड़े पैमाने पर मेरठ से पलायन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से वह शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के कार्यालय को भेजी गई। नतीजा मुख्यमंत्री कार्यालय के सक्रिय होते ही लखनऊ से लेकर दिल्ली तक प्रशासन हरकत में आ गया। खबर मीडिया के हाथ लगी और फिर तमाम टीवी चैनलों और अखबारों के पत्रकार वहां नजर आने लगे।

स्थानीय नेताओं से लेकर सोशल मीडिया पर ये बहस होने लगी कि यहां के स्थानीय और पुश्तैनी हिन्दू परिवार छेड़खानी, गुंडागर्दी और इसी तरह के परेशान करने वाली हरकतों से तंग आकर अपना घर बेच कर पलायन कर रहे हैं। एक बार फिर से लोगों के दिमाग में उत्तर प्रदेश का ही कैराना घुमने लगा। तमाम मकानों के बाहर ‘मकान बिकाऊ है' जैसे पोस्टर सोशल मीडिया पर तैरने लगे। बीजेपी के कई नेता और हिन्दू संगठनों के लोग इस पलायन पर चिंता जताते हुए बयान देते नजर आए। इस बीच सहारनपुर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बयान दे डाला कि, ''कोई पलायन नहीं हुआ है और हमारे रहते भला कौन हिन्दू पलायन कर सकता है।''

इसे भी पढ़ें: मुस्लिमों को लुभाने में अखिलेश और मायावती को पीछे छोड़ते जा रहे हैं योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ के खुद मोर्चा संभालने के साथ ही ऐसा लगा कि मेरठ के इस इलाके से हिन्दुओं के पलायन जैसा शब्द ही गायब हो गया और अब उस इलाके में सिर्फ छेड़खानी और गुंडागर्दी जैसी बातें होने लगीं यानि लोग घर बेचकर जा रहे हैं, यह तो सच है। सिर्फ हिन्दू अपना घर बेच कर इलाका छोड़ कर जा रहे हैं, ये भी सच है लेकिन इसे पलायन नहीं कहा जा रहा है।

ऐसे में यह सवाल जरूर हवा में तैरता रह जाता है कि आखिर सच्चाई क्या है ? क्या वाकई देश में कैराना और मेरठ के प्रहलाद नगर जैसे कई इलाके, कई शहर जन्म ले चुके हैं जहां से हिन्दुओं का पलायन हो रहा है ? और अगर ऐसा है तो फिर इसकी वजह क्या है ? इसका असर क्या पड़ेगा ?

दरअसल, राजनीतिक वजह से हमेशा ही इस तरह के मामले को धार्मिक एंगल दे दिया जाता है और इस वजह से न तो कोई इस तरह के मामले की तह तक पहुंचना चाहता है और न ही कभी इसका स्थायी समाधान तलाशने की कोशिश की जाती है। धर्म एक मामला जरूर है लेकिन इसे धार्मिक एंगल की बजाय प्रशासनिक तरीके से ही सुलझाया जा सकता है। यह बात देश की सरकारों को समझनी होगी। इन इलाकों का अध्ययन करने से हमें वो मूल कारण पता लगेगा जिसे जानना हम सबके लिए जरूरी है। मेरठ का प्रहलाद नगर शहर के बीचों-बीच स्थित हिन्दुओं का मोहल्ला है जिसके तीनों ओर मुसलमानों की आबादी है जो लगातार बढ़ती जा रही है। हिन्दुओं के मकान बिक रहे हैं, मुसलमान खरीद रहे हैं और नतीजा प्रहलाद नगर में भी तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ती जा रही है। हो सकता है शुरुआत में ज्यादा कीमत के लालच में कुछ लोगों ने अपने मकान बेचें हों लेकिन बाद में हालात ऐसे बन गए कि लोगों के लिए मकान बेचना जरूरत से ज्यादा मजबूरी बनता चला गया है।

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि शिक्षा के मामले में अभी भी देश का हिन्दू समाज मुस्लिम लोगों से कहीं ज्यादा आगे है। हिन्दू परिवार खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिन्दू अपनी बेटियों को भी अच्छी शिक्षा दिलाने की चाहत जरूर रखते हैं और इसी तरह के कई संभ्रांत हिन्दू परिवारों ने छेड़खानी और गुंडागर्दी जैसी समस्याओं का जिक्र अमित शाह के सामने 2014 के लोकसभा चुनाव के समय भी किया था जब वो बतौर राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी चुनाव प्रचार कर रहे थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यानथ हों या उस समय के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या, इन दोनों के साथ-साथ तमाम छोटे-बड़े नेताओं ने भी यह मुद्दा उठाया था।

इसे भी पढ़ें: सियासी आरोप खूब लगे, लेकिन राम नाईक ने फैसले संविधान के मुताबिक ही लिये

उसी समय एंटी रोमियो स्क्वॉड की भी बात कही गई थी। इन इलाकों में जाकर किसी से भी बात कीजिए, वो तुरंत आपको बताएंगे कि हिन्दुओं के घर बेचकर जाने की वजह मकानों की ज्यादा कीमत मिलना भर नहीं है बल्कि उस इलाके विशेष में लगातार बढ़ रही छेड़खानी और गुंडागर्दी की घटनाएं हैं। स्कूल-कॉलेज आते-जाते लड़कियों से छेड़छाड़ और गुंडागर्दी की घटनाएं आम होती जाती हैं, शिकायत करें तो कहां करें। पुलिस के पास भी जाएं तो वो कुछ दिन बाद फिर छूट कर बाहर होते हैं लेकिन यह सिलसिला रूकने का नाम नहीं लेता। ऐसा नहीं है कि सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लड़के ही इस तरह की वारदात में लिप्त रहते हैं लेकिन जहां–जहां से हिन्दुओं के पलायन की खबरें आ रही हैं, वहां-वहां पर सिर्फ इसी समुदाय के लड़के ज्यादा इस तरह की वारदातों में लिप्त रहते हैं। सामाजिक व्यवस्था के ध्वस्त होने का खामियाजा यहां भी उठाना पड़ता है। कई बार जब इन लड़कों के परिवारों तक शिकायत पहुंचाई भी जाती है तो वो इग्नोर कर देते हैं। प्रदेश के रजिस्ट्री कार्यालय से अगर खऱीद-बिक्री का डाटा निकाल कर विश्लेषण किया जाए तो प्रदेश भर में कई चौंकाने वाले आंकड़े निकल कर सामने आ सकते हैं।

समस्या को सिरे से खारिज कर देने से यह खत्म हो जाएगा, ऐसा सोचना भी नादानी है। दिल्ली सीमा से लगे साहिबाबाद के शहीद नगर से लेकर मेरठ के प्रहलाद नगर तक या कैराना से लेकर उत्तर प्रदेश–बिहार के किसी अन्य जिले के किसी शहर तक। हर जगह इस तरह की समस्या अपना फन फैला रही है और वक्त आ गया है कि इससे निपटने के लिए कानूनी ढांचों को मजबूत किया जाए। छेड़खानी जैसी वारदातों को रोकने के लिए कानूनों को ज्यादा मजबूत और सख्त बनाया जाए। चाइल्ड हेल्पलाइन की तर्ज पर छेड़खानी की शिकायत करने के लिए एक हेल्पलाइन बनाई जाए। केन्द्र सरकार इस तरह का निर्देश सभी राज्य सरकारों को दे कि इस तरह की शिकायतों की जांच के लिए थाने स्तर पर अलग से अधिकारी नियुक्त हो, फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया जाए जो तेजी से सुनवाई कर दोषियों को सजा दे। स्कूल-कॉलेज जाने वाली लड़कियों की सुरक्षा करना हर हाल में स्थानीय पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी बना दी जाए। स्थानीय स्तर पर भी पुलिस दोनों समुदायों के लोगों के साथ लगातार बैठक कर उनका फीडबैक भी लेते रहे और सबसे बड़ी बात कि इस देश के मुस्लिम समुदाय को इस तरह की घटनाओं पर स्वयं संज्ञान लेते हुए आगे आना चाहिए। घर खरीदना और बेचना सामान्य-सी प्रक्रिया है लेकिन अपने इलाके विशेष की सच्चाई से वो वाकिफ न हो, ऐसा भला कैसे हो सकता है। अपने परिवार के बच्चों को एक जिम्मेदार नागरिक बनाना खुद उनकी भी जिम्मेदारी तो है। सबको यह याद रखना चाहिए कि इस देश का ढांचा धर्मनिरपेक्ष इसलिए ही बचा हुआ है क्योंकि यह देश हिन्दू बहुल है। इसके विपरीत विचार रखने वालों को दुनिया के तमाम मुस्लिम देशों की हालत देखकर सीख अवश्य लेनी चाहिए। हिन्दू नहीं बचेगा तो ये देश भी नहीं बचेगा इसलिए हिन्दुओं की रक्षा करना सबकी जिम्मेदारी है।

-संतोष पाठक

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़